रांची: रांची हाईकोर्ट में दर्ज दो साल पुरानी एक जनहित याचिका को आधार बना कर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी की रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों के संपत्ति की जांच के आदेश एंटी करप्शऩ ब्यूरो (एसीबी) को दिए हैं. यह जनहित याचिका पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव ने दर्ज कराई है.
एसीबी के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को फोन पर हुई बातचीत में नाम न छापने शर्त पर बताया, ‘जांच संबंधी फाइल अभी हमारे पास नहीं पहुंची है. फिलहाल इसपर कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है.’
एसीबी जांच प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा, ‘सीएम के आदेश के बाद अब यह मामला मंत्रिमंडल निगरानी समिति के पास जाएगा. मंत्रिमंडल निगरानी समिति के बाद फाइल एसीबी के पास पहुंचेगी. इसके बाद एसीबी पूरे मामले में प्रारंभिक अऩुसंधान (प्रिलिमिनरी रिसर्च) दर्ज करेगी.’
बता दें कि झारखंड के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस संबंध में 31 मई को एक प्रेस रिलीज जारी कर सीएम द्वारा जारी आदेश की सूचना दी है.
रघुवर दास की सरकार में मंत्री रहे अमर कुमार बाउरी, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा, रणधीर सिंह एवं लुईस मरांडी के पास आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप मामले में जारी जनहित याचिका पर कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया था.
राज्य एंटी करप्शऩ ब्यूरो (एसीबी) का हेड मुख्यमंत्री ही होता है इसलिए यह आदेश भी हेमंत सोरेन ने ही दिया है. हालांकि एसीबी ने इस मामले कोई एक्शन लिया नहीं है.
एसीबी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मामला फिलहाल मंत्रिमंडल निगरानी कमेटी के पास है. एसीबी को वहां से लिखित में आदेश मिलने के बाद की जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी.
जानकारी के मुताबिक साल 2020 में पंकज यादव ने इन पांचों मंत्रियों की संपत्ति की जांच को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने पूरे मामले की जांच एसीबी से कराने का आग्रह किया था. इसी याचिका के आलोक में एसीबी ने मामले का संज्ञान लिया सीएम ने एसीबी जांच के आदेश दे दिए. याचिका में सभी पांचों मंत्रियों के विभाग, शिक्षा, खेल, भू-राजस्व, पर्यटन, कृषि एवं सहकारिता, महिला एवं समाज कल्याण, एसीबी, इनकम टैक्स को पार्टी बनाया गया था.
बताते चलें कि, मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहने के दौरान बंधू तिर्की पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ. उनकी संपत्ति में 126 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी पाई गई थी. हाल ही में उनकी सदस्यता इसी मामले में गई है.
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी खनन पट्टे के चलते अभी विवादों में घिरे हैं. हालांकि उनके खिलाफ अभी कोई ताजा सुनवाई नहीं हुई है. जबकि विपक्ष लगातार सोरेन पर हमले कर रहा है और उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए इस्तीफा देने की बात कर रहा है. विपक्ष का ऐसा मानना है कि सोरेन ने रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 का उल्लंघन किया है.
हेमंत सोरेन के इस कदम की आलोचना करते हुए पूर्व सीएम रघुवर दास ने आरोप लगाया कि स्वयं खान आवंटन घोटाले और अपनी सरकार के तमाम भ्रष्टाचार के मामलों में फंसने के बाद हेमंत सोरेन ने यह कदम वैसे ही उठाया है जैसे ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे.’
उन्होंने कहा, ‘जिसके इशारे पर वर्ष 2020 में रिट याचिका दायर की गयी थी उस ‘सुपारी नेता’ की अपनी संपत्ति 2005 के तीस लाख रुपये से बढ़कर 2019 में साढ़े चार करोड़ रुपये हो गयी. ऐसे में पहले मुख्यमंत्री उस सुपारी नेता एवं अपनी तथा अपने मंत्रियों एवं विधायकों की संपत्ति की जांच करवा लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा?’
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हेमंत सोरेन की संपत्ति भी 245 प्रतिशत बढ़ी
इस बीच चंदनकियारी विधानसभा से बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री अमर बाउरी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि साल 2014 में हेमंत सोरेन की संपत्ति 3.50 करोड़ थी, जो साल 2019 में 245 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ 8.5 करोड़ कैसे हो गई, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा, ‘मुख्यमंत्री अपने और अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के चलते तिलमिला गये हैं और राजनीतिक विद्वेष से काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री में यदि नैतिकता है तो वह पूर्व सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल से लेकर अपनी सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल तक की पूरी एसीबी जांच करवा लें.’
वर्तमान में खूंटी के बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैंने अपनी संपत्ति का ब्योरा चुनाव आयोग और कोर्ट को दे दिया है. छुपाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है. मामला पूरी तरह साफ है. फिलहाल इस मामले में इससे ज्यादा कहना उचित्त नहीं है.’
वहीं लुईस मरांडी ने कहा, ‘आप भी समझ पा रहे हैं और हम भी कि यो दो साल के बाद इस तरह का आदेश क्यों दिया गया है. सीएम और उनके करीबी खुद घिरे हुए हैं. ऐसे में आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह हथकंडा अपनाया गया है.’
लुईस मरांडी दुमका से विधायक थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन और उपचुनाव में हेमंत के भाई बसंत सोरेन को हराया था.
कोर्ट में जनहित याचिका दायर करनेवाले पूर्व पंकज यादव ने दिप्रिंट से कहा, ‘माना कि एक मंत्री की सैलरी एक लाख रुपए प्रति माह होगी. इस लिहाज से भी पांच साल बाद उनकी संपत्ति 60 लाख रुपए होने चाहिए. लेकिन पूर्व मंत्री अमर बाऊरी की संपत्ति में साल 2014 के हलफनामे और 2019 के हलफनामे में 1100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. जाहिर है ये मंत्री रहने के दौरान ही बढ़ी है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि ईडी की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने एसीबी जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन जांच एजेंसियों से ज्यादा मुझे न्यायालय पर भरोसा है. भ्रष्टाचार का खुलासा होकर रहेगा.’
पंकज बताते हैं कि मैं एसीबी को सारी जरूरत के कागजता उपलब्ध कराउंगा, जो इस मामले को और मजबूत बनाने के लिए काफी होगा. संबंधित मंत्रियों के संबंधित विभाग में जो पांच साल में भ्रष्टाचार हुए हैं, उसकी सीएजी रिपोर्ट भी याचिकाकर्ता ने एसीबी को उपलब्ध कराने की बात कही है.
मंत्री रहते हुए कितनी बढ़ी संपत्ति
दायर याचिका के मुताबिक, साल 2014 में अमर बाउरी की संपत्ति 7.33 लाख थी, जो 2019 में 89.41 लाख हो गई. रणधीर कुमार सिंह की साल 2014 में 78.92 लाख थी जो साल 2019 में 5.06 करोड़ हो गई. नीरा यादव की संपत्ति साल 2014 में 80.59 लाख थी, जो साल 2019 में 3.65 करोड़ हो गई.
वहीं लुईस मरांडी की संपत्ति साल 2014 में 2.25 करोड़ थी, तो साल 2019 में 9.06 करोड़ हो गई. नीलकंठ सिंह मुंडा की संपत्ति 1.46 करोड़ थी जो बसाल 2019 में बढ़कर 4.35 करोड़ हो गई. इस लिहाज से देखें तो इन पूर्व मंत्रियों की संपत्ति में 200 से 1100 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि ये सभी जानकारी इन नेताओं ने चुनाव के दौरान भरे गए शपथ पत्र में दी थी.
ईडी की कार्रवाई के बाद हेमंत सरकार एसीबी के सहारे ऐसा करेगी, इसकी भनक काफी पहले लग गई थी. बीते कई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेएमएम के गिरिडीह से विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य इसकी तरफ इशारा करते रहे थे.
सुदिव्य कुमार सोनू ने दीप्रिंट से कहा, ‘इस एसीबी जांच का ईडी की कार्रवाई से कोई लेना देना नहीं है. कोविड के कारण दो साल तक सरकार का कामकाज प्रभावित रहा. अब सरकार पटरी पर आई है. एसीबी जांच के आदेश सरकार के रूटीन काम का हिस्सा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक बात याचिकाकर्ता पंकज यादव के जांच एंजेंसियों के प्रति आशंका की है, तो उसका मैं सम्मान करता हूं. जांच एजेंसियों के कामकाज के तरीके को देखते हुए यह सच भी माना जा सकता है. लेकिन हमारी सरकार में पूरी तरह निष्पक्ष जांच होगी, इसका मैं भरोसा दिला सकता हूं.’
बता दें कि पिछले दिनों ईडी के हत्थे चढ़ीं पूजा सिंघल पर साल 2012 में मामला दर्ज हुआ था लेकिन उनकी दस साल बाद हुई है. ऐसे में एसीबी इन पांच मंत्रियों से संबंधित जांच पर जल्द पहुंच पाएगी.
(आनंद दत्त स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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