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Friday, 22 November, 2024
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6 दिसंबर को भारत आएंगे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पीएम मोदी के साथ शिखर बैठक में होंगे शामिल

पिछली भारत रूस शिखर बैठक सितंबर 2019 को ब्लादीबोस्तक में हुई थी और कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में यह बैठक नहीं आयोजित की जा सकी थी.

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नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन छह दिसंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. यहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे साथ ही द्विपक्षीय और विशेष कूटनीतिक संबंधों के सभी आयामों पर विस्तृत चर्चा करेंगे.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि छह दिसंबर को ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता भी होगी जिसमें दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे.

उन्होंने बताया कि ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु 5-6 दिसंबर को भारत आएंगे.

बागची ने कहा कि इस बैठक में भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर हिस्सा लेंगे.

उन्होंने कहा, ‘छह दिसंबर को राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.’


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गौरतलब है कि पिछली भारत रूस शिखर बैठक सितंबर 2019 को ब्लादीबोस्तक में हुई थी और कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में यह बैठक नहीं आयोजित की जा सकी थी.

बागची ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षी संबंधों और विशेष सामरिक गठजोड़ की स्थिति की समीक्षा करेंगे साथ ही इसे और आगे बढ़ाने के बारे में चर्चा करेंगे.

उन्होंने बताया कि दोनों नेता साझा हितों से जुड़े क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे.

वहीं, रूसी दूतावास के प्रवक्ता ने ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के संदर्भ में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मंत्री एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, अफगानिस्तान, सीरिया के घटनाक्रम सहित प्रमुख क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे.

जाहिर है कि रूस हिंद-प्रशांत को एशिया-प्रशांत के संदर्भ में उल्लेख करता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान पेंडिंग ‘एके-203’ क्लाशनिकोव राइफल खरीद समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और रूस के संबंधों में रक्षा सहयोग एक अहम विषय है लेकिन जहां तक किसी विशिष्ट समझौते का सवाल है इसके बारे में रक्षा मंत्रालय ही जानकारी दे सकता है.

एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की आपूर्ति के बारे में भी एक सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि इसके बारे में रक्षा मंत्रालय बेहतर जानकारी दे सकता है.

कहा जा रहा है कि दोनों पक्ष रक्षा, कारोबार, निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ समझौते भी कर सकते हैं.

शिखर बैठक में सैन्य तकनीकी सहयोग के नवीन ढांचे को कार्यरूप दिया जा सकता है. साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त आयोग की घोषणा किए जाने की संभावना है.

बताया जा रहा है कि शिखर बैठक में अफगानिस्तान से जुड़े घटनाक्रम सहित क्षेत्रीय मुद्दों की भी समीक्षा की जाएगी.


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