नई दिल्ली: जब कोविड की वजह से लगे लॉकडाउन ने स्कूलों, कॉलेजों और कोचिंग सेंटर को बेजान से ढांचों में बदल दिया था, तो शिक्षा प्रौद्योगिकी, एजुकेशन टेक्नोलॉजी या एडटेक के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ था. लेकिन, ‘वास्तविक दुनिया’ के शैक्षणिक परिसरों और कक्षाओं के एक बार फिर से जोरों के साथ चालू होने से इस उद्योग को अब कठिन विकल्पों का सामना करना पड़ रहा है, कुछ कंपनियों में बड़े पैमाने पर छटनी देखी जा रही हैं तथा कुछ और कंपनियां हाइब्रिड मॉडल में बदलने के साथ विविधता लाने का प्रयास कर रही हैं.
पिछले दो वर्षों में, ‘स्क्रीन’ ही स्कूल ट्यूटरिंग (स्कूल के शिक्षण कार्य) से लेकर टेस्ट प्रेप (परीक्षा की तैयारी) तक सभी कुछ का पसंदीदा जगह बन गया था और एडटेक वेंचर्स में जबरदस्त उछाल आया था.
साल 2020 में इस उद्योग का मूल्याकंन $750 मिलियन था और 2025 तक इसके $4 बिलियन तक पहुंच जाने की भविष्यवाणी की गई थी. पिछले साल जून में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म बायजूस 16.5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन के साथ भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्ट-अप बन गया, अनएकेडमी ने अगस्त में 440 मिलियन डॉलर जुटाए थे और अपग्रैड, एरुडेटस और वेदांतु सितंबर में यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गए थे.
हालांकि, इस साल गर्मी में चीजें इतनी ‘हॉट’ नहीं दिख रही हैं.
अनएकेडमी ने कथित तौर पर पिछले कुछ महीनों में लागत में कटौती करने के उद्देश्य से लगभग 1,000 कर्मचारियों की छटनी की और इसने मार्च 2022 में दिल्ली में अपना पहला ब्रिक- ऐंड-मोर्टार (असली ऑफलाइन कक्षाओं वाला) केंद्र भी खोला. बायजूस ने भी फरवरी 2022 में बच्चों के लिए ऑफलाइन कोचिंग कक्षाएं शुरू की. लेकिन, जब उसने व्हाइट हैट जूनियर (जिसे उसने 2020 में अधिग्रहित किया था) के कर्मचारियों को कार्यालय में हाजिरी लगाने के लिए कहा, तो उनमें से 800 ने पिछले कुछ महीनों में इस्तीफे दे दिए.
लिडो ने भी कर्मचारियों को वेतन देने में कठिनाई महसूस करते हुए फरवरी 2022 में- 10 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाने के कुछ ही महीने बाद 150 कर्मचारियों को बाहर कर दिया और इस महीने की शुरुआत में वेदांतु ने भी 200 लोगों को निकाल दिया है.
राहत महसूस कर रहे अभिभावकों द्वारा अब खुशी-खुशी अपने बच्चों को स्कूल बसों में भेजने या समर कैंप के लिए रवाना किये जाने, तथा किशोरों के लिए परीक्षा की तैयारी के लिए शारीरिक उपस्थिति वाले कोर्सेस में भाग लेने में सक्षम होने के साथ ही सवाल अब यह है कि क्या एडटेक का बुलबुला बस फटने ही वाला है?
दिप्रिंट ने ऑनलाइन लर्निग के क्षेत्र की डावांडोल होती नब्ज की थाह लेने के लिए इस उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ-साथ कई अभिभावकों से भी बात की.
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स्कूली शिक्षा तो ‘रियल’ ही बनी रहेगी लेकिन ऑनलाइन टेस्ट प्रेप, अपस्किलिंग के कोर्सेस के लिए गुंजाइश बाकी
विशेषज्ञों का कहना है कि जहां बुनियादी शिक्षण और सीखने-सिखाने के कार्य प्रमुख रूप से ऑफलाइन मोड में स्थानांतरित होने की उम्मीद है, वहीं परीक्षा की तैयारी, कोडिंग और अन्य विशिष्ट कौशल के लिए ऑनलाइन कार्यक्रमों की बहुत गुंजाइश है.
सीएल एजुकेट की एडटेक शाखा, करियर लॉन्चर के कार्यकारी निदेशक, निखिल महाजन के अनुसार, एडटेक की दिग्गज कंपनी बायजूस द्वारा कक्षा 4 से 10 तक के छात्रों के लिए ‘हाइब्रिड’ कक्षाएं शुरू करने का कदम इस ‘दिशा में एक स्पष्ट बदलाव’ का संकेत देता है.
महाजन ने कहा, ‘इस क्षेत्र के शायद सबसे बड़े खिलाड़ी की तरफ से किया गया प्रयास (बायजूस का ऑफलाइन कक्षाओं का शुरू करना) इस बारे में स्पष्ट रूप से बताता है कि यह उद्योग कहां जाकर स्थिर होगा. कौशल उन्नयन (स्किल अपग्रेडेशन) जैसे कुछ क्षेत्र हो सकते हैं जहां चीजें 80 प्रतिशत ऑनलाइन और शेष ऑफलाइन मोड में रहेंगी. अन्य क्षेत्र जैसे शिक्षण और सीखने-सिखाने के कार्य, विशेष रूप से स्कूली बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर ऑफलाइन मोड में हो जाएंगे. मेरी राय में, यह एक स्वस्थ हाइब्रिड मॉडल होगा.’
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि अलग-अलग उपयोगिता पेश करने वाले (वैल्यू प्रोपोज़िशन) प्लेटफॉर्म के पास लंबे समय तक बने रहने की अधिक संभावना है और वे ऑफलाइन कक्षा की वापसी से खतरे में नहीं पड़ेंगे. क्लेवर हार्वे, एक कैरियर एक्सेलरेटर प्लेटफार्म जो किशोरों के लिए ऑनलाइन एमबीए कार्यक्रम प्रदान करता है, के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीराम सुब्रमण्यम ने अपने स्वयं के प्लेटफार्म के उदाहरण का हवाला देते हुए इसे कुछ इस तरह समझाया.
उन्होंने कहा, ‘करियर एक्सप्लोरेशन (करियर की तलाश), जो क्लीवर हार्वे जैसी कंपनियों के साथ एक श्रेणी के रूप में उभरा है, समय के लिए स्कूली शिक्षा के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करता है और इसलिए शारीरिक उपस्थिति वाली कक्षाओं की वापसी से प्रभावित नहीं होता है.’
यह प्लेटफार्म हाई स्कूल के छात्रों के लिए मार्केटिंग (विपणन), प्रौद्योगिकी, उद्यमिता, डेटा विश्लेषण, यूएक्स डिजाइन, डिजिटल मार्केटिंग और वित्त में कोर्सेस प्रदान करता है. इसकी वेबसाइट के अनुसार, अब तक 10,000 से अधिक छात्रों ने नामांकन कराया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि वेब डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजीज, डिजिटल मार्केटिंग और साइबर सिक्योरिटी सहित लर्निंग के विशेष क्षेत्रों में लोगों द्वारा ऑनलाइन पाठ्यक्रम लेने की संभावना है. वयस्कों के लिए मृदु-कौशल प्रशिक्षण (सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग) और अंग्रेजी भाषा सीखाने की कक्षाओं में भी ऑनलाइन रूप से विकसित होने की गुंजाइश है.
कौशल संवर्धन करने वाले प्लेटफॉर्म ‘जोश स्किल्स’ के सह-संस्थापक और मुख्य उत्पाद अधिकारी (चीफ प्रोडक्ट अफसर) शोबित बंगा ने कहा कि वह आशावादी हैं. उन्होंने कहा, ‘जो क्षेत्र ऑनलाइन बने रहेंगे उनमें टेस्ट प्रेप, के-12 और यूनिवर्सिटी स्किल डेवलपमेंट शामिल होंगे.’
यह बात दिल्ली की 12वीं कक्षा की छात्रा नीतीशा शर्मा जैसे छात्रों पर लागू होती है. वह स्कूल तो जाती है लेकिन इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए अपनी तैयारी ऑनलाइन करती है क्योंकि इससे समय की बचत होती है और उन्हें वीडियो उपयोगी लगते है.
कामकाजी वयस्क जो अपने कौशल में वृद्धि करना चाहते हैं, वे भी रिमोट लर्निंग के लचीलेपन और सहूलियत की तारीफ करते हैं.
मुंबई के एक संस्थान से डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स कर रहे प्रथमेश धनखड़ ने कहा कि उनकी ऑफलाइन कक्षाओं की तरफ जाने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं फिलहाल एक छोटा सा व्यवसाय चला रहा हूं और मुझे अपने व्यवसाय को विकसित करने के लिए कुछ अतिरिक्त कौशल सीखने की जरूरत है. मेरे लिए ऑनलाइन शिक्षा से बेहतर कुछ नहीं है.’
छात्रों की ऋण देने वाले एक प्लेटफार्म एडुवांज़ के सह-संस्थापक और सीईओ वरुण चोपड़ा, जो विभिन्न एडटेक प्लेटफार्मों के साथ भी जुड़े हुए हैं, का मानना है कि यह वर्ग (सेगमेंट)- व्यस्त छात्र और पेशेवर जो अपने कौशल और ‘पोर्टफोलियो’ को विकसित करना चाहते हैं- ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता देना जारी रखेगा.
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माता-पिता ‘स्क्रीन टाइम’ की लेकर सजग हैं मगर ‘हाइब्रिड लार्निंग’ के लिए भी तैयार
दिप्रिंट से बात करने वाले कुछ अभिभावकों ने कहा कि वे अब ‘ऑनलाइन लर्निंग’ को एक अलग तरह से देख रहे हैं. हालांकि इसे अब शिक्षा के लिए आवश्यक नहीं माना जा रहा है, फिर भी यह कुछ मामलों में उपयोगी है.
ऐसी ही एक अभिभावक हैं गुड़गांव निवासी समृद्धि मनोचा, जिन्होंने पिछले साल अपनी 12 वर्षीय बेटी को दो ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों में नामांकित करवाया था. हाल ही में उन्होंने इनमें से एक के लिए उसकी सदस्यता रद्द कर दी है.
कई अन्य अभिभावकों की तरह, मनोचा का मानना है कि उनके बच्चे को वास्तविक दुनिया के साथ मेल-जोल से अधिक लाभ होगा. वे कहती हैं, ‘सबसे पहले तो स्कूल फिर से खुल गए हैं और मेरी बेटी को अब ऑनलाइन पढ़ाई करने की आवश्यकता नहीं है. दूसरे, मुझे लगता है कि ऑनलाइन पढ़ाई के दबाव का सामना करने के मामले में पिछले दो साल बच्चों के लिए बहुत कठिन रहे हैं, मैं चाहती हूं कि वह अभी ऑफ-स्क्रीन ही रहें.’
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि मनोचा ऑनलाइन कक्षाओं को हमेशा के अलविदा कह रही हैं. उन्होंने बताया, ‘मैंने उसे एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए नामांकित करा रखा है, जो उसे अतिरिक्त कौशल विकसित करने में मदद करता है.’
हालांकि, कुछ अभिभावकों के मामले में ‘स्क्रीन टाइम’ हद से ज्यादा हो चुका है और वे पाठ्येतर शिक्षण के लिए भी ऑफलाइन कक्षाओं को ही प्राथमिकता देते हैं. जयपुर की एक अभिभावक आकांक्षा गुलाटी ने कहा, ‘मैंने अपने आठ साल के बेटे को पड़ोस के समर कैंप में भेजना शुरू कर दिया है. मैं चाहती हूं कि वह अन्य बच्चों के साथ समय बिताए.’
वास्तव में तो अभिभावकों की तरफ से शारीरिक उपस्थिति वाली कक्षाओं की मांग ने ही इस साल की शुरुआत में बायजूस को ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने के लिए प्रेरित किया.
बायजूस के प्रवक्ता ने उस समय कहा था, ‘यह निर्णय गहन शोध के बाद लिया गया है क्योंकि कई अभिभावक ऑफलाइन लर्निंग को लेकर उत्सुक थे.’
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