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Monday, 4 November, 2024
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‘आंदोलन स्थगित है वापस नहीं,’ राकेश टिकैत ने गाजे- बाजे के साथ आज खाली किया गाजीपुर बॉर्डर

देश को शुक्रिया कह गाजीपुर से नाचते गाते निकली किसानों की टोली. राकेश टिकैत ने 13 महीने सड़क पर संघर्ष में साथ रहे देशवासियों को कहा आभार.

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नई दिल्ली: दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर को किसान आज पूरी तरह खाली कर रहे हैं. पिछले 13 महीने से लगातार किसान यहां तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग के साथ संघर्ष कर रहे थे. बुधवार सुबह एक बड़े लाव लश्कर के साथ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गाजीपुर को खाली कर दिया.

राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर खाली करने के दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान उनके साथ संघर्ष के दिनों में साथ खड़े रहे लोगों का शुक्रिया किया.

उन्होंने कहा, ‘ मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूं जो हमारे साथ रहे हैं. मैं उन लोगों का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने लंगर चलाया, ग्रामीण जो हमारे लिए जरूरी सामान लाए.

टिकैत ने कहा, ‘ 3 कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद केंद्र से बातचीत चल रही है. हमारा आंदोलन स्थगित है, वापस नहीं.’

बुधवार को आंदोलन स्थल खाली करने से पहले किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर हवन और पूजा पाठ भी किया. किसान दिल्ली -यूपी बॉर्डर पर कौशांबी में विजय यात्रा निकालने के दौरान खूब नाचते गाते घर जाते नजर आए.

हालांकि किसानों ने 11 दिसंबर से ही दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों से अपनी घर की तरफ लौटना शुरू कर दिया था. लेकिन बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि गाजीपुर से किसान 15 दिसंबर तक दिल्ली सीमा पर अपना आंदोलन स्थल पूरी तरह से खाली कर देंगे. उन्होंने कहा था कि किसानों का पहला समूह शनिवार को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो गया.

इस बीच यहां के किसानों ने मिठाइयां बांटकर तीन कृषि कानूनों को निरस्त होने का जश्न मनाया.

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है और अन्य समस्याओं को सुलझाने के लिए सहमत हो गई है. हालांकि रविवार को गाजीपुर बॉर्डर का एक बड़ा हिस्सा खाली कर दिया गया था.

गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने लिखा आंदोलन समाप्त/फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/ दिप्रिंट

किसानों ने जाते जाते गाजीपुर बॉर्डर पर हरे रंग से अपने जाने का निशान छोड़ा और लिखा आंदोलन समाप्त.

वहीं सिंघू बॉर्डर पर भी लगभग सभी अवरोधक हटा लिए गए और वह भी पूरी तरह से खाली कर दिया गया.

इस बॉर्डर पर भी तीनों कृषि कानूनों के निरस्त किए जाने के बाद से ही किसानों ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर विरोध स्थल छोड़ना शुरू कर दिया था.

सिंघू बॉर्डर के अलावा, मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली के टीकरी और गाजीपुर सीमाओं की घेराबंदी की थी.

 झूमती गाती निकली किसानों की टोली

वापस लौटते किसानों में खूब जोश नजर आ रहा है. एक तरफ जहां राकेस टिकैत के काफिले का जगह जगह स्वागत किया जा रहा है वहीं किसान भी अपने परिवार से मिलने को लेकर खुश हैं.

गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के 40 वर्षीय भूपेंद्र सिंह से कहा कि वह अब अपने बच्चों के साथ पहले की तरह ही समय बिता सकेंगे.

सिंह किसान आंदोलन खत्म होने से बेहद खुश नजर आए और उन्हें इस बात का सुकून था कि वे अपने कठिन लेकिन सफल संघर्ष के बाद ही अपने परिवारों के पास वापस लौट रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह ने कहा, ‘मेरे बच्चे बहुत उत्साहित हैं. हम आखिरकार एक-दूसरे से मिलेंगे. मैं बहुत खुश हूं. फोन पर वे हमेशा कहते थे ‘पापा, घर कब आओगे? जल्दी आ जाओ!’ मुझे खुशी है कि यह आज हो रहा है. लेकिन इस बात को लेकर मुझे विशेष रूप से गर्व है कि मैं जीत के बाद घर जा रहा हूं.’

अपने ट्रैक्टर पर घर वापस जाने की लंबी यात्रा करते हुए, सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल के दौरान अपने ट्रैक्टर को घर की तरह इस्तेमाल किया.

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