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Friday, 22 November, 2024
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तेलंगाना में विपक्षी पदयात्राओं की गर्मी, BJP, कांग्रेस, AAP और YSR की बेटी सड़कों पर उतरीं

पदयात्राएं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कोई नई धारणा नहीं हैं. स्वर्गीय आंध्र सीएम वाईएस राजखेशर रेड्डी राज्य के पहले नेताओं में थे, जो पदयात्रा पर निकले थे.

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हैदराबाद: तेलंगाना में गर्मी तेज़ी से बढ़ रही है और ये तेज़ी सिर्फ तापमान की नहीं है. राज्य में दिन-रात के बढ़ते तापमान जो 40 डिग्री तक पहुंच गया है, हालांकि गर्मियां अभी शुरू ही हुई है से कदम मिलाते हुए विपक्षी पार्टियों ने राजनीतिक तापमान बढ़ाने के लिए भी पूरी तरह कमर कस ली है.

बीजेपी और कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और पूर्व आंध्र सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी वाईएस शर्मिला की वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) तक, कई पार्टियों ने सिलसिलेवार पदयात्राएं और जनसभाएं आयोजित करने की तैयारियां की हैं, जिनका मक़सद चुनावों के लिए कमर कसना है.

हालांकि सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के सियासी दबदबे ने, 2018 के विधान सभा चुनावों में विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी, लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों से बीजेपी, तेलंगाना में अपनी मौजूदगी का अहसास करा रही है.

बीजेपी ने 2020 और 2021 के दो उप-चुनावों में भी टीआरएस को हराया था और दिसंबर 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में भी ज़बर्दस्त प्रदर्शन किया था.

तेलंगाना में पार्टी की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय की सराहना की थी.

प्रदेश बीजेपी प्रमुख, जो मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के आलोचक हैं, 14 अप्रैल को अपनी पदयात्रा का दूसरा चरण- प्रजा संग्राम- शुरू करने जा रहे हैं, जिस दिन बीआर आम्बेडकर की जयंती भी है. ये यात्रा 300 किलोमीटर की होगी. संजय ने यात्रा का पहला चरण पिछले साल पूरा किया था, जब उन्होंने 36 दिनों में 438 किलोमीटर की यात्रा की थी.

पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि संजय की आगामी यात्रा में पहले दिन शाह उनका साथ दे सकते हैं.

इसी बीच, पिछले महीने पंजाब विधान सभा में अपनी विजय के रथ पर सवार आम आदमी पार्टी (आप) भी, तेलंगाना में प्रवेश के लिए तैयार है.

आप ने भी 14 अप्रैल का दिन चुना है, जब दिल्ली के विधायक और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती सूबे में अपनी यात्रा शुरू करेंगे. पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली सीएम और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल के भी, पदयात्रा के प्रारंभ में शरीक होने की संभावना है.

भारती ने दिप्रिंट से कहा, ‘अरविंद केजरीवाल के शासन के ख़रीदार हर जगह मौजूद हैं. आप ने हाल ही में पंजाब और दूसरे सूबों में भी इसे साबित कर दिया है. अपनी पदयात्रा के साथ हमारा लक्ष्य हर गांव तथा तेलंगाने के कोने कोने तक पहुंचना है, ऐसे लोगों तक पहुंचना है जो सत्ताधारी सरकार से ख़ुश नहीं हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘बीजेपी ने तेलंगाना में पदयात्रा की घोषणा, आप के ऐलान के बाद की है. उन्हें डर है कि आप राज्य में (राजनीतिक) ज़मीन क़ब्ज़ा लेगी’.

इस बीच, कांग्रेस प्रदेश प्रमुख रेवंत रेड्डी भी, अपने पब्लिक आउटरीच प्रोग्राम को जारी रखने जा रहे हैं- ‘माना ऊरू, माना पोरू’, जिसका मोटा मोटा अर्थ है ‘हमारा गांव, हमारी लड़ाई’- जिसके अंतर्गत सांसद अलग अलग चुनाव क्षेत्रों में जन सभाएं करते हैं.

रेड्डी ने अपना कार्यक्रम फरवरी में शुरू किया था, जिसका मक़सद सत्तारूढ़ पार्टी के ‘अधूरे चुनावी वादों’ को लोगों के सामने रखना था. उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो 2 लाख सरकारी नौकरियां उपलब्ध कराई जाएंगी.

वाईएस शर्मिला भी, जिन्होंने पिछले साल जुलाई में वाईएसआरटीपी शुरू की थी, पिछले डेढ़ महीने से एक पदयात्रा पर हैं, और राज्य में अपना जनाधार फैलाने की कोशिश कर रही हैं.

विपक्षी की गतिविधियां ऐसे समय पर तेज़ हुई है, जब राज्य में विधान सभा चुनाव जल्द कराए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं- तेलंगाना में विधान सभी चुनाव अगले साल होने हैं. लेकिन सीएम ने न केवल जल्द चुनावों की संभावना से इनकार किया है, बल्कि विपक्ष की पदयात्राओं को भी एक पुरानी चाल बताकर ख़ारिज कर दिया है.


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सियासी फायदे के लिए पदयात्राएं

दोनों तेलुगू सूबों- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में, जिसे 2014 में आंध्र से काटकर अलग किया गया था, पदयात्राएं कोई नई धारणा नहीं हैं.

स्वर्गीय आंध्र सीएम वाईएस राजखेशर रेड्डी, राज्य के पहले नेताओं में थे जो 2003 में एक पदयात्रा पर निकले थे.

किसानों के मुद्दों के बारे में और अधिक जानने के लिए, उन्होंने 60 दिन में क़रीब 1,500 किलोमीटर की दूरी तय की थी. 2004 के असेम्बली चुनावों में, उनके तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू के नीचे से कुर्सी खींचने का श्रेय इसी यात्रा को दिया जाता है.

उसके बाद से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों में, बहुत से नेताओं ने वाईएसआर के क़दमों पर चलते हुए- आम लोगों तक पहुंचने और राजनीतिक फायदे सुनिश्चित करने के लिए पदयात्राएं कीं.

2013 में पूर्व आंध्र सीएम चंद्रबाबू नायडू ने, पूरे राज्य में 2,800 किलोमीटर की एक महायात्रा की थी. 2014 में जब आंध्र का विभाजन हुआ, तो नायडू उसके सीएम बन गए.

आंध्र सीएम और वाईएसआर के बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने, 2019 के विधान सभा चुनावों से पहले, 341 दिनों में 3,648 किलोमीटर की यात्रा की थी. इसके बाद उन्हें चुनावों में ज़बर्दस्त जीत हासिल हुई, और बतौर आंध्र सीएम उन्होंने अपना पहला कार्यकाल शुरू किया.

वाईएसआर की बेटी वाईएस शर्मिला भी पदयात्रा से अंजान नहीं हैं. 2019 में अपने भाई का प्रचार करते हुए कुछ यात्राओं में हिस्सा लेने के बाद, शर्मिला ने अपनी वाईएसआरटीपी लॉन्च कर दी. फिलहाल वो अपनी ‘प्रजा प्रस्थानम पदयात्रा’ पर निकली हुई हैं.

पदयात्रा से उनका उद्देश्य अपने पिता के आदर्श‘राजन्ना राज्यम’ (वाईएसआर का शासन) को, तेलंगाना में लाने का मक़सद हासिल करना है

एक वाईएसआरटीपी नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा,‘उन्होंने (रविवार तक) अपनी पदयात्रा के 44 दिन पहले ही पूरे कर लिए हैं, और अप्रैल में भी वो इसे जारी रखेंगी. इस महीने उनका फोकस खम्मम को कवर करने पर होगा. वो एक दिन में अमूमन 16 किलोमीटर चलती हैं’.

लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, कि पदयात्राओं में अब वो आकर्षण और जन-संपर्क नहीं रहा है, जो पहले कभी हुआ करता था.

राजनीतिक विश्लेषक पलवाई राघवेंद्र रेड्डी ने दिप्रिंट से कहा, ‘जब वाईएसआर ने अपनी पदयात्रा शुरू की थी, और गर्मी के बावजूद उसे पूरा किया था, तो उसमें एक नई बात थी. ऐसा करने वाले वो अकेले नेता थे, और एक पूरी मशीनरी थी जो पूरे आंध्र में उनके विचारों का प्रचार करती थी. उस नएपन के कारण ही वो टीडीपी-विरोधी वोटों को कांग्रेस तथा उसके सहयोगियों के पक्ष में, एकजुट करने में सफल हो पाए’.

उन्होंने आगे कहा: ‘पिछले कुछ सालों में, ज़्यादा राजनेता इस रास्ते पर चल रहे हैं, और अब लोग इसे किसी सार्वजनिक एजेंडा को उजागर करने वाली नहीं, बल्कि हास्यास्पद हरकत की तरह देखते हैं. और गर्मियों के महीनों में ऐसा करना ये दिखाने की एक तरकीब है कि ‘लोगों के हित’ में वो किस तरह ख़ुद को तकलीफ पहुंचा रहे हैं’.


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TRS ने अलग रास्ता अपनाया

तेलंगाना में राजनीतिक पार्टियों द्वारा आयोजित, सभी मौजूदा पदयात्राओं और सार्वजनिक आउटरीच कार्यक्रमों में, उठाए जा रहे सब मुद्दे एक जैसे हैं. चाहे वो शर्मिला हों, रेवंत रेड्डी हों, या फिर बंदी संजय, सभी का ज़ोर किसानों के मुद्दों, बेरोज़गारी, और पेंशन पर है.

पिछले साल प्रेस से एक मुलाक़ात में, केसीआर ने पदयात्राओं को एक पुरानी और थकी हुई धारणा क़रार दिया, और संकेत दिया कि वो कभी ऐसी किसी यात्रा पर नहीं जाएंगे.

सत्ताधारी टीआरएस ने धान ख़रीद के मुद्दे पर, केंद्र के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद किया हुआ है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और तेलंगाना आईटी मंत्री केटी रामाराव ने शनिवार को कहा, कि अप्रैल में पार्टी एक पांच तरफा विरोध करने की तैयारी कर रही है.

इस कार्यक्रम में, जो मंडल स्तर पर शुरू होगा और अंत में संसद तक पहुंचेगा, 4 अप्रैल को राज्य के सभी मंडल मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किए जाए जाएंगे.

राव ने आगे कहा कि 6 अप्रैल को, टीआरएस कार्यकर्त्ता मुम्बई, नागपुर, बेंगलुरू, और विजयवाड़ा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गं पर रास्ता रोकेंगे. 7 अप्रैल को हैदराबाद को छोड़कर, सभी ज़िला मुख्यालयों पर लाखों की संख्या में किसान प्रदर्शन करेंगे. 8 अप्रैल को, किसान राज्य की 12,769 पंचायतों पर काले झंडे फहराएंगे. इसके अलावा रैलियां भी की जाएंगी.

11 अप्रैल को, टीआरएस मंत्री और जनप्रतिनिधि संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे, और पार्टी सांसद भी सदन के भीतर अपना विरोध जताएंगे.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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