यौन उत्पीड़न के कई आरोपों पर विदेश राज्य मंत्री ने कहा, इसके पीछे राजनीतिक एजेंडा है, कानूनी कार्रवाई करेंगे.
नई दिल्ली: विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने रविवार को कहा कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे और निराधार हैं और वह इसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.
अकबर ने कहा, “कुछ हिस्सों को सबूत के बिना आरोप लगाने का संक्रामक बुखार हो गया है. मामला जो भी हो, अब मैं लौट (विदेश दौरे से) चुका हूं और आगे की कार्रवाई के लिए मेरे वकील इन बेबुनियाद और निराधार आरोपों की पड़ताल करेंगे.”
उन्होंने आरोपों को एजेंडे का हिस्सा बताते हुए सवाल किया कि कुछ महिला पत्रकार, जिनके साथ उन्होंने काम किया था, वे आम चुनाव से पहले आरोप क्यों लगा रही हैं?
यह भी पढ़ें: #मीटू आंदोलन भारत में महिलाओं के प्रति हमारा रवैया बदलेगा
रविवार सुबह कुछ मीडिया रिपोर्ट में उनके इस्तीफे की बात कही जा रही थी, लेकिन अकबर के बयान में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला कि वे पद छोड़ रहे हैं. बयान से यह साफ नहीं हो सका है कि वे इस्तीफा दे रहे हैं या नहीं.
अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने उस समय यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है जब वह संपादक हुआ करते थे. इससे पहले विदेश दौरे से वापस लौटे अकबर से हवाईअड्डे पर संवाददाताओं ने सवाल पूछे तो उन्होंने कहा, “बाद में इस पर बयान जारी किया जाएगा.”
लेखक व संडे पत्रिका और एशियन एज समाचार पत्र के पूर्व संपादक अकबर ने सात अक्टूबर से अपने अकाउंट पर कोई ट्वीट नहीं किया है. अकबर कांग्रेस सांसद रह चुके हैं. बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था.
कांग्रेस ने पूछा, आखिर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं
कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर चुप्पी तोड़ने को कहा. अकबर का बयान आने से पहले कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, “यह महिला की गरिमा और सुरक्षा का सवाल है. उम्मीद यही की जाती है कि कि मामले से संबद्ध मंत्री तत्काल स्पष्टीकरण देंगे.”
शर्मा ने कहा, “लेकिन, इसके साथ ही यह प्रधानमंत्री का भी कर्तव्य है, संवैधानिक कर्तव्य और नैतिक कर्तव्य है कि वह मुद्दे पर बोलें. मूल सवाल यह है कि आखिर प्रधानमंत्री ने चुप रहने का क्यों फैसला किया है. देश को बताइये कि आप का क्या नजरिया है.”