नई दिल्ली: चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे ने रविवार को लद्दाख में सैन्य गतिरोध के लिए नई दिल्ली को दोषी ठहराते हुए कहा, ‘चीन और भारत पड़ोसी हैं और उनके लिए अच्छे संबंध रखना समझदारी है.’
सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग 2022 के पांचवें पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए, फेंघे ने गालवान घाटी में संघर्ष को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा ‘चीन और भारत पड़ोसी हैं. अच्छे संबंध बनाए रखना दोनों देशों के हितों को पूरा करता है और हम इसी पर काम कर रहे हैं.’ फेंघे स्टेट काउंसलर भी हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में टकराव की बात करें तो मुद्दा एकदम साफ है. मैंने व्यक्तिगत रूप से रक्षा मंत्री के रूप में टकराव के शुरुआत और अंत का अनुभव किया है. हमें भारतीय पक्ष के बहुत सारे हथियार मिले हैं. उन्होंने लोगों को चीन की तरफ भी भेजा है.’
जनरल फेंघे ने आगे कहा कि भारत और चीन ने कोर कमांडर स्तर की 15 दौर की वार्ता की है और दोनों पक्ष इस क्षेत्र में ‘शांति के लिए काम कर रहे हैं.’
क्षेत्रीय व्यवस्था के लिए चीन के दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए जनरल फेंघे ने कहा, ‘हमारी दुनिया ऐसे कई संकटों का सामना कर रही है जो इतिहास में शायद ही कभी देखे गए हों, आगे का रास्ता बहुपक्षवाद को बनाए रखना और उसका अभ्यास करना है. शांति और विकास मानवता का साझा लक्ष्य होना चाहिए.’
अपने भाषण में फेंग ने यूक्रेन में युद्ध पर चीन के रुख और ताइवान पर बीजिंग के दावे को लेकर भी बात की.
हिंद-प्रशांत देशों के समर्थन को ‘हाइजैक’ करने की कोशिश में अमेरिका
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन को सीधे फटकार लगाते हुए, फेंग ने कहा कि बीजिंग पूर्व की टिप्पणियों से असहमत है और ‘चीन पर लगाए गए अमेरिका के आरोपों को दृढ़ता से खारिज करता है.’
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जनरल वेई फेंघे ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों को बीजिंग के खिलाफ करने के लिए उनके समर्थन को ‘हाइजैक’ करने की कोशिश कर रही है. फेंघे ने यह भी कहा कि अमेरिका ‘बहुपक्षवाद की आड़ में’ अपने स्वयं के हितों को आगे बढ़ाने में लगा है.
कोविड के बाद से बाजारों से बाहर करने और सप्लाई चेन फिर से निर्धारित करने जैसे ट्रेंड की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम देशों के बीच दीवारें खड़ी कर देना और सामानांतर व्यवस्था चलाने के नतीजे और भी नुकसानदेह साबित होंगे.
यह दोहराते हुए कि चीन केवल ‘शांति और स्थिरता’ चाहता है, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘एकजुटता को मजबूत करने और टकराव और विभाजन का विरोध करने’ की अपील की.
जनरल फेंघे ने यह भी कहा कि अमेरिका-चीन द्विपक्षीय संबंध ‘महत्वपूर्ण मोड़’ पर हैं और उन्हें सुधारने की जिम्मेदारी वाशिंगटन पर है.
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यूक्रेन में युद्ध के पक्ष में नहीं चीन
उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन में कहा, यूक्रेन में युद्ध का असर दुनिया भर में संकट का एक विस्फोट रहा है, इसके परिणामस्वरूप, ‘हमारी दुनिया न तो शांतिपूर्ण है और न ही सुखी है.’
जनरल फेंघे ने कहा कि चीन यूक्रेन में युद्ध का समर्थन नहीं करता है. लेकिन साथ ही उन्होंने चीन के इस रुख को दोहराया कि ‘प्रतिबंध’ समाधान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि चीन बातचीत के जरिए युद्ध को खत्म किए जाने का समर्थन करता है और इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, ‘इस संकट का मूल कारण क्या है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सबसे ज्यादा किसे नुकसान होगा? मुझे लगता है कि हम सभी इन सवालों के जवाब जानते हैं’ हालांकि उन्होंने अपने इन सवालों का न तो कोई जवाब दिया और न ही चीन के नजरिए के बारे में बताया.
ताइवान पर चीन की लंबे समय से चली आ रही स्थिति पर जोर देते हुए फेंग ने कहा कि चीन ताइवान को स्वतंत्रता हासिल नहीं करने देगा.
उन्होंने कहा, ‘अगर किसी ने ताइवान को चीन से अलग करने की हिम्मत की तो हम लड़ने से नहीं हिचकिचाएंगे. हम हर कीमत पर और अंत तक लड़ेंगे. यह चीन के लिए एकमात्र विकल्प है.
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