नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के 62 में से लगभग आधे विधायकों ने उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ‘भू-माफिया की तरफ से अतिक्रमण’ किए जाने के बारे में जानकारी दी है, और दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक एलजी ने उनसे ‘जल्द से जल्द और सख्त कार्रवाई’ का वादा भी किया है.
इस घटनाक्रम का सीधा आशय है कि जल्द ही शहर में एक और ध्वस्तीकरण अभियान शुरू हो सकता है, जहां यह एक राजनीतिक विवाद का विषय रहा है.
उपराज्यपाल सचिवालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के 32 विधायकों ने अपने क्षेत्रों में अतिक्रमण को एक बड़ी समस्या बताते हुए सक्सेना को लिखित शिकायत दी थी. अधिकारी ने कहा कि जून में उपराज्यपाल के साथ कई बैठकों में विधायकों ने इस समस्या से निपटने में उनकी मदद मांगी.
अधिकारी ने बताया कि इन 32 में से 30 विधायक आप के और दो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं.
सदन में आप के पास 62 विधायक हैं. बाकी आठ भाजपा के हैं.
अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि विधायकों ने अपनी लिखित शिकायतों में कहा कि अन्य बातों के अलावा, ‘बांग्लादेशी नागरिक’ उनके निर्वाचन क्षेत्रों में पार्क कब्जा रहे है, ‘भूमाफिया’ जमीनें हड़पने के लिए ‘पशुओं के बाड़े’ बना रहे हैं और स्कूल परिसरों में ‘अवैध कार पार्किंग’ चल रही हैं.
दिल्ली में अतिक्रमण विरोधी अभियान नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है. अभी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास कोई निर्वाचित सदस्य नहीं है क्योंकि इस साल अप्रैल में पारित एक कानून के जरिये राजधानी के नागरिक निकायों को फिर से एक साथ मिला दिया गया है, जिससे वार्डों का परिसीमन जरूरी हो गया है.
नगर निगम वर्तमान में एक विशेष अधिकारी और एक आयुक्त के नेतृत्व में काम कर रहा है, जो दोनों अधिकारी केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं.
एलजी सचिवालय, दिल्ली सरकार और नगर निगम के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि चूंकि उपराज्यपाल दिल्ली के लिए केंद्र सरकार की प्रशासनिक इकाई के तौर पर काम करते हैं, उनके पास नगरपालिका से जुड़े मामलों में निर्देश जारी करने का अधिकार है, खासकर जब तक कि निकाय चुनाव नहीं होते और पार्षद नहीं चुने जाते.
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब ध्वस्तीकरण अभियान—जिसे अक्सर अतिक्रमण विरोधी उपाय बताया जाता है—दिल्ली में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना हुआ, खासकर इस साल के शुरू में जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से चलाए गए अभियान के बाद से.
पिछले कुछ महीनों के दौरान दिल्ली में ध्वस्तीकरण को लेकर आप का भाजपा के बीच टकराव सामने आया है—खासकर मंदिरों को लेकर.
मई में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल—जो आप के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं—ने भाजपा की ‘बुलडोजर राजनीति’ की आलोचना की थी और अपने विधायकों से जेल जाने की कीमत पर भी इसका विरोध करने को कहा था.
कस्तूरबा नगर के आप विधायक और जून में उपराज्यपाल से मिलने वालों में से एक मदनलाल ने कहा, ‘सबसे अहम बात यह कि उन्हें (सक्सेना को) यह बताना था कि नगर निगम में भारी भ्रष्टाचार के कारण अतिक्रमण होता है.’
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में नगर निगम उनके अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए उन्हें ही कार्रवाई करनी चाहिए.’
रोहिणी विधायक विजेंद्र गुप्ता—जो उन दो भाजपा विधायकों में एक हैं जो अतिक्रमण को लेकर एलजी से मिले थे—ने कहा कि आप विधायकों का एलजी से मिलना ‘केजरीवाल के दोहरे रवैये को दर्शाता है.’
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है, तो आप को (इसका) राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए. एक तरफ तो उनके विधायक अवैध अतिक्रमण की शिकायत कर रहे हैं और दूसरी तरफ वह इसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा ही नहीं बनाते बल्कि अपने विधायकों से अतिक्रमण विरोधी किसी अभियान के खिलाफ खड़े होने को भी कहते हैं.’
यह भी पढ़ें: ‘दिल्ली दरबार चला रहा है पंजाब’: मान द्वारा सलाहकार समिति के अध्यक्ष पद पर राघव चड्ढा की नियुक्ति से मचा हंगामा
‘प्रमुख समस्या’
ऊपर उद्धृत अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि विधायकों का दावा है कि मंगोलपुरी, बुराड़ी, नरेला, बवाना, सुल्तानपुर माजरा, पालम, बिजवासन, संगम विहार, महरौली, मुस्तफाबाद, कोंडली, त्रिलोकपुरी, गोकलपुरी, सीलमपुर, विश्वास नगर, कृष्णा नगर, तिलक नगर, हरि नगर, जनकपुरी, रिठाला, करोल बाग, ग्रेटर कैलाश, राजौरी गार्डन, चांदनी चौक और मालवीय नगर में अतिक्रमण की समस्या है.
अधिकारी ने कहा, विधायकों ने उपराज्यपाल को लिखित तौर पर बताया कि, इन क्षेत्रों में, ‘भू-माफिया’ दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमीन कब्जा रहे हैं, दुकानें सड़कों तक आ गई हैं, और ‘बेशर्मी’ के साथ कुछ लोग अवैध निर्माण किए जा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘विधायकों ने एलजी को बताया कि जमीन कब्जाने के लिए भूमाफिया ने जानवरों के बाड़े बना रखे हैं और धरोहर स्थल माने जाने वाले क्षेत्रों में भी अनधिकृत निर्माण किया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘इनके अलावा, पुरानी कारों के क्रेता-विक्रेता और स्क्रैप डीलर फुटपाथ और पैदल पथ का इस्तेमाल पार्किंग के तौर पर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई विधायकों ने यह भी शिकायत की कि कुछ जगहों पर कृषि भूमि का इस्तेमाल गैरकानूनी ढंग से आवासीय उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.
अधिकारी ने विधायकों के हवाले से दावा किया कि कुछ क्षेत्रों में झुग्गियों के जरिये पार्कों का अतिक्रमण किया जा रहा है, और कहीं-कहीं स्कूल परिसरों को अवैध पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि एक विधायक ने यहां तक दावा किया कि बेरी वाला बाग के आसपास के पार्कों पर अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का कब्जा है.
उपराज्यपाल के आधिकारिक आवास दिल्ली राज निवास में एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ‘एलजी ने अतिक्रमण विरोधी अभियान को आगे बढ़ाने में उनका पूरा सहयोग मांगा, जिसमें दिल्ली के लोगों को कम से कम दो मीटर तक अतिक्रमण मुक्त फुटपाथ उपलब्ध कराने का एक अभियान भी शामिल होगा.’
सक्सेना से मिले एक अन्य आप विधायक सोमनाथ भारती ने एलजी से संपर्क करने के फैसले पर बात करते हुए कहा कि पुलिस, भूमि और नगर निकाय तीनों ऐसे क्षेत्र हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘दिल्ली में अतिक्रमण विरोधी अभियान नगर निगम चलाता है. इसलिए, इस मामले को उपराज्यपाल को ही देखना है. यह सब निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. इसलिए हम इस मुद्दे को उनके पास ले गए.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: थरूर की सीट पर जयशंकर, अमृतसर में मेघवाल: BJP की नजर उन सीटों पर जहां वह 2019 में हारी थी