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Thursday, 21 November, 2024
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पंजाब के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा- कांग्रेस में बदलाव की ज़रूरत, लेकिन गांधी परिवार के बिना नहीं

2022 के पंजाब चुनावों में कांग्रेस की हार के कुछ दिनों बाद दिप्रिंट से बात करते हुए, सुनील जाखड़ ने पार्टी की योजनाओं के बारे में बात की. उन्होंने 'अधूरे एजेंडे' के बारे में भी बात की जो सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया.

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नई दिल्ली: ‘मैं कांग्रेस को राहुल, प्रियंका और मिसेज (सोनिया) गांधी के बिना नहीं देखता हूं.’ ये बातें पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कही है.

हालांकि, वह इस बात को स्वीकार कर करते हैं कि कांग्रेस में सांगठनिक स्तर पर बदलाव किए जाने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा, वह ‘फिर से चन्नी वाली हालत नहीं चाहते, जहां आपने जो बदलाव किया है वह पहले से भी खराब हो.’

‘चन्नी वाली हालत’ से उनका मतलब चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद के हालात से था. पिछले साल कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था. उन्होंने कहा, ‘उत्तराधिकारी चुनने की सही योजना ज़रूरी है, चुना गया नेता विश्वसनीय होना चाहिए.’

2022 के पंजाब चुनावों में कांग्रेस की हार के कुछ दिनों बाद दिप्रिंट से बात करते हुए, सुनील जाखड़ ने पार्टी की योजनाओं के बारे में बात की. उन्होंने ‘अधूरे एजेंडे’ के बारे में भी बात की जो सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया.

इस साल के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में 18 सीटों पर सिमट गई. जाखड़ ने राज्य में खराब प्रदर्शन के लिए, राज्य इकाई में कई नेताओं, के साथ ही गांधी परिवार को भी दोषी ठहराया. साल 2017 में कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही थी.

उनके मुताबिक, गांधी परिवार, ‘लोगों के चरित्र को समझ नहीं पाता है… उन्होंने हरीश (रावत) और चन्नी पर भरोसा किया’, लेकिन ‘एकता बनाए रखने के लिए पार्टी को उन्हें जोड़कर रखने की ज़रूरत है.’

रावत पिछले साल अक्टूबर तक पंजाब के अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी रहे. वहीं, चन्नी ने पिछले सितंबर में पंजाब के पहले दलित सीएम के रूप में शपथ ली.

पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और राज्य पार्टी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के बीच संघर्ष के बाद चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद अमरिंदर सिंह ने पार्टी छोड़ दी. हालांकि, इसके बाद भी तनाव बना रहा और पार्टी के नेता एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से कटाक्ष करते रहे.

जाखड़ ने हार के लिए चन्नी, रावत, सिंधू और सीनियर नेता अंबिका सोनी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ‘कांग्रेस मजाक की पात्र बन गई.’

जाखड़ की ये टिप्पणी, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद आई है. मतदान के नतीजे का विश्लेषण करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था. इस दौरान, गांधी परिवार ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस्तीफा देने की पेशकश की. हालांकि, सीडब्ल्यूसी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

विचार-विमर्श के बाद, वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने स्वीकार किया कि आलाकमान को पार्टी के भीतर अन्य नेताओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए.

जाखर को कांग्रेस में हिंदू चेहरे के तौर पर जाता है. उन्होंने नेतृत्व के विकल्पों और अन्य कांग्रेस नेताओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि कई ‘या तो कॉर्पोरेट घरानों या अन्य पार्टियों के पेरोल पर थे’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को बदलाव की जरूरत है लेकिन पंजाब से सीखना चाहिए.’

चन्नी अमरिंदर के ‘सस्ते नकल’

जाखड़ ने पंजाब चुनाव के परिणामों को बदलाव के लिए किया गया वोट और कांग्रेस के खिलाफ किया गया वोट बताया. उन्होंने चन्नी की वजह से विवादों और उनकी ‘फसाद’ को जिम्मेदार ठहराया. राज्य के हालिया चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 92 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है.

उन्होंने कहा, ‘हमने बीमारी का निदान किया, लेकिन दवा बीमारी से कहीं ज्यादा खराब थी. विकल्प उस व्यक्ति की तुलना में बहुत खराब था जिसे हमने बदला था.’

उन्होंने कहा कि चन्नी की मुख्य योग्यता यह थी कि वह ‘गरीब, ईमानदार और दलित’ थे. लेकिन, यह ‘छवि ध्वस्त हो गई’, जब प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी में चन्नी के भतीजे और उनके सहयोगियों से कथित तौर पर 10 करोड़ रुपये बरामद किए गए.

उन्होंने पूर्व सीएम को अमरिंदर की ‘सस्ती नकल’ कहा. उन्होंने कहा कि चन्नी से पहले के मुख्यमंत्री में ‘आकर्षण और आभा’ थी.

जाखड़ ने कहा, ‘चन्नी ने कांग्रेस पार्टी को उपहास का पात्र बना दिया.’

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से कि उन्होंने चन्नी को लेकर चिंता जाहिर की थी और उन्हें अपना नेता मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि यही वजह थी कि ‘उन्होंने सीएम पद के ऑफर को ठुकरा दिया था.’

जाखड़ ने पंजाब में चुनाव समन्वय समिति की अध्यक्ष अंबिका सोनी का जिक्र करते हुए ‘पीबीआई (पंजाबी) महिला’ की खुले तौर पर आलोचना की. अंबिका ने कहा था कि पंजाब का मुख्यमंत्री कोई सिख होना चाहिए.

जाखड़ ने कहा कि वह सक्रिय राजनीति में आने की नहीं सोच रहे हैं, लेकिन उनका ‘एक अधूरा एजेंडा’ है… राजनीति को धार्मिक पहचान से जोड़ने की वजह से सोनी को कांग्रेस से बाहर निकालना.’

जाखड़ ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री चुनने के लिए आयोजित कांग्रेस की एक मीटिंग में सोनी ने उनके नाम का विरोध किया था, इसके बावजूद कि पंजाब कांग्रेस के सदस्यों में सबसे ज़्यादा उनके नाम पर वोट मिले थे.

जाखड़ ने कहा कहा, ‘उन्होंने (अंबिका सोनी) ने कहा कि एक हिन्दू पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है, क्योंकि अगर पंजाब में सिख मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है, तो वह कहां पर सीएम बनेगा’

उन्होंने कहा, ‘क्या हो अगर कल को बीजेपी का कोई नेता कहे कि ‘सिर्फ़ हिन्दू ही भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है, क्योंकि वह किस देश में प्रधानमंत्री बन सकता है.’ इस तरह की सोच कांग्रेस के लिए नुकसानदेह है और उन्होंने पार्टी को नाजुक हालत में पहुंचा दिया है.’

‘पंजाब, दिल्ली की तरह नहीं है’

पंजाब के चुनाव में, कांग्रेस के वोट शेयर में 22.98 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इस पर, जाखड़ ने कहा कि अब समय की जरूरत है कि ‘पार्टी के टॉप लेवल पर एक योग्य नेता होना चाहिए, जो पार्टी कार्यकर्ताओं में फिर से उत्साह भर दे… वर्तमान में जो हालात हैं, उसे देखकर भ्रम की स्थिति है.’

उन्होंने कहा, ‘सिद्धू में लोगों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता की कमी है. वे केवल अपने बारे में सोचते हैं. अगर वह एक ईमानदार व्यक्ति होते, तो इतनी हार के बाद इस्तीफा दे देते.’

बुधवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि विधानसभा चुनाव परिणामों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के प्रदेश कमेटी अध्यक्षों को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए, जिसका पालन करते हुए सिद्धू ने अपना इस्तीफा दे दिया.

आप के जनादेश के बारे में बताते हुए, जाखड़ ने कहा, ‘पंजाब, दिल्ली की तरह नहीं है’, और ‘स्कूलों से लेकर नौकरशाह अधिकारियों तक, राज्य में सब कुछ अलग तरह से चलता है.’

पंजाब में, आम आदमी पार्टी का कैंपेन का बड़ा हिस्सा, दिल्ली मॉडल को पंजाब में लाने पर केंद्रित था. खास तौर से शिक्षा का मॉडल का खूब प्रचार किया गया था. इस सेक्टर में आप ने सरकारी स्कूलों को नया रूप दिया है और वहां पर स्विमिंग पूल का निर्माण तक कराया है.

शिक्षा मॉडल के बारे में जाखड़ ने कहा कि पंजाब में 30,000 से ज़्यादा स्कूल हैं, जबकि इसकी तुलना में दिल्ली में मात्र 3,000 स्कूल भी नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘स्विमिंग पूल पर तो बाद में आएंगे, सिर्फ साफ-सफाई की स्थिति और पीने का पानी सुनिश्चित करना ही, आप के लिए एक बहुत बड़ा काम होगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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