नई दिल्लीः आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने खाद्य सुरक्षा स्कीम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के जरिए भारत में गरीबी उच्च स्तर पर बढ़ने पर रोक लगा दी.
आईएमएफ के पेपर के मुताबिक भारत में अति गरीबी का प्रतिशत (क्रय शक्ति क्षमता के अनुसार प्रति व्यक्ति 1.9 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 125 रुपये से कम) एक से कम था जो कि महामारी के दौरा साल 2020 में भी उतना ही बना रहा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के दौरान अति गरीबी को बढ़ने से रोकने में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का काफी बड़ा योगदान रहा है.
इसके मुताबिक दो लगातार सालों के अति गरीबी आंकड़ों को देखें, खासकर महामारी के दौरान तो पता लगता है कि इस योजना से एक तरह से इसमें कमी आई है. साथ ही कोविड-19 की वजह से तमाम लोगों की आय का जरिया छिन जाने की वजह से गरीबी में होने वाली बढ़ोत्तरी पर लगाम लगी.
इस बीच पीएम मोदी ने पिछले महीने पीएमजीकेएवाई को इस साल सितंबर 2022 तक बढ़ाने की घोषणा की. इस योजना के तहत जरूरत मंदों को मुफ्त में राशन दिया जाता है.
इस स्कीम की शुरुआत देश में कोविड-19 महामारी के दौरान मार्च 2020 में की गई थी और पिछले साल नवंबर में इसे मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था. इस स्कीम के तहत नेशनल फूड सिक्युरिटी ऐक्ट के जरिए मिलने वाले राशन के अलावा प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो राशन मिलता है. यह लाभ डीबीटी सहित एनएफएसए के अंतर्गत आने वाले लोगों को ही मिलता है.
सरकार ने मार्च 2020 में घोषणा की कि कोविड-19 के दौर में एनएफएसए के तहत करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) दिया गया ताकि भोजन के लिए किसी को परेशान न होना पड़े.
आईएमएफ ने कहा कि महामारी अचानक से आने वाला काफी बड़ा झटका था इसलिए अस्थाई तौर पर राजस्व नीति में परिवर्तन करना काफी अच्छा कदम था.
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