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Friday, 22 November, 2024
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52 साल के आदमी के साथ शादी के लिए 12 साल की बच्ची का अपहरण, ऐसे हुआ ‘बालिका वधू’ रैकेट का पर्दाफाश

हरियाणा के व्यक्ति के साथ ‘जबरन शादी कराने के लिए अपहृत’ यूपी की 12 वर्षीय लड़की को छुड़ाने के लिए पुलिस ने जब अभियान चलाया तो पता चला कि राज्य में बिगड़ता लिंगानुपात किस तरह ‘बहुस्तरीय रैकेट’ के तौर पर सामने आ रहा है.

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नई दिल्ली: दिसंबर में एक दिन छोटी-सी बच्ची ने खुद को फूल-मालाओं से लदा पाया, उसने एक अनजान आदमी के माथे पर टीका लगाया और अप्रत्याशित ढंग से उसकी मर्जी के बगैर उसे ‘वैवाहिक’ जीवन में ढकेल दिया गया. 12 साल की बच्ची यह समझ ही नहीं पा रही थी कि उसे दूसरे राज्य के एक दूरवर्ती गांव से जबरन यहां लाकर किसी अजनबी के हवाले क्यों कर दिया गया है.

दरअसल, उससे 40 साल बड़े उस आदमी ने उसे 70,000 रुपये में खरीदा था. यह सौदा एक ऐसे कथित रैकेट की ‘परतें उघाड़ता’ है जो हरियाणा में पुरुषों की शादी के लिए युवा लड़कियों और महिलाओं की तस्करी से जुड़ा है.

इस मामले पर नजर रखने वाली नोएडा पुलिस का आधिकारिक बयान और पुलिस सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक, उक्त बच्ची पर ये गाज तब गिरी जब 26 दिसंबर को उसकी मां कारखाने चली गई, जहां वह दिहाड़ी मजदूर का काम करती है.

उत्तर प्रदेश के बादलपुर गांव स्थित अपने घर में अकेली रह गई 12 वर्षीय बच्ची बाहर खेलने लगी तो पड़ोस में रहने वाली एक महिला जिसे पुरानी परिचित और पड़ोसी बताया जा रहा है, उसने उसे रोका.

उन्होंने एक साथ खाना खाया और लड़की ने उस 23 वर्षीय महिला को बताया कि पड़ोस का एक लड़का उसे पसंद है और उससे मिलने पर मां ने उसे डांटा था. महिला ने उससे कहा कि वह उस लड़के से मिलाएगी. लेकिन बाद में इस बच्ची ने खुद को हरियाणा की एक बस में पाया.

फिर 27 दिसंबर को इस नाबालिग मुस्लिम लड़की की कथित तौर पर एक 52 वर्षीय हिंदू व्यक्ति से ‘शादी’ करा दी गई. पेशे से टैक्सी चालक इस ‘पति’ ने सोनीपत के गोहाना तहसील स्थित गांव महरा में अपने घर पर उसके साथ कथित तौर पर एक हफ्ते तक बलात्कार किया और उसे घर के कामों और अपनी बुजुर्ग मां की देखभाल के लिए बाध्य किया.

अब उस पर बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत अपराधों का आरोप लगाया गया है.

नोएडा की पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) वृंदा शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया, ‘लड़की को बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया और फिर काउंसलिंग के बाद उसकी मां ने उसे अपने कब्जे में ले लिया.’

नोएडा पुलिस ने 13 दिनों तक छानबीन के बाद लड़की को बरामद कर लिया और मामले में अब तक 11 आरोपियों की पहचान की जा चुकी है और इस दौरान मिली जानकारी ये संकेत देती है कि हरियाणा में पुरुषों के लिए युवा दुल्हनों, जो अक्सर नाबालिग होती हैं, की खरीद-फरोख्त के रैकेट सक्रिय हैं. माना जा रहा है कि सीमा पार से लड़कियों की तस्करी के लिए राज्य में बिगड़ा लिंगानुपात एक बड़ी वजह है.

2011 की जनगणना के मुताबिक, हरियाणा का लिंगानुपात भारतीय राज्यों में सबसे कम था, यहां हर 1,000 लड़कों पर लड़कियों का अनुपात 879 था. हरियाणा सरकार के हेल्थ डेटा से पता चलता है कि एसआरबी—यानी जन्म के समय लिंगानुपात—में पिछले एक दशक में मामूली वृद्धि देखी गई है, हालांकि, इसमें 2020 और 2021 के बीच अनुमानित तौर पर आठ अंक की गिरावट आई है.

बच्ची को बचाने के लिए चलाया अभियान

12 साल की बच्ची को छुड़ाने के लिए चलाए गए पुलिस के अभियान के दौरान एक गिरोह के कई राज्यों में सक्रिय होने का पता चला.

उधर, गांव में लड़की की मां लगातार उसकी खोज में जुटी रही और उसकी तरफ से स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज कराया गया. मामला अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था लेकिन मां अपने बयान में लगातार इस बात पर जोर दे रही थी कि उसे पता है कि उस दिन 23 वर्षीय वो महिला उसके घर आई थी.

तलाशी टीमें गठित की गई और लड़की को 13वें दिन गाजियाबाद में एक 35 वर्षीय महिला के किराये के घर से बरामद कर लिया गया.

पुलिस के मुताबिक, झारखंड निवासी यह महिला ही मुख्य आरोपी है और इस मामले से जुड़े 10 अन्य आरोपियों के बीच कड़ी का काम करती है. अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें तीन महिलाएं हैं—इसमें 35 वर्षीय मुख्य आरोपी, 23 वर्षीय महिला जिसने बच्ची का घर से अपहरण किया और 24 वर्षीय एक अन्य युवती. नाबालिग के ‘पति’ समेत पांच अन्य पुरुषों को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि पकड़ में आई दो महिलाओं के पति समेत तीन लोग कथित तौर पर फरार हैं.

गिरफ्तार लोगों में रोहतक का एक 50 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर भी शामिल है, जिसके बारे में पुलिस का कहना है कि उसने ही 12 साल की बच्ची का सौदा किया था.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘तीनों महिलाएं बस से बच्ची को लेकर रोहतक में एक 35 वर्षीय व्यक्ति के घर पहुंचीं और मुख्य आरोपी महिला ने इस आदमी को फोन किया, जिसे वह कुछ समय से जानती है.’

अधिकारी ने बताया, ‘35 वर्षीय महिला ने 50 वर्षीय इस व्यक्ति, जिसे कथित तौर पर दलाल बताया जा रहा है, से नाबालिग को बेचने के लिए संभावित दूल्हे के बारे में बात की. फिर उन्होंने सौदे के बदले उस 52 वर्षीय व्यक्ति से पैसा लिया और उसे आपस में बांट लिया.

‘सहमति’ से तस्कर के साथ रह रही महिला

पुलिस के अनुसार, यह सौदा कराने वाले 35 वर्षीय एक व्यक्ति ने दो साल पहले अपनी पत्नी—जो अब 21 साल की है—जो झारखंड की महिला से खरीदा था.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि उसकी पत्नी मुजफ्फरनगर की रहने वाली है, जिसकी शादी पहले उसके परिवार ने एक ऐसे व्यक्ति से करा दी थी जो उसे नियमित रूप से पीटता था. छह महीने तक लगातार दुर्व्यवहार सहने के बाद एक दिन वह घर छोड़कर नई दिल्ली आ गई.

दो दिन तक वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ही रही और तभी कथित तौर पर इस रैकेट के लोगों की नजर उस पर पड़ गई जिसमें ज्यादातर यहां के स्थानीय वेंडर की पत्नियां शामिल होती हैं और जो बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर ‘सॉफ्ट टारगेट’ की तलाश में घूमती रहती हैं. सूत्रों ने बताया कि मुख्य आरोपी ने इस महिला को देखा तो उसे गाजियाबाद स्थित अपने घर ले आई.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘वह वहां कुछ दिनों तक रही, लेकिन वह असहज महसूस कर रही थी क्योंकि महिला को उसका पति अक्सर पीटता रहता था. इसलिए उसने 35 वर्षीय महिला से कहा कि वह कहीं और उसके रहने का इंतजाम कर दे. इसके बाद इस मुस्लिम महिला को 80,000 रुपये में एक 35 वर्षीय हिंदू पुरुष को बेच दिया गया, और वह पिछले दो सालों से उसके साथ रह रही है.

पति को गिरफ्तार कर लिया गया है—लेकिन अब, यह महिला उसके साथ ही रहना चाहती है, और थाने लाए जाने के बाद वह फिर उसके घर लौट गई. सूत्रों ने बताया कि जब पुलिस ने उसके अपने परिवार से संपर्क किया, तो उन्होंने उसे साथ रखने से इनकार कर दिया क्योंकि वह अपने (पहले) पति के घर से भाग गई थी.

अधिकारी ने कहा, ‘सीआरपीसी-164 के तहत अपने बयान में उसने कहा कि वह अपने (नए) पति के घर, अपनी सास के पास वापस जाना चाहती है. उसने कहा कि उसे किसी लेन-देन की जानकारी नहीं है, लेकिन पूछताछ के दौरान उसके पति ने सौदे की बात स्वीकारी.’

नाबालिग और 21 वर्षीय दोनों ही निरक्षर हैं और एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं.

बड़े रैकेट की सिर्फ एक परत ही खुली है

डीसीपी वृंदा शुक्ला के मुताबिक, इन गिरफ्तारियों के साथ पुलिस हरियाणा में युवतियों, खासकर नाबालिगों को पुरुषों को बेचने से संबंधित एक बड़े रैकेट की अभी ‘कुछ परतें ही उघाड़’ पाई है.

डीसीपी ने कहा, ‘हम अभी जांच कर रहे हैं. मुख्य आरोपी झारखंड की रहने वाली है. हमें संदेह है कि वह वहां से इस बेल्ट तक मानव तस्करी में शामिल है. लापता लड़कियों की जानकारी के लिए राज्यों में स्थानीय पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है. जांच के दौरान पता चला कि इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, 12 वर्षीया बच्ची ने पुलिस को बताया कि उसने रैकेट के सदस्यों के बीच एक अन्य लड़की के बारे में कुछ सुना था, जो ‘मानसिक रूप से विक्षिप्त’ है और जिसे बेचा जा रहा है. इस दूसरी लड़की का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं.

डीसीपी ने कहा, ‘अब तक, हमें संदेह है कि यह विशेष गिरोह पिछले तीन वर्षों से युवा लड़कियों को खरीद और बेच रहा है. पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि यह सब इस क्षेत्र के लिए एक आम बात है–हरियाणा में बहुत सारे लोग दूसरे राज्यों की युवा लड़कियों से शादी करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उन लोगों ने बताया कि उनके गांवों में बहुत से लोग उनसे युवा दुल्हन चाहते हैं. राज्य के विषम लिंगानुपात के कारण इस बेल्ट में मानव तस्करी की एक चेन बन गई है. लड़कियों को एक बिचौलिए से दूसरे बिचौलिए के पास भेजा जाता है और अंत में उसे बेच दिया जाता है.’

रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि ये दुल्हनें ज्यादातर असम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, तमिलनाडु और केरल से लाई जाती हैं, और हरियाणा के स्थानीय लोग इन्हें ‘पारो’ या ‘मोल-की-बहू’ कहते हैं.

क्या हैं कारण और डेटा रिपोर्ट में अंतर क्यों

ये पुरुष दूसरे राज्यों से अपने लिए पत्नियां क्यों खरीदते हैं? इसका कारण हमने दिल्ली स्थित एनजीओ सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी से जानना चाहा जो ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से जुड़ी रही हैं और हरियाणा के पांच जिलों कुरुक्षेत्र, अंबाला, झज्जर, रोहतक और गुरुग्राम में काम करती रही हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि असल समस्या राज्य का बिगड़ा लिंगानुपात है, जिसके कारण लड़कों के लिए दुल्हन ढूंढ़े नहीं मिल रहीं.

रंजना कुमारी ने कहा, ‘दुल्हन खरीदने की एक बड़ी वजह यह भी है कि लोग एक युवा पत्नी चाहते है जो उनके वंश को आगे बढ़ा सके.’

राज्य में खराब लिंगानुपात के लिए हमेशा से ही कन्या भ्रूण हत्या को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. 2011 की पिछली जनगणना के मुताबिक, हरियाणा का लिंगानुपात किसी भी राज्य में सबसे कम था, जहां प्रति 1,000 लड़कों पर 879 लड़कियां थीं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में 2019 में 2,208 की तुलना में 2020 में मानव तस्करी के कुल 1,714 मामले दर्ज किए गए, जो इसमें 22.4 फीसदी को कमी को दर्शाते हैं.

यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से उनकी मानव तस्करी विरोधी यूनिट के तरफ से दर्ज मामलों के आधार पर उपलब्ध कराया गया आंकड़ा है. सबसे अधिक 184 मामले दर्ज किए जाने के साथ महाराष्ट्र चार्ट में शीर्ष पर है.

इस बीच, हरियाणा में 2020 में 14 ऐसे मामले सामने आए, जिसमें पीड़ित 16 महिलाओं में छह नाबालिग शामिल हैं. यह आंकड़ा 2019 में 15 और 2018 में 34 मामलों की तुलना में कम है. कुल मिलाकर, 2020 में 18 पीड़ितों को बचाया गया, जिनमें 14 भारतीय नागरिक थीं.

एनसीआरबी डेटा में ‘मानव तस्करी के उद्देश्य’ संबंधी विभिन्न श्रेणियों के तहत हरियाणा में ‘वेश्यावृत्ति के लिए यौन शोषण’ के लिए नौ, ‘जबरन शादी’ के सात और अन्य कारणों के तहत दो मामले सूचीबद्ध किए गए हैं.

राज्य में 0.3 फीसदी की अपराध दर (अपराध प्रति लाख जनसंख्या) के साथ ‘गर्भपात, शिशु हत्या, भ्रूण हत्या और परित्याग’ से जुड़े 89 मामले दर्ज किए गए हैं. मध्य प्रदेश, जिसकी आबादी हरियाणा की तुलना में दोगुनी से ज्यादा है, में 271 ऐसे मामलों के साथ समान अपराध दर दर्ज की गई है.

कन्या भ्रूण हत्या की जांच के लिए प्री-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (रोकथाम और दुरुपयोग) अधिनियम के तहत हरियाणा में सबसे अधिक 39 मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद पंजाब में 10 मामले दर्ज किए गए.

इन सबको लेकर लगातार सख्ती बरती जाती रही है और प्रशासन की तरफ से गर्भपात क्लीनिकों पर छापे, लिंग जांच पर रोक जैसे कदम उठाने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाए गए हैं. पिछले पांच साल में करीब एक हजार जगहों पर छापेमारी की जा चुकी है.

महत्वपूर्ण घटनाओं (जन्म, मृत्यु, गर्भस्थ शिशु की मौत) और उनके संबंध में निरंतर, स्थायी और अनिवार्य रिकॉर्डिंग की एकीकृत प्रक्रिया नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के आंकड़ों और हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य डेटा से पता चलता है कि एसआरबी 2011 में 833 पर था और यह 2015 में 876, 2016 में 900 और 2017 और 2018 दोनों में 914 रहा.

2019 में यह बढ़कर 923 हो गया था, जो 2020 में मामूली रूप से गिरकर 922 और 2021 में फिर 914 हो गया.

हालांकि, नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस), जो निरंतर गणना और पूर्वव्यापी अर्ध-वार्षिक सर्वेक्षण की दोहरी प्रणाली है, के आंकड़े एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं.

एसआरएस के आंकड़ों के मुताबिक, एसआरबी 2012-14 में 866, 2013-15 में 832, 2014-16 में 832 और 2016-18 में 843 था. इसमें आखिरी आंकड़ा सबसे नवीनतम है, जिसे जून 2020 में जारी किया गया था.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2020-2021) के मुताबिक, राज्य में पिछले पांच सालों में लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है. एनएफएचएस-4 (2015-16) में समग्र लिंगानुपात 876 से बढ़कर एनएफएचएस-5 (2020-2021) में 926 हो गया और जन्म के समय लिंगानुपात 836 से बढ़कर 893 हो गया.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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