नई दिल्ली: राजस्थान में सत्तारूढ़ भाजपा यह मान रही है कि अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार अभियान पार्टी की नैया पार लगा देगा, लेकिन राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि मोदी की ‘अंतिम क्षण की कॉरपेट बॉम्बिंग’ कोई खास असर नहीं डालेगी.
पायलट ने कहा, ‘यह ठीक है कि प्रधानमंत्री कर्नाटक जाते हैं और कांग्रेस की सरकार की आलोचना करके वोट मांगते हैं. लेकिन बतौर प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार से खुद को अलग कैसे कर सकते हैं?’
दिप्रिंट के साथ विशेष बातचीत में पायलट ने कहा, ‘पांच साल में वसुंधरा राजे सरकार ने जिस तरह की सरकार चलाई है, उसके लिए उनको जवाबदेह होना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘कहीं पर जाकर भाषण देना कुछ जगहों पर काम कर सकता है, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी होता है. लोगों के लिए यह मुश्किल है कि आपके भाषणों पर हर बार वे फिदा हो जाएंगे.’
सचिन पायलट ने आगे कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भाजपा और इसकी सेना के आखिरी समय का ताबड़तोड़ प्रचार काम नहीं करेगा. लोग इस पर भरोसा नहीं करेंगे. मुझे नहीं लगता कि आखिरी क्षण की कॉरपेट बॉम्बिंग कोई खास असर दिखा पाएगी.’
राजस्थान में सात नवंबर को वोटिंग होगी. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2013 में वसुंधरा राजे की अगुवाई में भाजपा सत्ता में आई थी. इसे 200 में से 163 सीटें हासिल हुई थीं. इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने प्रदेश की सभी 25 सीटें जीत ली थीं. उसके बाद वसुंधरा सरकार के कई फैसलों और प्रशासनिक कदमों की वजह से भाजपा और सरकार को अलोकप्रियता का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि पार्टी लोकसभा उपचुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा.
वसुंधरा ने लोगों का विश्वास तोड़ा
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पायलट ने कहा, ‘वसुंधरा जी को ऐतिहासिक बहुमत मिला था. 200 में 163 सीटें भाजपा ने जीती थीं. इस बहुमत के अलावा दिल्ली में भी अपनी ही पार्टी की सरकार है. वे राजस्थान की सूरत बदल सकती थीं.’
‘दुख की बात है कि उन्होंने जनता के उस विश्वास को तोड़ दिया. 2013 में चुनाव प्रचार करते हुए वसुंधरा जी ने 611 वादे किए थे. और अब यह हाल है कि आचार संहिता लागू होने के कुछ घंटे पहले वे किसानों के लिए घोषणाएं करने का प्रयास कर रही हैं.’
पायलट ने कहा, ‘अब दुनिया में इस पर कौन भरोसा करेगा कि वे सच में किसानों का भला चाहती हैं? चार साल, ग्यारह महीने, 29 दिन तक आपको किसानों की चिंता नहीं हुई.’ सचिन पायलट ने दावा किया कि दलित, महिलाएं और सवर्ण समुदाय को छोड़कर सभी वर्ग भाजपा सरकार में दरकिनार किए गए हैं.
नवंबर और दिसंबर में पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. अन्य राज्यों की अपेक्षा राजस्थान में कांग्रेस ज्यादा आत्मविश्वास में दिख रही है. पिछले पांच साल में जितने भी उपचुनाव हुए हैं, कांग्रेस ने सभी जीते भी हैं. कांग्रेस इस कोशिश में है कि विधानसभा के अलावा लोकसभा चुनाव में भी उसे बढ़त मिले.
पायलट ने कहा, ‘कांग्रेस को लोग सकारात्मकता और उम्मीद के साथ देख रहे हैं. हमारे पास भविष्य का रोडमैप है और हम लोगों के विश्वास की पुनर्बहाली कर रहे हैं जो हम पर से उठ गया था. राजस्थान में लोग कांग्रेस की सरकार देखना चाहते हैं. मतदान के दिन लोग कांग्रेस को निर्णायक रूप से वोट देंगे और कांग्रेस में विश्वास जताएंगे.’
पूर्व सांसद रह चुके पायलट ने कहा, ‘हम चुनाव के कुछ दिन पहले चुनावी मोड में नहीं आते, हमने 2013 के बाद से ही चुनाव की तैयारियां की हैं और हम लगातार सड़कों पर रहे हैं.’
राजस्थान में सत्ता के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान की बात कही जाती है. पायलट किसी भी तरह की खींचतान से इनकार करते हैं.
कांग्रेस पूरे देश में वापसी का प्रयास कर रही है
पूर्व केंद्रीय मंत्री पायलट ने कहा, कांग्रेस सिर्फ राजस्थान में नहीं बल्कि पूरे देश में वापसी के लिए प्रयास कर रही है. कांग्रेस को कुछ प्रमुख राज्यों में जीतने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि पांच साल पहले स्थिति और थी. अब भाजपा का लहजा बदल गया है.
उन्होंने कहा, ‘चीजें बदल गई हैं. पांच साल पहले भाजपा विपक्ष में थी. उन्होंने गुड गवर्नेंस का वादा किया, निवेश, भ्रष्टाचार खत्म करने और गरीबी हटाने का नारा दिया. लेकिन अब उनकी जबान बदल गई है. अब वे शहरों के नाम बदलने की बात कर रहे हैं. अब वे राम मंदिर के मसले पर सुप्रीम कोर्ट से नाराज हैं. अब वे मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं.’ पायलट ने कहा कि नेताओं के नाम और चेहरों से ज्यादा अहमियत मुद्दों की है.