नई दिल्ली: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो पहले एशियाई नेता हैं जो पिछले सप्ताह युद्ध प्रभावित यूक्रेन के दौरे पर गए. इसके बाद कीव और मॉस्को के बीच सवांद बनाने के लिए रूस की यात्रा की. उन्होंने यह दौरा ऐसे समय पर किया जब जकार्ता नवंबर में जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित करने की तैयारी कर रहा है.
जी20 या ग्रुप ऑफ ट्वेंटी, एक रणनीतिक बहुपक्षीय मंच है जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. यह पहली बार है जब इंडोनेशिया जी20 की अध्यक्षता कर रहा है.
अभी के लिए, ऐसा लगता है कि इंडोनेशिया – जी20 के लिए इस साल अध्यक्षता के लिए चुना गया है- एक मौजूदा खाद्य संकट को टालने पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की दोनों से आश्वासन प्राप्त करके, अपने लिए और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के लिए कुछ तत्काल लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो गया है.
लेकिन क्या इंडोनेशियाई प्रमुख के नाटकीय कदम वास्तव में युद्ध को खत्म करवा पाने में मदद कर पाएंगे, यह बेहद संदिग्ध है.
जोको विडोडो जिन्हें ‘जोकोवी’ के नाम से जाना जाता है, ने मॉस्को में गुरुवार को कहा कि इंडोनेशिया दोनों देशों के बीच संवाद जोड़ने की भूमिका निभाने को तैयार है. वह यूक्रेनी खाद्य निर्यात मार्गों के लिए रूसी ‘सुरक्षा गारंटी’ दिलाने में कामयाब रहे हैं.
रूस जी20 का सदस्य है लेकिन यूक्रेन नहीं है. जी20 के अध्यक्ष के रूप में जोकोवी ने ज़ेलेंस्की को बाली में होने वाले लीडर्स समिट में आमंत्रित किया है. यहां पुतिन के भी सदस्य देश के रूप में उपस्थित होने की उम्मीद है.
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहित अन्य सभी देशों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पुतिन को आमंत्रित किए जाने पर शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने की धमकी दी है.
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 30 जून को राष्ट्रपति पुतिन के साथ क्रेमलिन पैलेस में एक संयुक्त बैठक के दौरान जोकोवी ने कहा, ‘मैं संयुक्त राष्ट्र के रूसी खाद्य और उर्वरक वस्तुओं और यूक्रेनी खाद्य वस्तुओं को विश्व आपूर्ति श्रृंखलाओं को फिर से एकीकृत करने के प्रयासों का समर्थन करता हूं, खासतौर पर यूक्रेनी खाद्य उत्पादों के लिए निर्यात मार्ग को खेलने के लिए. मैं वास्तव में राष्ट्रपति पुतिन की सराहना करुंगा, जिन्होंने पहले कहा था कि वह यूक्रेन और रूस दोनों से खाद्य और उर्वरक आपूर्ति के लिए सुरक्षा गारंटी प्रदान करेंगे. यह अच्छी खबर है.’
पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान, जोकोवी ने यह भी कहा कि युद्ध का ‘न केवल दुनिया पर बल्कि विश्व समुदायों पर भी असर पड़ा है’ क्योंकि रूस और यूक्रेन को ‘दुनिया की रोटी की टोकरी’ माना जाता है.
क्रेमलिन द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, पुतिन ने जोकोवी से कहा कि यह यूक्रेनी सेना है जो अपने बंदरगाहों के जरिए खाद्य निर्यात में मुश्किलें पैदा कर रही है.
पुतिन ने कहा, ‘रूस यूक्रेन से अनाज के निर्यात को रोकने के लिए कोई बाधा नहीं पैदा कर रहा है. यूक्रेन के सेना अधिकारियों ने अपने बंदरगाहों पर माइन्स लगा रखी हैं, और कोई भी उन्हें माइन्स हटाने और वहां से अनाज से भरे जहाजों को वापस ले जाने से नहीं रोक रहा है. हम सुरक्षा की गारंटी देते हैं’
इंडोनेशिया और रूस के अलावा जी20 के अन्य सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, यूएस, और यूरोपीय संघ शामिल हैं. साथ ही स्पेन को भी स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है.
पुतिन के साथ अपनी मुलाकात से पहले जोकोवी ने ज़ेलेंस्की से मिलने के लिए पोलैंड से कीव जाने वाली ट्रेन में 11 घंटे की यात्रा की थी.
30 जून को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ अपनी बैठक में जोकोवी ने कहा, उनकी यात्रा ‘यूक्रेन की स्थिति को लेकर इंडोनेशिया की चिंता की एक अभिव्यक्ति है’ और वह शांतिदूत की भूमिका निभाते हुए पुतिन को यूक्रेनी राष्ट्रपति का संदेश देंगे.
यूक्रेन में रहते हुए, जोकोवी ने बमबारी वाले शहर इरपिन का भी दौरा किया, जहां से उन्होंने शांति का आह्वान किया.
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कुछ देशों ने जी20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने की धमकी दी
पिछले महीने जर्मनी में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद जोकोवी इन दोनों देशों की यात्रा पर गए थे. यह तथ्य बताता है कि पुतिन को आमंत्रित न करने के लिए पश्चिम इंडोनेशिया पर कितना दबाव डाल रहा है.
इंडोनेशिया और आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ) में पूर्व भारतीय दूत गुरजीत सिंह ने कहा कि नतीजतन, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने सात देशों के समूह (जी 7) के साथ ‘समझौता’ किया कि जब वह बहुपक्षीय मंच पर पुतिन को शामिल होने का न्योता देंगे, तो उससे पहले वह ज़ेलेंस्की को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के तौर पर भाग लेने के लिए भी आमत्रिंत करेंगे.
द हरमबी फैक्टर: इंडिया-अफ्रीका इकोनॉमिक एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप के लेखक सिंह ने कहा, ‘जोकोवी मूल रूप से जी 20 को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जो आधुनिक इतिहास के सबसे मुश्किल समय में आयोजित किया जा रहा है. इसलिए उन्होंने पश्चिम के दबाव को दूर करने के लिए एक समझौता किया. यह तय किया गया कि वह ज़ेलेंस्की को भी मंच पर आमंत्रित करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘फिर भी यह निश्चित नहीं है कि जब शिखर सम्मेलन वास्तव में होगा तो पश्चिम अंत में क्या करेगा’
मॉस्को में रहते हुए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने सभी नेताओं से शिखर सम्मेलन में भाग लेने का आग्रह किया था.
जोकोवी ने कहा, ‘मैं सभी विश्व नेताओं को बहुपक्षवाद, शांति और सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करने के लिए एक साथ आने के लिए आमंत्रित करता हूं. क्योंकि सिर्फ इसी भावना से ही शांति बनाई रखी जा सकती है,’
यूक्रेन की अहमियत को बताने और पश्चिम को शांत करने के प्रयास में जोकोवी ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा, ‘यूक्रेन दुनिया की खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए बेहद मायने रखता है. सभी पक्षों के लिए समुद्री बंदरगाहों सहित यूक्रेनी खाद्य के सुचारू निर्यात के लिए सुरक्षा गारंटी देना महत्वपूर्ण है.’
Kedatangan menemui Presiden Volodymyr Zelenskyy adalah wujud kepedulian masyarakat Indonesia terhadap situasi di Ukraina.
Spirit perdamaian jangan pernah luntur. Saya menawarkan diri untuk membawa pesan dari Presiden Zelenskyy untuk Presiden Putin yang akan saya kunjungi pula. pic.twitter.com/TvyNeruQDZ
— Joko Widodo (@jokowi) June 30, 2022
विदेश नीति थिंक टैंक गेटवे हाउस के विशिष्ट फेलो राजीव भाटिया के अनुसार, ‘जोकोवी के कदम के पीछे की प्रेरणा जी20 की सफलता थी’ पश्चिम ने पुतिन को आमंत्रित नहीं करने के लिए इंडोनेशिया पर दबाव बनाना जारी रखा है.
अनुभवी राजनयिक और लेखक भाटिया का यह भी मानना है कि इंडोनेशियाई अभिजात वर्ग भी चाहता है कि जोकोवी आसियान क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाए क्योंकि उनका कार्यकाल 2024 में समाप्त हो रहा है.
इंडोनेशिया के लिए ऊंचा दांव
इंडोनेशिया 2023 में 10-सदस्यीय आसियान का अध्यक्ष बनने जा रहा है. ऐसे में यह देखते हुए कि रूसी-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए चार महीने से ज्यादा समय हो गया है, जिसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है, इसलिए जकार्ता के लिए यह दांव बहुत बड़ा है.
विशेषज्ञों के अनुसार, जोकोवी के लिए यह एक बड़ी कूटनितिक सफलता है, जबकि वहां जारी लड़ाई गुटनिरपेक्ष रुख पर अधिक जोर देकर वैश्विक नियम- कायदों को बाधित कर रही है.
कैलिफोर्निया स्थित थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक जे ग्रॉसमैन ने कहा, ‘इंडोनेशिया ने भी अतिथि के रूप में जी7 में भाग लेने के बाद रूस के साथ बातचीत करके अपनी गुटनिरपेक्षता को मजबूत किया है. जोकोवी ने यूक्रेन से खाद्य और उर्वरक सुरक्षित मार्ग पर एक स्पष्ट कूटनीतिक जीत हासिल की है और इसकी पूरी तरह से सराहना की जानी चाहिए.’ वह आगे कहते हैं, ‘इसके अलावा, इंडोनेशिया पहला एशियाई देश है जिसने आगे बढ़कर शांतिदूत की भूमिका निभाने की कोशिश की है- यह सराहना करने का एक और कारण है.’
उन्होंने कहा, ‘जोकोवी का रुख यूक्रेन में रूस के युद्ध पर कुल मिलाकर आसियान की गुटनिरपेक्ष स्थिति के अनुरूप है.’
आसियान में इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपींस, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया और ब्रुनेई शामिल हैं.
2023 में इंडोनेशिया के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) की भी मेजबानी करने की संभावना है. यह रणनीतिक वार्ता के लिए इंडो-पैसिफिक का प्रमुख मंच है और अमेरिका लगातार हिंद-प्रशांत रणनीतिक निर्माण में आसियान केंद्रीयता पर जोर देता रहा है, जिससे ईएएस एक प्रमुख वार्ता मंच बन गया है.
जर्मनी में भारत के पूर्व दूत रहे सिंह ने कहा, ‘पश्चिम देश इन सभी मंचों पर रूस को आमंत्रित नहीं करने पर जोर देना जारी नहीं रख सकता है. यह भारत जैसे देशों के लिए भी हानिकारक है जिनकी विदेश नीति बहुध्रुवीयता पर आधारित है. जी20 , पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और अन्य जैसे मंचों का अस्तित्व बने रहना चाहिए, वरना दुनिया सिर्फ अमेरिका और चीन के नेतृत्व वाले मंचों में विभाजित होकर रह जाएगी’
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