नई दिल्ली: गुरुवार को गुजरात की एक अदालत ने वहां के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत 12 लोगों को 3 महीने की जेल और एक हजार रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई है.
मेहसाणा की एक स्थानीय अदालत ने दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य को पुलिस की अनुमति के बिना रैली निकालने के लिए 2017 में दर्ज एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया है.
एडिशनल चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होना) के तहत मेवाणी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पदाधिकारी रेशमा पटेल और मेवाणी के राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के कुछ सदस्यों सहित नौ अन्य को गैरकानूनी सभा का हिस्सा होने पर सजा सुनाई गई है.
गौरतलब है कि साल 2017 के जुलाई महीने में मेहसाणा पुलिस ने बिना अनुमति के बनासकांठा जिले के मेहसाणा से धनेरा तक ‘आजादी मार्च’ निकालने के लिए मेवाणी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
रेशमा पटेल ने जब इस रैली में हिस्सा लिया था तब वह किसी राजनीतिक दल की सदस्य नहीं थीं. वह पाटीदार समाज को आरक्षण दिए जाने की समर्थक रही हैं और बतौर कार्यकर्ता उन्होंने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.
इस मामले में कुल 12 लोगों को आरोपित किया गया था. इनमें से एक आरोपी की मौत हो गई है जबकि एक अभी भी फरार है.
जानकारी के लिए बता दें कि मेवाणी को असम पुलिस 19 अप्रैल को गुजरात से गिरफ्तार कर पूर्वोत्तर राज्य ले गई थी. यह कार्रवाई मेवाणी के उस ट्वीट के बाद की गई थी जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि मोदी ‘गोडसे को भगवान मानते हैं.’
इस मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी को एक महिला पुलिसकर्मी पर हमले के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले में भी असम की निचली अदालत ने पुलिस की आलोचना करते हुए उन्हें जमानत दे दी थी. इसके बाद वो 31 अप्रैल को जेल से रिहा हो गए थे.
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