नई दिल्ली: भारत की सेना इसी महीने से एक नई लड़ाकू वर्दी पहनने जा रही है, जिसमें डिजिटल बाधाकारी पैटर्न्स होंगे.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी (एनआईएफटी) द्वारा सेना के साथ नज़दीकी तालमेल से तैयार की गई इस वर्दी में, सैनिकों को ज़्यादा आरामदेह और संचालन के अनुकूल बनाने की कोशिश की गई है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, कि एक ओपन टेंडर लाने की योजना है, जिसमें निजी और सरकारी दोनों इकाइयों की भागीदारी से, नए कैमॉफ्लाज तथा लड़ाई पोशाक वर्दी (बीडीयू) का निर्माण और सप्लाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि हालांकि इस वर्दी को पहले 15 जनवरी को, सेना दिवस परेड के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा. लेकिन इसे अधिकारियों और सैनिकों को अलग अलग खेप में जारी किया जाएगा.
मौजूदा प्रथा के विपरीत, जिसमें सैनिक बाज़ार से कपड़ा ख़रीदकर अपनी वर्दी सिलवा सकता है, नए बाधाकारी पैटर्न्स वाला कपड़ा खुले बाज़ार में उपलब्ध नहीं होगा.
एक सूत्र ने बताया, ‘योजना ये सुनिश्चित करने की है कि ये कपड़ा खुले बाज़ार में उपलब्ध न हो. एक टेंडर प्रक्रिया होगी और वर्दियां अलग अलग साइज़ में सी जाएंगी, ठीक वैसे ही जैसे रेडीमेड गार्मेंट्स में होता है, जिन्हें फिर विभिन्न यूनिट्स और फॉरमेशंस को सप्लाई कर दिया जाएगा’.
रक्षा सूत्रों ने आगे कहा कि तक़रीबन 13 लाख की सेना के लिए वर्दियां बनाने की टेंडर प्रक्रिया, निजी तथा सरकारी उपक्रमों दोनों के लिए खोली जाएगी.
सेना ने पहले केंद्रीय रक्षा तथा गृह मंत्रालयों से अनुरोध किया था, कि क़ानून और व्यवस्था की स्थितियों से निपटने के दौरान, या आतंकवाद से प्रभावित शहरी इलाक़ों में, पुलिस और पैरामिलिटरी बलों के लड़ाकू वर्दी पहनने के खिलाफ़, नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.
रंगों का पहले जैसा ही प्रतिशत
नई वर्दी में रंगों का प्रतिशत वही बना रहेगा, जैसा कि मौजूदा वर्दी में है, जो ओलिव ग्रीन और मिट्टी जैसे रंगों और शेड्स का मिश्रण होता है.
जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी, मौजूदा स्टाइल के विपरीत क़मीज़ों को पतलूनों के अंदर नहीं किया जाएगा.
सैनिक की सुविधा के लिए पतलूनों में अतिरिक्त जेबें दी जाएंगी. कपड़े के लिए चुना गया मटीरियल ‘हल्का लेकिन ज़्यादा मज़बूत’ होगा, और गर्मी-सर्दी दोनों के लिए उपयुक्त होगा.
ये तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका, कि क्या नई वर्दी में कंधे और कॉलर के टैग्स अभी की तरह होंगे, या बेहतर ढंग से छिपाने के लिए उन्हें काला कर दिया जाएगा.
इसके अलावा, कंधे की पट्टियों को –जिनसे रैंक का पता चलता है- सामने के बटंस पर लाया जा सकता है, जिस पैटर्न का दूसरी बड़ी सेनाएं भी पालन करती हैं.
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