नई दिल्ली: भारत ने इतालवी फर्म अगस्ता वेस्टलैंड और उसकी पैरेंट कंपनी लियोनार्डो पर लगी पाबंदी को औपचारिक तौर पर हटा लिया है, जिससे इस कंपनियों के लिए मौजूदा समय में चल रहे तमाम प्रोजेक्ट और आगामी रक्षा सौदों के लिए बोली लगाने का रास्ता खुल गया है.
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी 12 नवंबर की एक नई अधिसूचना, जिसके साथ व्यापार के लिहाज से प्रतिबंधित/विचारार्थ/निलंबित कंपनियों की सूची है, में इन दोनों ही इतालवी कंपनियों का नाम नहीं है जिन्हें 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित घूसखोरी के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया था.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि लियोनार्डो ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों के ऑर्डर को रद्द किए जाने के मामले में ठोका गया 35 करोड़ यूरो का अपना दावा वापस लेते हुए एक पत्र दिया है.
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध हटने से लियोनार्डो, जिसे पहले फिनमैकेनिका के नाम से जाना जाता था, को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 में हिस्सा भाग लेने की अनुमति मिल जाएगी, जिसके तहत छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है.
पनडुब्बियों, जिनमें से चार नौसेना को दी गई हैं, में भारी-भरकम टॉरपीडो नहीं हैं जिन्हें लियोनार्डो से खरीदा जाना था.
इसे शामिल करना इस वजह से प्रभावित हुआ क्योंकि इतालवी फर्म को काली सूची में डाल दिया गया था और उसमें किसी तरह की छूट नहीं थी.
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फर्म अब निविदाओं में ले सकती है हिस्सा
सूत्रों ने बताया कि प्रतिबंध हटाने से यह भी सुनिश्चित हो जाता है कि लियोनार्डो अब नौसेना की तरफ से अपने युद्धपोतों के लिए नए रडार और टॉवर के लिए जारी की जाने वाली निविदाओं में हिस्सा ले सकेगी.
सूत्रों ने कहा कि लियोनार्डो के साथ ठप पड़े कारोबार को 2014 से अब तक कई बार विस्तार दिया गया था और आखिरी बार लगी रोक इस माह के अंत तक खत्म होने वाली है.
सरकार के फैसले के मुताबिक अब जबकि प्रतिबंध हट भी जाएगा, तो भी केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले की जांच जारी रहेगी.
2014 में लगे प्रतिबंध ने कंपनी को तमाम डिफेंस प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया था, जबकि उसके पास कई नौसैनिक हेलीकॉप्टर सहित अन्य सौदों के लिए दूसरी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम उत्पाद थे.
कंपनी ने विश्व स्तर पर री-ब्रांडिंग की कोशिश भी की और 2016 में अपना नाम घोटाले में दागी फिनमैकेनिका से बदलकर लियोनार्डो कर दिया था.
इटली में मुख्यालय वाली कंपनी लियोनार्डो के उत्पाद और सॉल्यूशन्स का इस्तेमाल दुनियाभर के 150 से अधिक देशों में किया जाता है.
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