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Friday, 22 November, 2024
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फैब इंडिया और केवीआईसी को टक्कर देने, अब खादी बाज़ार में आएगा पतंजलि

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100 विशेष खुदरा दुकानों को खोलने के अलावा यह 15,000 केवीआईसी स्टोरों के माध्यम से भी अपने उत्पाद बेचने की बना रहा है योजना।

नई दिल्लीः प्रतिस्पर्धी खादी बाजार में भीड़ बढ़ने वाली है, क्योंकि बाबा रामदेव का पतंजलि आयुर्वेद क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहा है। बाजार पर नियंत्रण और एकाधिकार प्राप्त करने के लिए राज्य के स्वामित्व वाले खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के प्रयासों के बीच में ऐसा हो रहा है।

पतंजलि ने इस साल दीवाली तक ब्रांडेड खादी कपड़ों की ’स्वदेशी’ लाइन (रेंज) बेचने के लिए 100 विशेष खुदरा दुकानें खोलने की योजना बनाई है। पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आचार्य बालकृष्ण ने दिप्रिंट को बताया कि “हम, विशेषकर टीयर 2 और टीयर 3 के शहरों में नवंबर तक खुलने वाले पतंजलि खादी आउटलेटों पर कुर्ती, सूट, जैकेट सहित खादी उत्पादों को बेचेंगे।“

कंपनी अपने खादी उद्योगों को बाजार में बेचने के लिए उसी मानसिकता (फिलॉस्फी) को लागू करने के लिए तैयार है जो यह अपने अन्य व्यावसायिक उद्यमों पर लागू करती है – यह जोर देकर कहती है कि भारतीयों को ‘स्वदेशी’ अपनाना चाहिए और विदेशी फर्मों का पक्ष लेना बंद कर देना चाहिए।

हथकरघा, हाथ से बुने और हाथ से काते गए खादी उत्पादों के बाजार पर धावा करने के लिए पतंजलि से बाजार में केवीआईसी के साथ जुड़ने की उम्मीद है। केवीआईसी का अभी फैबइंडिया और अन्य छोटे उद्योगों के साथ विवाद चल रहा है।

पतंजलि न केवल अपने उत्पादों को बेचने के लिए केवीआईसी के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रही है, बल्कि कंपनी ने भारतीय खादी बाजार पर अपना प्रभुत्व जमाने वाली फैब इंडिया के तरफ भी अपनी अप्रसनत्ता ज़ाहिर की है। रामदेव ने दो साल पहले, जब उन्होंने अपनी डेनिम लॉन्च की थी, कहा था “अगर खादी उत्पादों को हमारे देश में फैब इंडिया जैसी विदेशी कंपनियों द्वारा बेचा जा रहा है, तो यह महात्मा गांधी और उनकी विचारधारा की राजनीतिक हत्या है।”

खादी मार्क पंजीकरण प्रदान करने के लिए देश में एकमात्र प्राधिकरण केवीआईसी को अभी तक पतंजलि आयुर्वेद से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, लेकिन कहा गया है कि कंपनी की योजनाओं का कोई विरोध नहीं है। केवीआईसी के चेयरमैन वी.के. सक्सेना ने कहा “खादी उत्पादों को बेचने की योजना बनाने वाली किसी भी कंपनी को केवीआईसी से अनुमति लेनी होगी। अभी तक, मुझे पतंजलि की योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, हम उनका इस उद्योग में स्वागत करते हैं।”

एक उभरता ब्रांड

खादी बाजार में पतंजलि का आना पिछले कुछ वर्षों में नए क्षेत्रों में प्रवेश करने की अपनी नीति को ध्यान में रखकर तय किया गया है, जिसने पहली बार 2006 में अपनी दवाएं लॉन्च की थीं। कंपनी बढ़ रहे उपभोक्ता माल (एफएमसीजी) बाजार में स्थापित बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बराबरी कर रही है और साथ हाई साथ कई अन्य चेजों में भी शामिल है।

इसके खादी कपड़े वस्त्र अनुभाग के अंतर्गत आएंगे, जिसकी पहली बार 2016 में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए घोषणा की गई थी। बालकृष्ण ने कहा, “हम खादी उद्योग को पुनः प्रचलित करने के कार्यक्रम के साथ उत्तरी भारत में कई हथकरघा बुनकरों के साथ काम कर रहे हैं। हमारे खादी उत्पाद 100 रुपए से कम से कम शुरू होने वाले सबसे सस्ते उत्पाद होंगे।”

अन्य क्षेत्रों की तरह ही इसके उत्पादों को भी पतंजलि ‘स्वदेशी’ मूल के रूप में बाजार में उतारेगा। बालकृष्ण ने कहा, “हमने हमेशा ‘स्वदेशी’ कार्यक्रम को कायम रखा है और स्वदेशी कपड़े बेचने के व्यवसाय में शामिल होने से हम स्वदेशी का समर्थन करने के अपने वादे को पूरा कर रहे हैं। खादी का उत्पादन ख़रीद सकने योग्य दरो  पर भारतियों द्वारा भारत में ही होना चाहिए। हमें विदेशियों या विदेशी कंपनियों द्वारा उत्पादित कपड़े नहीं पहनने चाहिए जो इसे लाभ के उद्देश्यों के लिए बेचते हैं।“

विशेष खुदरा दुकानों को शुरू करने के अलावा, यह देश भर में 15,000 खादी एवं ग्रोमोद्योग आयोग के केन्द्रों के माध्यम से अपना ब्रांड बेचने की भी योजना बना रहा है।

फरवरी में, केवीआईसी (भारत सरकार के तहत एक वैधानिक संस्था),  जो कि खादी को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों की योजना, तरक्की, व्यवस्थापन और कार्यान्वयन के लिए कार्यरत है, ने बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रस्ताव रखा और ‘खादी’ चिह्न के कथित अनाधिकृत उपयोग के लिए फैब इंडिया से 525 करोड़ रुपये की माँग की। केवीआईसी का तर्क है कि नई दिल्ली स्थित फर्म ‘खादी’ ट्रेडमार्क से संबंधित ख्याति को कभी न भर सकने वाला नुकसान पहुँचाने और भयंकर हानि का कारण बन गई है।

Read in English : Patanjali to enter khadi market dominated by Fabindia and state-owned KVIC

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