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Thursday, 21 November, 2024
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प्रोटोकॉल का उल्लंघन? द्रौपदी मुर्मू के वाहन को लेकर देहरादून के डीएम, एसएसपी को क्यों दी गई ‘सजा’

द्रौपदी मुर्मू को विमान से उतरने के बाद 'उचित' कार उपलब्ध कराने में कथित विफलता के लिए अधिकारियों का तबादला कर दिया. अधिकारी इसके लिए हवाई अड्डे के निदेशक को दोषी ठहरा रहे हैं.

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देहरादून: देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को उत्तराखंड सरकार ने बीजेपी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 11 जुलाई को राज्य की राजधानी के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरने पर एक उपयुक्त वाहन मुहैया करने में कथित विफलता के लिए उनके पदों से हटा दिया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

हवाई अड्डे के निदेशक ने मुर्मू को हवाई अड्डे के एप्रन क्षेत्र (पार्किंग एरिया) या टरमैक से वीआईपी लाउंज तक ले जाने के लिए एक महिंद्रा जायलो की व्यवस्था की थी लेकिन इसे बोलेरो से बदलना पड़ा. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इससे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के साथ आए लोग नाराज हो गए.

दौरे के पांच दिन बाद 16 जुलाई को डीएम आर राजेश कुमार और एसएसपी जनमेजय खंडूरी का तबादला कर दिया गया.

कुमार को पहले बिना विभाग के अतिरिक्त सचिव के रूप में राज्य सचिवालय में ट्रांसफर किया गया और फिर दो दिन बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का प्रभारी सचिव बनाया गया. खंडूरी को देहरादून के प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) मुख्यालय में उप महानिरीक्षक (डीआईजी) का पद सौंपा गया है. इसे मुख्य रूप से प्रशासनिक पद माना जाता है.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को उन्हें टरमैक से आगमन भवन तक ले जाने के लिए एक ‘उचित’ वाहन उपलब्ध न करा पाने की वजह से की गई है.

हालांकि सीएमओ के एक अधिकारी ने कहा कि देहरादून जिला प्रशासन ने ‘वीआईपी’ को लाने के लिए दो वाहनों की व्यवस्था की थी लेकिन इन्हें हवाई अड्डा अधिकारियों ने अंदर दाखिल होने के लिए पास नहीं दिया था.

एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘जिला प्रशासन संवैधानिक रूप से उनके लिए प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए बाध्य नहीं था (क्योंकि मुर्मू के पास अभी कोई आधिकारिक पद नहीं है), दो इनोवा वाहनों की विशेष व्यवस्था की गई थी. लेकिन इन वाहनों को हवाई अड्डा प्रबंधन ने एप्रन क्षेत्र तक आने की अनुमति नहीं दी.’

पूर्व डीएम और एसएसपी ने 11 जुलाई को राज्य प्रोटोकॉल सचिव को लिखे एक पत्र में भी यही कहा था. उन्होंने अपने पत्र में दावा किया कि न केवल उन वाहनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई, बल्कि हवाई अड्डा निदेशक ने मुर्मू के लिए ‘उचित’ कार की व्यवस्था करने की भी उपेक्षा की थी. दिप्रिंट के पास हिंदी में लिखे गए इस पत्र की एक कॉपी है. इसमें लिखा है, ‘वाहन की अपर्याप्तता के संबंध में इस पूरे विवाद के लिए सभी जिम्मेदारियां हवाई अड्डा निदेशक की हैं.’

संपर्क करने पर जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के निदेशक प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि जिस एयरलाइन से मुर्मू ने यात्रा की थी. उसे उसके परिवहन की व्यवस्था करनी चाहिए थी लेकिन उसके पास केवल एक ‘बस’ थी जिस वजह से हवाई अड्डे को गाड़ी की व्यवस्था करनी पड़ी.

राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के लिए दौरे पर आईं द्रौपदी मुर्मू उत्तराखंड के विधायकों से मुलाकात के बाद उसी दिन देहरादून से रवाना हो गई थीं. उनके साथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी थे.

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शादाब शम्स के अनुसार मुर्मू की उत्तराखंड की छोटी सी यात्रा काफी अच्छी रही. उन्होंने बताया, ‘हमें नहीं पता कि हवाई अड्डे के अंदर क्या हुआ, लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन ने प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की. वह जेड-प्लस सुरक्षा कवर की हकदार है और उन्हें देहरादून में रहने के दौरान एक उचित वाहन दिया गया था.


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‘असफल’ पिक-अप पर उंगली उठाना

11 जुलाई को राज्य प्रोटोकॉल सचिव को लिखे पत्र में कुमार और खंडूरी ने इस घटना के लिए हवाई अड्डा निदेशक को जिम्मेदार ठहराया.

पत्र में कहा गया है, ‘एसडीएम द्वारा यह सूचित किया गया था कि 11 जुलाई की सुबह वीआईपी के लिए वाहन की निगरानी के दौरान हवाई अड्डा निदेशक ने कहा था कि एक जाइलो एसयूवी की व्यवस्था कर दी गई है और किसी अन्य वाहन की जरूरत नहीं है. हवाई अड्डे में किसी अन्य वाहन को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी.’

हालांकि पत्र में कहा गया कि जायलो में खराबी आने की वजह से हवाई अड्डे के अधिकारियों ने इसे बोलेरो से बदल दिया, जो कि ‘वीआईपी’ की मेजबानी के लिए सही वाहन नहीं था.

‘बाद में दोपहर को पता चला था कि हवाई अड्डे के निदेशक ने जाइलो की जगह किसी दूसरे वाहन की व्यवस्था की है. हवाई अड्डा निदेशक ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी सूचित किया जो मुर्मू के आगमन के दौरान हवाईअड्डे पर मौजूद थे.

पत्र में आखिर में लिखा गया, ‘इस तरह से हवाई अड्डे के निदेशक ने न तो उचित वाहन की व्यवस्था की और न ही उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों के वाहनों को एप्रन क्षेत्र में जाने की अनुमति दी. इसके चलते वाहनों की अपर्याप्त व्यवस्था और वीआईपी की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हुई.’

संपर्क करने पर उत्तराखंड सरकार के प्रोटोकॉल सचिव आनंद सुमन ने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें किसी भी ‘वाहन विवाद’ के बारे में ‘जानकारी नहीं’ है.

दिप्रिंट ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और मीडिया प्रमुख अभिनव कुमार से टिप्पणी लेने की कोशिश की लेकिन वह भी इस मुद्दे पर बोलना नहीं चाहते थे. देहरादून के पूर्व डीएम आर राजेश कुमार ने कॉल का जवाब नहीं दिया.

एयरपोर्ट डायरेक्टर प्रभाकरी मिश्रा ने कहा कि मुर्मू के परिवहन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से उस एयरलाइन की है जिससे उन्होंने यात्रा की थी.

मिश्रा ने बताया, ‘चूंकि यह एक निजी विमान था. इसलिए ग्राउंड हैंडलिंग एलायंस एयर को ही करनी थी. यह वाहन उपलब्ध कराने के लिए भी जिम्मेदार था लेकिन उनके पास इस्तेमाल के लिए सिर्फ एक बस थी. इस तरह हमें वाहन की व्यवस्था करनी पड़ी. हमारी पहले से व्यवस्थित जाइलो एसयूवी में खराबी आने की वजह से इसे बोलेरो वैन से बदल दिया गया था. इसी गाड़ी से उन्हें एप्रन क्षेत्र से आगमन भवन तक लाया गया था.’

उन्होंने कहा कि वाहनों को एप्रन क्षेत्र में आने की अनुमति तभी दी जाती है जब नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ड्राइवर को पास जारी करता है. मिश्रा कहते हैं, ‘हमें एप्रन क्षेत्र में दाखिल होने के लिए बीसीएएस से कोई ड्राइवर पास नहीं मिला. हवाई अड्डा प्राधिकरण राज्य सरकार के वाहनों को एप्रन क्षेत्र में जाने से क्यों रोकेगा?’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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