नई दिल्ली: दो त्रासद घटनाएं- एक नागालैंड में और दूसरी तमिलनाडु के कुन्नूर में- जिन दोनों में सेना शामिल थी, इस सप्ताह उर्दू प्रेस में सुर्खियों में रहीं, लेकिन किसानों का आंदोलन और उसका समापन भी फोकस में रहा. पत्रकार विनोद दुआ को समकालिक परंपराओं को आगे बढ़ाने वाले के तौर पर श्रद्धांजलि दी गई, और मथुरा में सांप्रदायिक भड़काने की साजिशों और गुरुग्राम में चल रहे संघर्ष ने भी सुर्खियां बटोरीं.
दिप्रिंट आपके लिए लाया है इस सप्ताह उर्दू प्रेस में छाई रही सुर्खियों पर एक राउंडअप….
नागालैंड हत्याकांड
नागालैंड में एक असफल सैन्य अभियान में 13 नागरिकों की मौत और इसके बाद उठी सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को खत्म करने की मांग पहली बार 6 दिसंबर को पहले पेज पर जगह बनाने के बाद इस हफ्ते अधिकांश समय उर्दू अखबारों में सुर्खियों में रही. एक दिन बाद मोन पुलिस द 21 पैरा मिलिट्री फोर्स की तरफ से दर्ज प्राथमिकी रोजनामा राष्ट्रीय सहारा के पहले पन्ने पर थी.
8 दिसंबर को सियासत में छपे एक संपादकीय में सरकार से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया कि भविष्य में फिर से ऐसी घटनाएं न हों. ‘त्रासद हत्याकांड’ शीर्षक से संपादकीय में सवाल उठाया गया कि सेना की टुकड़ी जिन लोगों को आतंकी मान रही थी, उनको गिरफ्तार करने की कोशिश करने के बजाये गोलियां चलानी क्यों शुरू कर दीं. साथ ही पूछा गया कि क्या राज्य में हालात इतने खराब हैं कि किसी रिहायशी इलाके में सेना को देखते ही गोली मार देने जैसा कदम उठाना पड़ रहा है. अखबार ने इसकी वकालत की कि केंद्र सरकार पर एएफएसीए निरस्त करने का दबाव डाला जाना चाहिए. 9 दिसंबर को रोजनामा राष्ट्रीय सहारा के संपादकीय ने भी यही बात दोहराई साथ ही यह दलील भी दी कि पुलिस और सैन्य बल नागरिकों के टैक्स से चलते हैं. उनका काम लोगों की रक्षा करना है, लेकिन नागालैंड में जो हुआ वह इसके एकदम उलट था.
सीडीएस का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त
दूसरी त्रासद घटना जिसमें सीडीएस बिपिन रावत के साथ-साथ उनकी पत्नी सहित 13 अन्य लोग एक हेलीकॉप्टर हादसे के शिकार हो गए, गुरुवार और शुक्रवार को पहले पन्ने पर सुर्खियों में रही. हादसे के एक दिन बाद रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने पहले पन्ने पर रावत का प्रोफाइल छापा और उन्हें ईमानदार और निडर सैन्य अफसर बताया. 10 दिसंबर को इंकलाब ने अपने संपादकीय में दुआ की कि ऊपर वाला इस हादसे से उबरने में परिवारों की मदद करे और साथ ही इसे न केवल तीनों बलों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नुकसान बताया.
पुतिन की भारत यात्रा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की संक्षिप्त भारत यात्रा को भी इस हफ्ते पहले पन्नों पर प्रमुखता से जगह दी गई. एस-400 करार को लेकर संपादकीय में खरी टिप्पणियां भी की गई, जो सौदा अमेरिका को नहीं भाया है. 6 दिसंबर को रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने लिखा कि एस-400 सौदे के कारण प्रतिबंध लगाने से पहले अमेरिका को चीन की बढ़ती आर्थिक मजबूती के मद्देनजर इस क्षेत्र के लिए अपनी योजनाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में सोचना होगा. इसने लिखा है कि इस पृष्ठभूमि में पुतिन की भारत यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है. इंकलाब ने 8 दिसंबर को अपने संपादकीय में न केवल भारत के रक्षा उपकरणों के संदर्भ में रूस की अहमियत के बारे बताया बल्कि इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि यह दुनिया भर में 65 प्रतिशत रक्षा निर्यात करता है.
7 दिसंबर को उर्दू दैनिकों के पहले पन्ने में इस यात्रा और पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की खबर को बड़ी सफलता के तौर पर छापा. इंकलाब ने यह बात भी कही कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कई बदलावों के बावजूद भारत-रूस की दोस्ती पहले की तरह बरकरार है.
मथुरा, अयोध्या और गुरुग्राम
न केवल अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने की बरसी, बल्कि यूपी के डिप्टी सीएम की तरफ से मथुरा पर किए गए एक ट्वीट के कारण भी मथुरा में बनी तनाव की स्थिति सुर्खियों में रही, वहीं गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ को लेकर विवाद में भी उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा. 6 दिसंबर की घटना की बरसी के अवसर पर अयोध्या और मथुरा में ‘रेड अलर्ट’ की खबर उर्दू दैनिकों के पहले पन्नों पर थी. 6 दिसंबर को इंकलाब ने शाही ईदगाह में ‘जलाभिषेक’ के हिंदू महासभा के ऐलान को लेकर मथुरा में तनाव बढ़ने की खबर को पहले पन्ने पर छापा.
इंकलाब ने 4 दिसंबर को लिखा था कि हिन्दूवादी संगठनों के कारण कैसे गुरुग्राम में शुक्रवार की नमाज पुलिस सुरक्षा में कराई जा रही है. 8 दिसंबर को पहले पन्ने पर एक रिपोर्ट छपी कि गुरुग्राम में 18 जगहों पर नमाज के लिए मुस्लिम और हिंदू समूहों के बीच सहमति बन गई है.
किसानों के लिए मुआवजा
4 दिसंबर को इंकलाब ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से सरकार के समक्ष रखे गए उस प्रस्ताव की खबर को अपने पहले पेज पर प्रमुखता से जगह दी जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि सरकार किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 किसानों के बारे में नहीं जानती तो कांग्रेस उनके नाम दे सकती है. 5 दिसंबर को सियासत के पहले पन्ने पर एमएसपी पर कमेटी के गठन की खबर के साथ यह जानकारी भी दी गई कि किसान संगठनों ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया था. सहारा की लीड रिपोर्ट में बताया गया कि संगठनों ने शहीदों की सूची सरकार को भेजी थी. 6 दिसंबर को इंकलाब ने अपने संपादकीय में संसद में इस बयान के लिए सरकार को फटकार लगाई कि उसके पास उन किसानों की सूची नहीं है जो किसान आंदोलन के दौरान मारे गए. अखबार ने कहा कि प्रत्येक परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए.
विनोद दुआ का निधन
पत्रकार विनोद दुआ के निधन की खबर को सभी अखबारों के पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा गया. 6 दिसंबर को इंकलाब ने अपने संपादकीय में लिखा कि दुआ की मौत ने देश से एक ऐसा पत्रकार छीन लिया, जो इस देश की साझी परंपराओं में दृढ़ विश्वास रखता था. अखबार ने राजद्रोह के मामले और उसके खिलाफ उनकी जीत का हवाला देते हुए लिखा कि अपनी मौत से पहले उन्होंने ट्रोल्स को मात दी थी.
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