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Friday, 22 November, 2024
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राम मंदिर पर संतों-नेताओं की जुगलबंदी, राकांपा बोली- कोर्ट को धमका रहा आरएसएस

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संतों ने की राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने या काननू बनाने की मांग, गिरिराज सिंह फिर बोले, लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है.

नई दिल्ली: सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद को चुनावी मौसम में भगवान राम की बहुत तेज याद आ रही है. हर दिन दो चार बड़े नेता मंदिर पर कुछ न कुछ बयानबाजी कर रहे हैं. इस मंदिर मांग के राजनीतिक कार्यक्रम में संतों ने भी सुर मिलाना शुरू कर दिया है.

रविवार को दिल्ली में हुए संत समागम में संतों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण निर्माण के लिए सरकार से अध्यादेश लाकर कानून बनाने की मांग की. दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पिछले कई बयानों को ही दोहराते हुए कहा कि दुनिया की कोई ताकत राम मंदिर निर्माण को नहीं रोक सकती क्योंकि लोगों का धैर्य जवाब दे रहा है.


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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा, इससे कम किसी भी बात पर भाजपा समझौता नहीं करेगी. उधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का कहना है कि राम मंदिर मसले को लेकर आरएसएस सुप्रीम कोर्ट को डराने-धमकाने का काम कर रहा है, जो स्वास्थ लोकतंत्र के लिए घातक है. यह देश संविधान से चलेगा, किसी भी संगठन की मनमर्जी से नहीं.

अलग अलग शहरों में होंगी जनसभाएं

हिंदू साधु-संतों ने रविवार को हुए संत समागम में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार से अध्यादेश लाने या कानून बनाने की मांग की. संतों ने इस बात पर जोर दिया कि अदालत को भी जन-भावनाओं का आदर करना चाहिए.

नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय संत समागम का रविवार को समापन हो गया. समागम में राम मंदिर निर्माण के लिए आगे की रणनीति तय की गई, जिसके अनुसार, अयोध्या, दिल्ली, बेंगलुरू और नागपुर समेत विभिन्न शहरों में अगले दो महीने तक विशाल जनसभाओं का आयोजन कर जनभावना जगाई जाएगी.

कार्यक्रम के आयोजक अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय सचिव जितेंद्रानंद सरस्वती ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘संतों ने घोषणा की है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए या तो कानून बनाया जाए या अध्यादेश लाया जाए. हमें दोनों शर्ते मंजूर हैं.’

‘हम रैलियां और जनसभाएं करने को तैयार हैं’

सरस्वती ने कहा, ‘लोकतंत्र में जनता का आदेश बड़ा कारक है. अगर जनता की राय से सरकार बन सकती है तो फिर जनता की राय बनाने के लिए हम रैलियां और जनसभाएं करने को तैयार हैं.’

मामले के शीर्ष अदालत में विचाराधीन होने और सर्वोच्च न्यायालय के अगले साल जनवरी में इसपर सुनवाई करने के सवाल पर संत ने कहा कि जनभावनाएं उभरती हैं तो दुनियाभर की अदातलें मसले पर रातभर में विचार करती हैं. उन्होंने कहा, ‘सरकार व्यवस्था बनाती है. अदालत का काम कानून की व्याख्या करना है न कि उसका निर्माण.’

आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि जन-भावनाओं के प्रति संवदेनशील बनने की जरूरत है. वह अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं.


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रविशंकर ने कहा, ‘संपूर्ण संत समाज के पास तीन विकल्प हैं. पहला यह कि बातचीत हो. हमें बातचीत जारी रखनी चाहिए. दूसरा, अदालत के फैसले का इंतजार करें और अदालत से जल्द फैसला देने का आग्रह करें. तीसरा विकल्प यह है कि हम सरकार से इस संबंध में कुछ उपाय करने को कहें.’

उन्होंने कहा, ‘संत को मंदिर की जरूरत नहीं है. उनके पास मंदिर है जहां वे बैठते हैं. जनता भव्य राम मंदिर का निर्माण चाहती है. उनकी यह उम्मीद है. हमें उनकी उम्मीदों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए.’

‘कोई ताकत मंदिर निर्माण नहीं रोक सकती’

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को नहीं रोक सकती. गिरिराज सिंह ने बिहार में अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र नवादा में मीडिया से कहा, ‘दुनिया की कोई भी शक्ति राम मंदिर के निर्माण को नहीं रोक सकती क्योंकि लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है.’

गिरिराज सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार व सर्वोच्च न्यायालय से आगे आकर मुद्दे को हल करने का आग्रह किया.

सर्वोच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के लिए जनवरी 2019 में सूचीबद्ध में करने का निर्देश दिया हुआ है.

‘भाजपा समझौता नहीं करेगी’

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लखीमपुर खीरी में रविवार को पत्रकारों से कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा, इससे कम किसी भी बात पर भाजपा समझौता नहीं करेगी.

मौर्य ने कहा कि अयोध्या में बाबर के नाम की एक ईंट भी लगने नहीं दी जाएगी. राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रश्न है और भारतीय जनता पार्टी हमेशा से इसके पक्ष में खड़ी रही है.

राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश के सवाल को टालते हुए मौर्य ने कहा कि भाजपा का रुख राम मंदिर को लेकर एकदम साफ है, लेकिन कांग्रेस और बाकी दल भी अपना रुख जनता के सामने स्पष्ट करें, जिससे उनकी हकीकत सबके सामने आ सके. मौर्य ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि कुछ दिन पहले ही जनेऊ पहनने वाले नकली हिंदू राम मंदिर पर अपना रुख साफ क्यों नहीं करते.


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एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने आए मौर्य ने दिल्ली में संत सम्मेलन के सवाल पर कहा कि संतों का एकत्रीकरण कोई खराब बात नहीं है. वे सब राम मंदिर के निर्माण के संकल्प को लेकर एकत्र हुए. साधु-संतों की तरह भाजपा का भी यही संकल्प है.

राम मंदिर को लेकर कानून के सवाल पर उन्होंने कहा कि मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, इसलिए इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन इतना जरूर बता सकते हैं कि अयोध्या में जब भी बनेगा तो रामलला का भव्य मंदिर ही बनेगा.

‘राम मंदिर मसले पर सुप्रीम कोर्ट को धमका रहा आरएसएस’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का कहना है कि राम मंदिर मसले को लेकर आरएसएस सुप्रीम कोर्ट को डराने-धमकाने का काम कर रहा है, जो स्वास्थ लोकतंत्र के लिए घातक है. यह देश संविधान से चलेगा, किसी भी संगठन की मनमर्जी से नहीं.

पार्टी ने यह प्रतिक्रिया संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर की गई हालिया बयानबाजी पर दी. राकांपा ने संघ की बयानबाजी को स्वास्थ लोकतंत्र के लिए घातक करार देते हुए उसे तुरंत रोके जाने की बात कही है.

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने राम मंदिर मुद्दे पर कहा कि संघ सुप्रीम कोर्ट को डराने-धमकाने का काम कर रहा है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे हर व्यक्ति और संगठन को मानना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले या बाद कोई भी ऐसी कोशिश देश-विरोधी और गैरसंवैधानिक होगी.


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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति या संगठन को चाहे वो कितना भी ताकतवर या शक्तिशाली क्यों न हो, देश की सर्वोच्च न्यायपालिका को धमकाने या डराने का या चुनौती देने का कोई हक नहीं. यह देश संविधान से चलेगा किसी भी संगठन की मनमर्जी से नहीं. जो भी व्यक्ति या संगठन लगातार सुप्रीम कोर्ट धमकाने का काम कर रहे हैं, यह केंद्र सरकार का दायित्व है कि ऐसे संगठनो और व्यक्ति पर कार्यवाही करे. यह केंद्र सरकार का दायित्व है, संवैधानिक जिम्मेदारी है.

डॉ. दीक्षित ने कहा कि चुनाव से पूर्व व त्योहारों के वक्त में ऐसे बयान सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम करते हैं, जिससे प्रदेश में शांतिभंग की प्रबल संभावना है.

‘हम इंतजार नहीं कर सकते’

इसके पहले अखिल भारतीय संत समिति ने शनिवार को भी कहा था कि वह अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर अदालत के फैसले का वह इंतजार नहीं कर सकती है, इसलिए केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाना चाहिए. इससे एक दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 1992 की तरह फिर नया जनांदोलन छेड़ने का संकेत दिया.

मंदिर निर्माण को लेकर रणनीति बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन ‘धर्मादेश’ में 3,000 से अधिक साधुओं ने हिस्सा लिया.


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समिति ने कहा कि देश में प्रबल जन-भावना है कि मंदिर का निर्माण शीघ्र हो. समिति ने कांग्रेस समेत सेक्युलर दलों की आलोचना करते हुए कहा कि वे मंदिर निर्माण की राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने 29 अक्टूबर को अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह तक के लिए टाल दिया था.

बीते सप्ताह ही राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान​ किया था. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, सीताराम येचुरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत कई अन्य नेताओं को चुनौती भी दी है कि वे राम मंदिर पर अपना स्टैंड क्लियर करें. भाजपा के शीर्ष नेता भी विपक्ष से राम मंदिर निर्माण पर अपना स्टैंड क्लियर करने की बात कह रहे हैं.

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

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