scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमदेशभारत की उन्नति में 14 प्रधानमंत्रियों का क्या रहा है योगदान, PMs पर बने म्यूजियम में क्या क्या देखने को मिलेगा

भारत की उन्नति में 14 प्रधानमंत्रियों का क्या रहा है योगदान, PMs पर बने म्यूजियम में क्या क्या देखने को मिलेगा

दिल्ली के तीन मूर्ति कॉम्पलैक्स में 1,491 वर्ग मीटर में फैले प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन 14 अप्रैल को किया जाएगा. 271 करोड़ रुपये में बने इस म्युजियम में होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी, कंप्यूटरीकृत क्राइनोटिक मूर्तियां लगाई गई हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत की 75 सालों की उपलब्धियों और सभी 14 प्रधानमंत्रियों के योगदान को आम लोगों तक पहुंचाने वाले पीएम म्यूजियम का जल्द ही उद्घाटन होने वाला है. 1947 में आजादी के बाद से एक विश्व शक्ति के रूप में उभरते भारत से लेकर मई 1974 और मई 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण तक, पाकिस्तान के साथ 1965 का युद्ध समेत और भी बहुत कुछ है जिसे यहां प्रदर्शित किया जाएगा.

दिल्ली के तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में स्थित म्यूजियम का उद्घाटन भारत के संविधान निर्माता बी.आर.अंबेडकर की जयंती के दिन होगा. अंबेडकर और संविधान निर्माण पर म्यूजियम में एक अलग से सेक्शन बनाया गया है.

An inside view of the museum | Photo: Courtesy Ministry of Culture & Ministry of Information and Broadcasting
संग्रहालय के अंदर की तस्वीर | फोटो- संस्कृति मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय

एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘भारत के सभी प्रधानमंत्रियों ने भारत के विकास और उसे आगे तक ले जाने में अपना योगदान दिया है. म्यूजियम में हर एक प्रधानमंत्री के कार्यकाल को दर्शाया गया है. पद पर रहते हुए उनके सामने कैसी परिस्थितियां आई और उन्होंने इससे कैसे निपटा, उसकी जानकारी भी दी गई है.’

1947 के बाद से देश के 14 प्रधानमंत्रियों के बारे में जानकारी और भारत के विकास में उनके योगदान को यहां प्रदर्शित किया गया है. अब चाहे उनका संबंध किसी भी पार्टी या विचारधारा से रहा हो या उनकी कार्यालय की अवधि कितनी भी क्यों न रही हो. नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद दो बार देश के कार्यवाहक पीएम बने गुलजारी लाल नंदा भी प्रधानमंत्रियों के इस म्यूजियम का हिस्सा हैं.


यह भी पढ़ें: कानूनी क्षेत्र के सभी स्तरों पर महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर CJI रमन्ना ने जताया अफसोस


यह आम ‘ग्लास बॉक्स म्युजियम जैसा नहीं होगा

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 271 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुआ ये म्यूजियम 10,491वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो सामान्य ग्लास-बॉक्स डिस्प्ले म्युजियम जैसा नहीं होगा.

यह देश का पहला म्यूजियम है जहां सूचना को आसान और रोचक तरीके से प्रस्तुत करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित संचार सुविधाओं का इंतजाम किया गया है.

Inside the museum | Photo: Courtesy Ministry of Culture & Ministry of Information and Broadcasting
संग्रहालय के अंदर की तस्वीर | फोटो- संस्कृति मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय

प्रत्येक प्रधान मंत्री के कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रित करने के लिए होलोग्राम, वर्चुअल रियलिटी, ऑगगमेंटेड रियलिटी, मल्टी टच, मल्टीमीडिया, एलीईडी एंड प्रोजेक्शन, इंटरेक्टिव कियोस्क, कंप्यूटरीकृत काइनेटिक मूर्तियां स्मार्टफोन एप्लिकेशन इंटरेक्टिव स्क्रीन आदि लगाई गई है.

उदाहरण के लिए 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान किए गए पोखरण-1 परमाणु परीक्षण और अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान 1998 में पोखरण-11 परीक्षण दोनों को मल्टीमीडिया के जरिए दिखाया जाएगा.

सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘भारत की परमाणु रणनीति की पृष्ठभूमि बनाते हुए, बैकग्राउंड में चलने वाली एक ऑडियो विजुअल कमेंट्री लोगों को बताएगी कि दोनों घटनाएं जुड़ी हुई हैं.’

इसी तर्ज पर शास्त्री जी के कार्यकाल को दर्शाने के लिए 1965 में हुए भारत पाकिस्तान के युद्ध की झलकियां प्रदर्शित की जाएंगी.

म्यूजियम में सदियों से चली आ रही भारतीय परंपरा की कहानी भी पेश की जाएगी फिर चाहे वह आर्थिक स्थिति के बारे में हो या फिर विदेश नीति के बारे में. सरकारी अधिकारी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘इसके पीछे विचारधारा यही है कि इस बात को प्रमुखता से दिखाया जाए कि हमारे देश ने कहां से शुरुआत की थी और आज वह कहां है.’

म्यूजियम के बारे में ट्वीट करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने शनिवार को लिखा, ‘प्रधानमंत्री म्यूजियम में अब तक रहे सभी प्रधानमंत्रियों के अभिलेख,उनका व्यक्तिगत सामान ,यादगार वस्तुएं, उनके भाषण , उनकी विचारधारा को दर्शाते दस्तावेज और उनकी जिंदगी से जुड़ी कई चीजों को प्रासंगिक तरीके से प्रतिबिंबित किया जाएगा.

वे आगे बताती हैं कि नेहरू म्यूजियम को भी इसमें शामिल किया जाएगा,जिसे अब एक नया रूप दे दिया गया है. यहां अब जवाहरलाल नेहरू के योगदान को आधुनिक तकनीक के जरिए प्रदर्शित किया जा सकेगा.

सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमारे देश में संस्थागत स्मृति का अस्तित्व है ही नहीं और लोकप्रियता ज्यादा समय तक लोगों के जेहन में नहीं रहती. इतिहास की भी इतनी समझ हमें नहीं है. इसी खाई को भरने के लिए इस म्यूजियम की नींव रखी गई है.’


यह भी पढ़ें: जेएनयू के कुछ छात्रों ने मुझसे रामनवमी के दिन चिकन की आपूर्ति नहीं करने को कहा था: मांस विक्रेता


पीएम के म्यूजियम में अंबेडकर को भी मिली जगह

सूत्रों के अनुसार, अशोक चिन्ह पकड़े हुए भारतीय लोगों के हाथ भारतीय प्रधानमंत्री म्यूजियम का प्रतीक चिन्ह है. यह हमारे देश और लोकतंत्र का भी प्रतीक है.

Inside the museum | Photo: Courtesy Ministry of Culture & Ministry of Information & Broadcasting
संग्रहालय के अंदर की तस्वीर | फोटो- संस्कृति मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय

संविधान बनाने के पीछे जिन लोगों का योगदान रहा है उनको भी म्यूजियम में प्रदर्शित किया जाएगा. प्रधानमंत्री के लिए बने म्यूजियम में अंबेडकर को शामिल किए जाने पर सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमारे देश में संविधान के बिना ना तो प्रधानमंत्री और ना ही सरकार कार्य कर सकती है. संविधान लोकतंत्र और सरकार के लिए एक मजबूत स्तंभ है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : शिवसेना दफ्तर के बाहर लगे पोस्टर में MNS का दावा, बालासाहेब के ‘सच्चे वारिस’ हैं राज ठाकरे


share & View comments