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Friday, 22 November, 2024
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पतंजलि की जबरदस्त सफलता का राज़ : नई पीढ़ी के भारतीय युवा

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नई पीढ़ी के युवा भारतीय इस हिप्सटर सबकल्चर (स्थापित संस्कृति) को खूब गले लगा रहे हैं और जितना कि इस संस्कृति से पतंजलि को लाभ हुआ है, उतना लाभ किसी अन्य कम्पनी को नहीं हुआ।

विश्व में, हिप्सटर सबकल्चर (स्थापित संस्कृति) के उदय को फिर से देखा जा रहा है। नारियल के गोले और मिट्टी के कप में पेय तथा लकड़ी के पटले पर भोजन परोसा जा रहा है। हमारे भोजन से लेकर कपड़ों तक सब कुछ कार्बनिक है। हजारों सालों से भारतीय इस हिप्सटर सबकल्चर (स्थापित संस्कृति) को गले लगा रहे हैं और जितना कि इस संस्कृति से पतंजलि को लाभ हुआ है उतना लाभ किसी अन्य कम्पनी को नहीं हुआ।

कुछ साल पहले, पतंजलि ने उन समूहों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया था, जिनकी अपेक्षा की गई थी – सेवानिवृत्त चाचा और चाची, जो अपनी अधेड़ उम्र की परेशानियों से गुजर रहे हैं और या फिर, ग्रामीण क्षेत्र, जहाँ किसी भी बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवाएं अभी भी दूध और घी ही मानी जाती हैं। लेकिन पतंजलि की उल्कात्मक सफलता का गुप्त घटक नया पीढ़ी है: भारतीय युवा पीढ़ी।

एक वैश्वीकृत उपभोक्ता संस्कृति में, वैश्विक ब्रांड इसे किसी भी तरह से नई पीढ़ी के युवा के लिए कटौती नहीं करते हैं।
वे उनका उपयोग कर सकते हैं लेकिन वे नहीं चाहते हैं कि यह उनकी सांस्कृतिक गौरव को कोई भी क्षति पहुँचाए। आयुर्वेद फिर से प्रचलन में है। जैसा कि वेदों के प्राचीन ज्ञान के बारे में कोई बात हो। उस जगह पतंजलि का आकर्षण पहले आता है। किसने सोचा होगा कि लकड़ी से बने चूरन या च्वयनप्राश को बेचने के बारे में, लेकिन अब वर्तमान में यह नूडल्स, एलोवेरा जेल, फेस पैक, कंडीशनर और हेल्थ बार बेच रहे हैं और अब बात करते पतंजलि के कपड़ों की।
यहाँ तक कि फैब इंडिया, जो दिल्ली के आधे भारतीय युवाओ के कपड़ों का एकमात्र सप्लायर प्रतीत होता है, लेकिन बाबा (पतंजलि) के मानदंडो के हिसाब से वह भी पर्याप्त स्वदेशी नहीं है।

युवा पीढ़ी के सभी भारतीय इसे हाथो हाथ ले रहे हैं। लेकिन एक महत्वपूर्ण विरोध के साथ। यह अभी भी बाबा रामदेव का मजाक बनाने के लिए अच्छा है।

वह भले ही एक वहुत बड़े व्यापारी हो गए हों लेकिन शायद उनको यह नहीं पता कि वह अभी तक फेसबुक और ट्विटर  पर चुटकुलों और इन्टरनेट पे हुए वाइरल मजाकिया चलचित्र या फोटो द्वारा मज़ाक का एक जरिया बने हुए हैं। लेकिन जैसा कि हम मजाक उड़ाते हैं उनका व्यापार उतना ही बड़ा होता जा रहा है। आप किस ब्रांड के बारे में सोच सकते हैं जहाँ बिक्री बढ़ने के बावजूद मालिक और उत्पाद मॉडल की निंदा की जाती है?

इसलिए, हर बार जब एक दोस्त जो आमतौर पर पतंजलि हेल्थ बार के केसरिया रैपर को खोलकर उसका मजाक उड़ाता है तो यह देखकर मैं हैरत में पड़ जाती हूँ।

सुरक्षा हमेशा कुछ इस तरह दिखाई देती है, “इसका स्वाद बहुत ही बेहतरीन है और यह मेरी भूख मिटाता है साथ ही यह सस्ता भी है” या “यह एक स्वदेशी उत्पाद है।“

पतंजलि के भारतीय उद्योग में उतरने के पहले, आयुर्वेदिक ब्यूटी ब्रांड वास्तव में उच्चवर्ग के उपयोग करने लायक और अवहनीय होते थे। लेकिन पतंजलि ने भारतीय युवाओं को कम कीमत के साथ भारतीयता के गर्व का एक प्रमुख मिश्रण प्रदान किया है।

एक और मित्र पतंजलि के बचाव के लिए सामने आती है, वह अपना ऐप्पल का लेपटॉप घुमाते हुए बिग बाजार की वेबसाइट पर उत्पादों की कीमत दिखाती है कि “डूड सी द प्राइस‘ (दोस्त कीमत तो देखो)। देखो यह कितना सस्ता है और सबसे अच्छी बात यह कि यह स्वदेशी है। मेरा मतलब है अगर आप अपने बालों में कैमिकलों का उपयोग करने जा रहे हैं, जो चीन या विदेशों से कहीं से भी मंगाए जाते हैं तो उनके बजाय आप किसी स्वदेशी उत्पाद का उपयोग कर सकते हैं यह मेरी देशभक्ति है।“

“लड़की ने कहा कि उसने कल रात 1,800 रुपये का मोरक्कन तेल खरीदा था,“ मजाक उड़ाते हुए।

“हाँ, और मैं अपने पतंजलि शैम्पू के साथ उस मोरक्कन तेल का उपयोग करूंगी, “पहली लड़की ने दोबारा जवाब दिया।
मैंने उस बातचीत को होने दिया, मै आधी आश्वस्त थी कि कुछ तो है जिसको मुझे उपयोग में लाना चाहेए लकिन सावधानी बरतने के साथ । कौन जाने, की मैं अपनी विचारधारा को खतरे में डाल सकती हूँ और खत्म कर सकती हूँ या वास्तव में उत्पादों का आनंद ले रही हूँ।

चाहे हम इसे पसंद करें या न करें, ऐसा लगता है कि युवाओं के बीच पतंजलि की बढ़ती मांग अब रुकने वाली नहीं है वे वामपंथी, केंद्र या उदारवादी,आर्थिक रूप से दक्षिणपंथी लेकिन सामाजिक रूप से वामपंथी गिरोह, फैब इंडिया वेयरिंग क्रांतिकारी, हल्ला-बोल स्ट्रीट थियेटर ग्रुप, टिंडर-स्वाइपिंग टीनेजर्स और कैम्पस प्रोटेस्टर्स हो सकते हैं। हम में से कई लोग जानते हैं कि ‘स्वदेशी प्रोडक्ट’ की अवधारणा प्रचलित विषाक्त राष्ट्रवाद में एक मार्केटिंग गिमिक फीडिंग है।

हम में से कई जानते हैं कि ‘स्वदेशी उत्पादों’ की अवधारणा प्रचलित विषाक्त राष्ट्रवाद में की मार्केटिंग चीज है। लेकिन यह टूथपेस्ट लेने के लिए बहुत मोहक है जिसकी लगत आधी है अपने व्यापक समकक्ष विदशी उत्पाद से , खासकर जब आपके पास केवल 2,000 रुपये का भत्ता होता है,और कई सारी 10 रुपये की चाय परिसर में धार्मिक कट्टरतावाद की राजनीति पर चर्चा करने के लिए उपलब्ध है ।

‘द वेस्ट’ योग गुरुओं के बारे में एक तरह का, हालो-एड स्टीरियोटाइप है। बाबा रामदेव ने उन सभी को नष्ट कर दिया है। वह शांत, चुपचाप और दुनिया से अलग नहीं हैं। वह एक तेज-तर्रार राजनीतिक हैं और उनके पास एक सर्वोत्कृष्ट विक्रेता का उद्यम है। उनकी व्यापार वृद्धि व्हाट्सएप पर आधारित है जो हानिकारक नूडल्स और इसी तरह से स्वदेशी अफवाहों को फैलाने का काम करता है – इन दिनों चुनाव जीत से लेकर सांप्रदायिक दंगों तक हर चीज के लिए यह एक सरल मार्ग है।

मेरे एक कट्टर वामपंथी मित्र ने कहा कि जब उत्पादों को स्वदेशी और आयुर्वेदिक होने के लिए पसंद किया जा रहा है और उनको बढ़ावा दिया जा रहा है, तो रामदेव अम्पायर को अभी भी पूंजीवादी उद्यम की श्रेणी में क्यों रखा गया है जो “धर्मार्थ ट्रस्ट” होने के नाम पर कर छूट का आनंद ले रहा था।

बाबा की एक द्वीप खरीदने और उसे पतंजलि लैंड के रूप में बदलने की अफवाहें फैल रही हैं। यह एक डरावना विचार है। जबकि उनके उत्पाद दुनिया के अंत की तरह समाप्त होते नहीं दिखते हैं, यह निश्चित रूप से एक संकेत देता है।

गुरमेहर कौर एक लेखक और छात्र कार्यकर्ता हैं।

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