नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के पूर्व महाप्रबंधक के खिलाफ एक निजी कंपनी को अनुचित फायदा पहुंचाने की कथित साजिश के लिए मामला दर्ज किया है.
आरोपियों की पहचान जगदीश कुमार अरोड़ा, तत्कालीन मुख्य अभियंता (डब्ल्यूडब्ल्यू), पी.के. गुप्ता, तत्कालीन एसई (डब्ल्यूडब्ल्यू) -II, सुशील कुमार गोयल, तत्कालीन कार्यकारी अभियंता (ईएंडएम), अशोक शर्मा, तत्कालीन एई (ईएंडएम) और रंजीत कुमार, तत्कालीन एएओ के रूप में की गई है.
सभी आरोपी दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत थे. अन्य आरोपियों की पहचान एनबीसीसी (इंडिया) के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल, साधन कुमार और अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों के रूप में की गई है.
इससे पहले प्रारंभिक जांच में आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने उक्त निजी कंपनी को अनुचित लाभ देने के लिए एक साजिश की थी और इसे तकनीकी रूप से योग्य बनाया गया था.
यह आगे आरोप लगाया गया कि दिल्ली जल बोर्ड के पांच साल के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर्स की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग (एसआईटीसी) के लिए दिसंबर 2017 में एक टेंडर एनआईटी 22 जारी की गया था.
यह भी आरोप लगाया गया कि निजी कंपनी के साथ आरोपी की साजिश, झूठे प्रमाण पत्र और एनबीसीसी द्वारा जारी किए गए मनगढ़ंत बयान के कारण, निजी कंपनी ने लगभग 38,02,33,080 रुपए का टेंडर हासिल किया था.
दिल्ली-एनसीआर में आरोपियों के परिसरों में 10 स्थानों पर तलाशी ली गई थी जहां से आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद किए गए हैं.
एनबीसीसी के महाप्रबंधक के आवास से लगभग 1.5 करोड़ रुपए नकद, 1.2 करोड़ रुपए आभूषण, 69 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट और कई संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं.
सीबीआई ने यह भी कहा कि 20 से अधिक बैंक खाते मिले हैं. तलाशी के दौरान करीब 30 महंगी शराब की बोतलें मिलने के बाद उन्होंने आबकारी विभाग को भी इसकी सूचना दे दी है.
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