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Tuesday, 19 November, 2024
होमडिफेंसमोदी सरकार ने भारत में रह रहे 80 अफगान कैडिट्स को अंग्रेजी कोर्स में दाखिला दिलाकर राहत दी

मोदी सरकार ने भारत में रह रहे 80 अफगान कैडिट्स को अंग्रेजी कोर्स में दाखिला दिलाकर राहत दी

भारत की मिलिट्री एकेडमियों से स्नातक हुए कैडेटों को छह महीने के वीज़ा देकर राहत दी गई थी. हालांकि, उन्हें यहां काम करने की अनुमति नहीं है. लिहाजा इनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा था.

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नई दिल्लीः भारत के विभिन्न मिलिट्री एकेडमियों में ट्रेनिंग पाने वाले, जो 80 अफगान मिलिटरी के कैडिट हैं, अब वे राहत की सांस ले सकते हैं. अपने देश में चल रही विषम राजनीतिक स्थिति के कारण इन असमर्थ कैडिट्स को नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक साल के लिए अंग्रेजी भाषा के शिक्षक के रूप में भारत में एक साल रूकने की अनुमति देकर काफी राहत
दी है.

रक्षा और सिक्यूरिटी विभाग के सूत्रों ने दिप्रिंट के साथ हुई बातचीत में बताया कि अफगान कैडिट्स की मांग पर इस कोर्स को तैयार किया गया है क्योंकि तालिबानी शासन के दौर में ये सभी कैडिट अपने देश में नहीं लौटना चाहते. सूत्रों ने बताया कि इस बावत रक्षा और विदेश मामलों के मंत्रालयों के बीच चली लंबी चर्चा के दौर के बाद यह निर्णय लिया गया है.

भारत स्थित अफगानी दूतावास द्वारा शुक्रवार को जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अफगान के जिन 80 युवा कैडिट्स ने भारत की विभिन्न मिलिटरी एकेडमियों से स्नातक किया था, उन्हें अब 12 महीने की अंग्रेजी शिक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी. यह ट्रेनिंग इनके लिए व्यवसाय और कार्यालय में काम करने की दृष्टि से काफी उपयोगी रहेगी.

इस कोर्स का आयोजन इंडियन टेक्निकल एंड इकनामिक कॉपरेशन (आईटीईसी) प्रोगाम के तहत विदेशी मामलों का मंत्रालय करवा रहा है. अफगान के दूतावास की इस रिलीज में बताया गया है कि इन कैडिटों को भारत के तीन संस्थानों में प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें रहने की सुविधा दी जाएगी. साथ ही, उनको मासिक भत्ता भी भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा.

अफगान के दूतावास ने इस फैसले को ‘उदार कदम’ बताते हुए इसका स्वागत किया है.

इससे पहले भारत सरकार ने इन कैडिट को छह माह की वीज़ा अवधि बढ़ाते हुए राहत दी थी. कोर्स की समाप्ति के बाद सरकार ने उनसे यह भी कहा था कि अगर वे अपनी इच्छानुसार किसी अन्य देश जाना चाहते हैं तो सरकार उनकी मदद के लिए तैयार है. फिलहाल, सिर्फ वीज़ा की अवधि बढ़ाना एक चिंता की बात थी क्योंकि उनके पास कोई आर्थिक राहत का जरिया नहीं था. इन कैडिट के पास भारत में काम करने का वीज़ा नहीं था. ऐसे में यहां रहकर जीवनयापन के लिए काम करना गैर-कानूनी बात थी.

अफगान दूतावास के सूत्रों ने बताया कि वे निरंतर रक्षा और विदेश मंत्रालय के संपर्क में थे. पिछले साल रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा था कि सरकार इस मामले को जानती है और इसको लेकर कोई फैसला जल्द ही किया जाएगा.


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तालिबान से मारे जाने का भय

आईटीईसी में प्रशिक्षण पानेवाले सभी कैडिट काफी दिनों से भारत स्थित अफगान और अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि उन्हें अमेरिका में शरण दी जाए. राजनयिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि एक साल की ट्रेनिंग पूरी होने पर उन्हें अमेरिकी विजा मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.

सूत्रों ने यह भी कहा कि अफगान दूतावास, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों के दूतावासों के से संपर्क में है, ताकि वहां उन्हें शरणार्थी के तौर पर रहने का मौका मिल सके. इसके अलावा भारत में रह रहे दूसरे अफगान नागरिकों को लेकर भी
दूसरे देशों के दूतावासों से चर्चा जारी है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि इन कैडिट्स के परिवार के सदस्य अभी भी अफगानिस्तान में रह रहे हैं. राजनयिक सूत्रों के मुताबिक कैडिट्स को इस बात का भय सता रहा है कि अगर वे अपने वतन अफगान लौटते हैं तो तालिबान उन्हें भी मार देंगे. जैसा कि उन्होंने अफगान नेशनल डिफेंस सिक्योरिटी फोर्सेस (एएनडीएसएफ) और नेशनल डायरोक्टरेट ऑफ सेक्योरिटी (एनडीएस) के अफगानी सैनिकों की हत्या कर दी थी.

सूत्र बताते हैं कि जब तालिबानी लड़ाकों ने पिछले साल अफगान में तख्तापलट किया था तब भारत में 180 अफगान कैडिट प्रशिक्षण ले रहे थे. प्रशिक्षण के बाद कई कैडिट ने दूसरे देशों का रूख किया जबकि कुछ यहां रूकना चाहते थे. इन बचे हुए कैडिट्स की वीज़ा अवधि छह महीने बढ़ा दी गई थी.

भारत के अफगानिस्तान के साथ संबंध

देहरादून स्थित इंडियन मिलेट्री एकेडमी (आईएमए), विदेशी कैडिट्स को जिनमें अफगानी भी शामिल हैं, साल 1948 से ही प्रशिक्षित करती आई है. आईएमए के अलावा, आफिसर ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई और नेशनल डिफेंस एकेडमी, पूणे में भी विदेशी कैडिट्स के प्रशिक्षण की व्यवस्था है.

भारत के संस्थानों में कई वर्षों से अफगान के कैडिट प्रशिक्षण पाते रहे हैं. वर्तमान तालिबान सरकार में विदेशी मामलों के उपमंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकज़ाई भी आईएमए के कैडिट रहे हैं. भारत का जुड़ाव काबुल की तालीबान सरकार से उसी समय से रहा है जब मानवीय आधार पर अफगानी लोगों की सहायता करने की बात कही गई थी.

भारत सरकार, आने वाले दिनों में अफगानिस्तान को गेहूं और दूसरी जरूरत की चीजें पाकिस्तान के रास्ते भेजने की तैयारी में है. भारत के विदेशी मामलों के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि ‘सरकार मानवीय आधार पर अफगानिस्तान की सहायता करने के लिए कृतसंकल्प है. हम दवाओं और वैक्सीन पहुंचाने को लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहे हैं. गेहूं को इकट्ठा करने और उसे भेजने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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