नई दिल्ली: भारत में चीन के राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन को द्विपक्षीय संबंधों में ‘दीर्घकालिक दृष्टिकोण’ को अपनाते हुए भारत-चीन संबंधों को ‘सही रास्ते’ पर रखने की दिशा में काम करना चाहिए.
चीनी राजदूत भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 72वीं वर्षगांठ के अवसर पर बोल रहे थे.
चीनी राजदूत ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘आज #चीन और #भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 72वीं वर्षगांठ है. आइए दीर्घकालिक दृष्टिकोण, सभी के लिए लाभ की मानसिकता और सहकारी रूख पर कायम रहें, द्विपक्षीय संबंधों के विकास को सही राह पर रखें और हमारे लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाएं.’
Today marks the 72nd anniversary of establishment of diplomatic ties b/t #China & #India. Let's stick to long-term perspective, win-win mentality & cooperative posture, keep the development of bilateral relations on the right course & bring more benefits to our peoples.
— Sun Weidong (@China_Amb_India) April 1, 2022
बता दें कि भारत-चीन ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों के आधार पर 1950 के दशक में आपसी राजनयिक संबंध स्थापित किए थे.
चीनी राजदूत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब बीजिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, जिसकी मेजबानी इस साल हमारा यह पड़ोसी देश कर रहा है, में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करने के प्रति उत्सुक है .
रूस भी बेहतर भारत-चीन संबंधों पर जोर दे सकता है
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री की उपस्थिति सुनिश्चित करना भी उन कारणों में एक था जिसकी वजह से चीनी विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी 25 मार्च को भारत के तूफानी दौरे पर आए थे.
हालांकि, वांग के साथ अपनी मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनसे स्पष्ट रूप से कहा था कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
भारत और चीन लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में अप्रैल-मई 2020 से ही सीमा पर एक कड़े गतिरोध शामिल हैं, जिसके तहत जून 2020 में गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की हत्या भी हुई थी.
उसके बाद से सैन्य कमांडरों और राजनयिकों के स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है, लेकिन सीमा के दोनों तरफ बड़ी संख्या में सैनिकों के जमावड़े के बने रहने के साथ ‘डिसेंगेजमेन्ट’ और ‘डिएसकेलेशन’ की प्रक्रिया उतनी तेजी से नहीं हुई.
भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के विषय का रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव द्वारा शुक्रवार को भारत में उनकी बैठकों के दौरान उनके एजेंडे में भी शामिल होने की संभावना है. लावरोव द्वारा भारत से ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के साथ-साथ रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय वार्ता को भी आगे बढ़ाने का आग्रह किये जाने की उम्मीद है. वह इन देशों के बीच रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार करने का भी लक्ष्य रख सकते हैं, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के कारण रूस को अभूतपूर्व आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
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