नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी के वीर भूमि में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 31वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और सचिन पायलट ने भी वीर भूमि पर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी.
वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी को याद करते हुए उन्हें एक दूरदर्शी नेता बताया और कहा कि उनकी नीतियों ने आधुनिक भारत को आकार देने में मदद की थी.
राहुल ने ट्वीट किया, ‘मेरे पिता एक दूरदर्शी नेता थे जिनकी नीतियों ने आधुनिक भारत को आकार देने में मदद की. वह एक दयावान और दयालु व्यक्ति थे. वो मेरे और प्रियंका के लिए एक अद्भुत पिता थे, जिन्होंने हमें क्षमा और सहानुभूति का मूल्य सिखाया. मुझे उनकी बहुत याद आती है और हमने साथ बिताए समय को प्यार से याद किया.’
My father was a visionary leader whose policies helped shape modern India.
He was a compassionate & kind man, and a wonderful father to me and Priyanka, who taught us the value of forgiveness and empathy.
I dearly miss him and fondly remember the time we spent together. pic.twitter.com/jjiLl8BpMs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 21, 2022
उधर, पीएम नरेंद्र मोदी ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘उनकी पुण्यतिथि पर, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि.’
On his death anniversary, paying tributes to our former Prime Minister Shri Rajiv Gandhi.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 21, 2022
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एलटीटीई, फूलों की माला और धमाका
21 मई 1991 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) उग्रवादियों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान ले ली थी. श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज तमिल विद्रोहियों ने तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव पर आत्मघाती हमला किया था.
लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे राजीव गांधी के पास एक महिला फूलों का हार लेकर पहुंची और उनके बहुत करीब जाकर अपने शरीर को बम से उड़ा दिया. धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोगों के मौके पर ही मौत हो गई थी.
हमलावर महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी. इस मामले में धनु समेत 14 अन्य लोग भी मारे गए थे.
गांधी की हत्या देश में संभवत: पहला ऐसा मामला था, जिसमें आत्मघाती हमलावर ने एक बड़े नेता की जान ली थी.
इस मामले में एजी. पेरारिवलन , मुरुगन, संथन और नलिनी को अदालत ने दोषी करार दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी.
तमिलनाडु के राज्यपाल ने अप्रैल 2000 में राज्य सरकार की सिफारिश और सोनिया गांधी की अपील के आधार पर नलिनी की मौत की सजा को कम कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था.
वहीं, 18 मई को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में 30 साल से ज्यादा जेल की सजा काट चुके पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था.
पेरारिवलन की गिरफ्तारी 11 जून 1991 को हुई थी. उस समय वो महज 19 साल के थे. उसपर बम को ट्रिगर करने के लिए 9 एमएम की बैटरी का इंतजाम करने और उसे लगाने का आरोप था.
बता दें कि राजीव गांधी ने 1984 में अपनी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की कमान संभाली थी. अक्टूबर 1984 में पदभार संभालने के बाद वह 40 वर्ष की आयु में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने 2 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था.
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