नई दिल्ली: दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में कथित ‘अवैध अतिक्रमण’ हटाए जाने को लेकर एक ज़बर्दस्त विवाद खड़ा हो गया है.
तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें सीपीआई(एम) नेता बृंदा करात एक जेसीबी बुलडोज़र का रास्ता रोक रही हैं और सुप्रीम कोर्ट के स्टे ऑर्डर का हवाला दे रही हैं, जिसमें जहांगीरपुरी में दुकानों और मकानों के खिलाफ चल रही डिमॉलिशन मुहिम की वैधता को चुनौती दी गई है.
एक और वायरल फोटो यूके पीएम बोरिस जॉनसन का है, जो वडोदरा में ब्रिटिश कंपनी जेसीबी के नए कारख़ाने में एक बुलडोज़र पर चढ़े हुए हैं.
#WATCH UK PM Boris Johnson along with Gujarat CM Bhupendra Patel visits JCB factory at Halol GIDC, Panchmahal in Gujarat
(Source: UK Pool) pic.twitter.com/Wki9PKAsDA
— ANI (@ANI) April 21, 2022
डिमॉलिशन कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए, बुलडोज़र के इस्तेमाल के सुर्ख़ियों में आने और मीम्स बनने के साथ ही, आपका ये सोचना लाज़िमी है कि ये अर्थमूवर्स किस तरह राजनीतिक संवाद में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं.
एक नज़र डालते हैं इस शब्द के 100 वर्ष से भी पुराने इतिहास पर, जिसका मतलब आरंभ में कुछ बिल्कुल अलग ही होता था.
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होल्ट्स प्रोटोटाइप – टैंक्स
बुलडोज़र को, जिस रूप में आज हम उसे जानते हैं, पहली बार 1904 में बेंजामिन होल्ट ने पारंपरिक ट्रैक्टरों के एक विकल्प के तौर पर तैयार किया था. एक आविष्कारक और अनाज काटने वाले होल्ट ने अपने प्रोटोटाइप का- जिसने बाद में कृषि व्यवसाय में एक क्रांति ला दी- कैलिफोर्निया में अपने फार्म पर टेस्ट किया.
वॉशिंग्टन पोस्ट के मुताबिक़ होल्ट की प्रोटो-बुलडोज़र जुगत डीज़ल-संचालित एक ट्रैक्शन मशीन थी, जो ‘ऐसी ज़मीन पर चलने में सक्षम थी, जिस पर घोड़े से खींचने वाले या पहियों वाले ट्रैक्टर नहीं चल सकते थे’.
अगले दशक में, वो सिद्धांत जो कृषि मशीनरी के साथ होल्ट के प्रयोग का आधार था, उसे सैन्य इस्तेमाल के लिए भी उपयुक्त पाया गया. इसी के नतीजे में आगे चलकर 1916 में पहले विश्व युद्ध के दौरान टैंकों का विकास हुआ.
पोस्ट की रिपोर्ट कहती है, ‘टैंक शब्द उस तरीक़े से शुरू हुआ, जिससे पृथम विश्व युद्ध के दौरान नए हथियार जहाज़ों के ज़रिए बाहरी देशों में भेजे जाते थे. ट्रैक्टर टायर के ऊपरी हिस्से के साथ बख़्तरबंद मशीनों को, एक ख़ुफिया हथियार समझा जाता था. इसलिए जब उन्हें जहाज़ों से भेजा जाता था, तो उनकी पहचान मिस्र में ब्रिटिश सैनिकों के लिए भेजे जाने वाले, पानी के टैंकों के तौर पर की जाती थी’.
कमिंग्स, मैकलियॉड पेटेंट
बुलडोज़र शब्द की जड़ें 19वीं सदी के अंत की अमेरिकी अंग्रेज़ी तक जाती हैं. इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1876 में दर्ज हुआ, जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले, दक्षिणी राज्य लुइसियाना में अफ्रीकी-अमेरिकी मतदाताओं को हिंसा से ‘धमकाने’ के उल्लेख के तौर इसका इस्तेमाल पर किया गया.
लेकिन दुनिया के पहले बुलडोज़र का अधिकारिक पेटेंट जेम्स कमिंग्स और जॉन मैकलियॉड के पास था. कंसास में मॉरोविल के निवासी इन दोनों व्यक्तियों को ये पेटेंट 1925 में दिया गया, जब उन्हें इसका आवेदन दिए हुए दो वर्ष हो चुके थे.
उसके बाद से कंसास के राज्य पर्यटन विभाग ने, अपने प्रांत के दुनिया के पहले बुलडोज़र का घर होने का दावा किया है, और कमिंग्स और मैकलियॉड के अविष्कार का ‘एक फोर्डसन ट्रैक्टर पर अनगढ़ तरीक़े से रखे गए एक ओक ब्लेड’ के तौर पर उल्लेख किया है. आज भी मॉरोविल के कमिंग्स पार्क में इस बुलडोज़र की एक नक़ल रखी हुई है.
पेटेंट दिए जाने के साथ ही ‘बुलडोज़र’ शब्द के डिक्शनरी अर्थ को विस्तार देकर, उसमें मशीन को शामिल कर लिया गया.
उसके बाद से अमेरिका-स्थित कैटरपिलर, जर्मन-स्विस फर्म लिबेर्रे, और जापान की कोमात्सु, दुनिया भर में बुलडोज़र निर्माण की सबसे बड़ी कंपनियां बनकर उभरी हैं.
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भारत में ‘JCB बुलडोज़र’
भारत में बुलडोज़र और जेसीबी शब्द एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं, जो एक ब्रिटिश निर्माता है. 1945 में स्थापित जेसी बैम्फोर्ड एक्सकेवेटर्स लिमिटेड, या जेसीबी, 1979 में पहली बार स्थानीय इंजीनियरिंग कंपनी एस्कॉर्ट्स के साथ एक संयुक्त उद्यम के रूप में भारत में दाख़िल हुई. कंपनी ने अपनी पहली फैक्ट्री दिल्ली के बाहरी इलाक़े बल्लभगढ़ में स्थापित की, जिसके बाद दूसरे शहरों में विस्तार किया.
2000 के दशक के अंत में, भारत में जेसीबी की आय में तेज़ी से उछाल आना शुरू हुआ, जब ब्रिटिश पेरेंट कंपनी ने एस्कॉर्ट्स के सभी स्टेक ख़रीद लिए. 2014 की लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने संचालन का विस्तार करने के लिए जेसीबी ने वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान दूसरी विदेशी कंस्ट्रक्शन कंपनियों द्वारा अपने संचालन में कटौती, और भारत से विनिवेश से पैदा हुई स्थिति का फायदा उठाया.
कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है, ‘बीते वर्षों में जेसीबी ने भारत में 2,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है, और इसके भारतीय ऑपरेशंस में आज 5,000 लोग काम करते हैं…अपने उत्पाद के निर्माण के लिए इसने एक स्वदेशी सप्लाई चेन बनाकर उसका समर्थन भी किया है. विश्व-स्तर के 380 से अधिक भारतीय सप्लायर्स, जेसीबी समूह के उद्देश्यों के साथ जुड़े हुए हैं, और विभिन्न सप्लायर विकास पहलक़दमियों के ज़रिए, जेसीबी के साथ साथ आगे बढ़े हैं’.
इंडियन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए, इकनॉमिक टाइम्स ने ख़बर दी, कि 2020 तक कोविड-19 महामारी के बीच, भारत में निर्माण उपकरणों की कुल 65,300 यूनिट्स की बिक्री हुई, जिसमें से 35,300 यूनिट्स अकेले जेसीबी की थीं.
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