गुरुग्राम: हिंदू दक्षिणपंथी समूह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य 22 अक्टूबर को गुरुग्राम के सेक्टर-12 स्थित एक मैदान में जमा हुए, जहां करीब 100-150 मुसलमान जुमे की नमाज अदा कर रहे थे. हिंदू समूहों ने इसके बाद कथित तौर पर स्पीकर पर भजन आदि बजाने शुरू कर दिए, और ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष करने लगे.
Sector12, Gurugram, Haryana
Naamzis occupying govt lands to offer namaz as hindu groups tey to resist this peacefully..
Can hindus ever dare to occupy lands for bhajan-kirtaa illegally like this? pic.twitter.com/ozg9zCXL0x— Ritu (सत्यसाधक) #EqualRightsForHindus (@RituRathaur) October 22, 2021
सेक्टर 47 से भी ऐसी ही घटनाएं सामने आई थीं जहां प्रशासन की तरफ से नमाज के लिए निर्धारित 37 स्थलों में से एक सार्वजनिक स्थल पर 8 अक्टूबर तक जुमे की नमाज अदा करने में तीन बार बाधा डाली गई.
हालांकि, ये घटनाएं सुर्खियों में रही हैं लेकिन इस साल मार्च से इस तरह से नमाज में बाधा डाले जाने की घटनाएं एकदम आम हो गई हैं.
ऐसे विरोध प्रदर्शनों में एक नाम जो अक्सर उभरकर सामने आता है, वो है गुरुग्राम के एक व्यवसायी दिनेश भारती का, जो निर्माण सामग्री का कारोबार करते हैं और खुद को हिंदू धर्म के लिए ‘न्याय’ के योद्धा के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं.
वह खुद बताते हैं कि मार्च के बाद से दिल्ली से सटे इस शहर के एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में जा रहे हैं और सार्वजनिक जगहों में होने वाली नमाज बंद करा रहे हैं. इस तरह वह पुरानी फाल्ट लाइन फिर से छेड़ रहे हैं जिसने शहर के सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डाल दिया है.
भारती एक हिंदूवादी संगठन भारत माता वाहिनी (बीएमवी) का नेतृत्व करते हैं, जिसमें अभी सिर्फ दो सदस्य हैं. भारती और नरेश ठाकुर, जो एक 29 वर्षीय ऑटोरिक्शा चालक है.
यह संगठन खुद को ‘जिहाद’—जिस शब्द का इस्तेमाल हिंदुत्ववादी ढांचे में इस्लाम के विस्तार की कथित साजिशों से जोड़कर किया जाता है—के विभिन्न रूपों के खिलाफ लड़ने वाले के तौर पर पेश करता है. इनमें ‘लैंड जिहाद’, ‘लव जिहाद’, और यहां तक कि ‘बिरयानी जिहाद’ भी शामिल है.
48 वर्षीय भारती, जो खुद को दिनेश ठाकुर भी कहते हैं, की सोशल मीडिया पोस्ट साफ कहती हैं उनका इरादा मुसलमानों को सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने से रोकना है.
भारती ने दिप्रिंट से कहा, ‘बीएमवी की शुरुआत मैंने 2018 में की थी. आठ साल हरिद्वार में बिताने के बाद मुझे अहसास हुआ कि हमारे देश में हिंदुओं को सुरक्षा की जरूरत है. मैंने बैकफुट पर रहने वाले हिंदुओं के लिए लड़ने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया.’
भारती और विरोध प्रदर्शन में शामिल अन्य लोगों के अनुसार, वे सार्वजनिक जगहों पर नमाज का विरोध इसलिए करते हैं ताकि एक तो भीड़भाड़ न हो और भूमि के संभावित अवैध कब्जे की आशंकाएं भी न रहें.
हालांकि, मुसलमानों ने गुरुग्राम में मस्जिदों की कमी का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें आखिर नमाज के लिए सार्वजनिक स्थलों पर एकत्र होने की जरूरत क्यों पड़ती है.
2018 में नमाज के लिए सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ जुटने का विरोध जोर पकड़ने के बाद प्रशासन ने दोनों समुदायों के सदस्यों के साथ परामर्श के बाद इसके लिए निर्धारित स्थानों की संख्या 106 से घटाकर 37 कर दी थी.
जहां भारती का कहना है कि उनका लक्ष्य गुरुग्राम में मुसलमानों को ‘विस्तार’ से रोकना है, पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर वह पूरी सतर्क है. विरोध की अगुआई करने को देखते हुए ही भारती को तीन बार गिरफ्तार किया जा चुका है.
दिप्रिंट कॉल ने व्हाट्सएप और एसएमएस मैसेज के जरिये गुरुग्राम जिले के उपायुक्त यश गर्ग से संपर्क साधा लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.
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कौन हैं दिनेश भारती?
भारती मूल रूप से रोहतक के रहने वाले हैं, लेकिन 1997 से गुरुग्राम में ही रह रहे हैं.
उन्होंने बताया, ‘संन्यास लेने की तरफ मेरा गहरा झुकाव था, लेकिन मुझे पारिवारिक जिम्मेदारियां भी निभानी थीं. मैंने आठ साल हरिद्वार में साधुओं के साथ बिताए और हिंदू धर्म की शिक्षाएं ग्रहण कीं. अपने हिंदू देशवासियों के प्रति जिम्मेदारी के अहसास के साथ मैं शांति और न्याय के उद्देश्य से गुरुग्राम लौटा हूं.’
भारती का दावा है कि वह भाजपा की गुरुग्राम इकाई के सदस्य थे और पहले इलाके में रैलियों के दौरान मंच की सजावट आदि की जिम्मेदारी संभालते थे. लेकिन जिला भाजपा के सूत्रों ने उनके पार्टी से जुड़े होने से किनारा कर लिया. एक सूत्र ने कहा, ‘अगर वह कहते हैं कि वह सदस्य थे तो शायद हो सकता है कि ऐसा रहा हो. लेकिन हमारे पास तमाम सदस्य होते हैं.’
भारती ने बताया कि उन्होंने सेक्टर 38 के एक पार्क में नमाज पढ़े जाने के विरोध के साथ अपना अभियान शुरू किया था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने पुलिस से शिकायत की. हमारे बार-बार विरोध करने के बाद मार्च में इलाके में नमाज बंद कर दी गई.’
उन्होंने बताया कि अप्रैल में उन्होंने ‘सेक्टर 40 और सेक्टर 39 में यही प्रक्रिया अपनाई.’
उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपने अभियान के लिए समर्थन जुटाया. उनकी 25 मार्च की एक फेसबुक कुछ इस तरह है, ‘मैं 26.3.2021 को लाइफ एड अस्पताल के पास मुसलमानों के लैंड जिहाद का विरोध करूंगा. सभी हिंदू भाइयों से इसमें शामिल होने का अनुरोध है.’
भारती ने कहा कि बीएमवी ‘यह सब कुछ कानून के दायरे में रहकर कर रहा है और शहर में मुसलमानों की अवैध गतिविधियों के बारे में हमारी चिंताओं को मुखरता से उठा रहा है.’
उनका दावा है, ‘हमारा उद्देश्य गुरुग्राम में मुसलमानों को फैलने से रोकना और हिंदुओं के बीच शांति का संदेश फैलाना है. भारत माता वाहिनी में 10-15 स्वयंसेवक हैं जो आवश्यकता पड़ने पर आते हैं.’
भाजपा के पूर्व जिला कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले भारती कहते हैं कि वह सेक्टर 39 और सेक्टर 47 में तब गए, जब स्थानीय निवासियों ने उन्हें मदद के लिए बुलाया. वहीं, स्थानीय लोगों ने इस दावे को गलत बताया है.
एक बिजली मिस्त्री राम भारद्वाज ने कहा कि क्षेत्र के हिंदू निवासी भारती के साथ विरोध में शामिल नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘उसने मार्च में हमारे क्षेत्र में आना शुरू किया और हंगामा किया. वह मुस्लिम विरोधी नारे लगाते थे और हमसे अपने इस काम में मदद के लिए दान करने को कहते थे. यहां किसी के पास उनके साथ जुड़ने का समय नहीं है.’
सेक्टर-47 के कुछ निवासियों ने भारती से किसी भी तरह की नजदीकी के बात से इनकार किया, जहां पुलिस और स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद नमाज स्थल 150 मीटर दूर करने पर सहमति बनने के बाद विरोध प्रदर्शन बंद हो गया था.
रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के मुताबिक, सार्वजनिक पार्किंग में नमाज को लेकर उनकी मुख्य आपत्ति शुक्रवार को हो जाने वाली भीड़भाड़ को लेकर थी. आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि यह मैदान एक स्कूल के नजदीक होने के कारण स्कूली बच्चों की मांओं के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
यादव ने बताया कि भारती आरडब्ल्यूए की तरफ से बनाए गए सभी व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल है, लेकिन उन्होंने अपनी आपत्तियों के पीछे किसी भी सांप्रदायिक मकसद की बात से इनकार किया.
यादव ने कहा, ‘हम पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक वकील और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज और दिनेश दोनों एक बार हमसे मिले थे, लेकिन हमने उनके सांप्रदायिक एजेंडे से खुद को दूर कर लिया. हमारे लिए यह नागरिक समस्या है और मैं नहीं चाहता कि यह ऐसा मुद्दा बने जिसका इस्तेमाल वे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए करें.’
उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने हमें आश्वासन दिया है कि 15 दिनों में समस्या का समाधान ढूंढ लिया जाएगा.’
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमन यादव ने दिप्रिंट को बताया, ‘फिलहाल हम सेक्टर 47 में शांति बहाली में सफल रहे हैं. जिला प्रशासन के साथ दोनों पक्षों के निवासियों के बीच बैठक के बाद धरना समाप्त कर दिया गया. हमने उनसे इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए 15 दिन का समय मांगा है.’
हालांकि, गुड़गांव एकता मंच—जो सांप्रदायिक सद्भाव कायम करने और गुरुग्राम में जरूरतमंद लोगों की मदद करने की दिशा में काम करने वाला एक नागरिक संगठन है—के संस्थापक अल्ताफ अहमद और सेक्टर 47 में नमाज अदा करने वाले लोगों में से एक व्यक्ति ने कहा कि भारती ने मुसलमानों के खिलाफ स्थानीय निवासियों को उकसाया था.
अहमद ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि कैसे भारती ने कई क्षेत्रों में नमाज रोकी. वह विभिन्न क्षेत्रों में घूमता रहता है और स्थानीय लोगों को अपने नफरत फैलाने के इस अभियान में शामिल होने के लिए तैयार करता रहता है.’
26 मार्च को सेक्टर 39 के हुए विरोध से प्रभावित कुछ मुसलमानों ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि भारती ‘अपनी कार में लाठी और कुल्हाड़ियां लेकर आए थे.’
आरोपों के बारे में पूछने पर भारती ने माना कि वह लाठी लेकर आए थे. उन्होंने कहा, ‘मैंने केवल एक लाठी ले रखी थी क्योंकि वहां बहुत सारे लोग थे. मुझे लगा कि वे हिंसक हो जाएंगे. कांग्रेस ने भले ही वक्फ बोर्ड को जमीन दी हो लेकिन यह जमीन देश के हिंदुओं की है और हम तब तक लड़ेंगे जब तक मुसलमानों से सारी जमीन छीन नहीं ली जाती.’
एक मौलवी के पुलिस के पास जाकर शिकायत किए जाने के आधार पर जब भारती को पहली बार 16 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था तो उन पर कथित तौर पर वैमनस्य, दुश्मनी या परस्पर नफरत की भावनाओं को भड़काने का मामला दर्ज किया गया था. भारती का दावा है कि उन्हें तीन घंटे में ही रिहा कर दिया गया.
उन्हें इसी तरह के आरोप में 30 सितंबर को फिर गिरफ्तार किया गया था. गुरुग्राम पुलिस के पीआरओ सुभाष बोकेन ने कहा, ‘दिनेश भारती को 30 सितंबर को आईपीसी की धारा 107 और 151 के तहत गिरफ्तार किया गया था. इन धाराओं का इस्तेमाल उन लोगों के खिलाफ किया जाता है जो किसी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते हैं.’
उन्हें 5 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया और 15 अक्टूबर को फिर गिरफ्तारी हुई. भारती ने बताया कि तीसरी बार जेल भेजे जाने के बाद उन्हें 23 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया. पुलिस सूत्रों का कहना है कि ये सभी आरोप जमानती हैं.
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जमीन की समस्या
गुरुग्राम जमीयत उलमा के अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने कहा कि सार्वजनिक तौर पर नमाज पढ़ना मजबूरी में लिया गया फैसला है. उन्होंने आगे कहा, शहर में विशाल मुस्लिम आबादी को देखते हुए मस्जिदों की संख्या काफी कम है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी आबादी लाखों में है लेकिन पूरे गुरुग्राम में केवल 13 मस्जिदें ही हैं. जुमे की नमाज को खुले में पढ़ने का कारण जगह की कमी है, न कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश.’
मौलवी ने कहा कि अगर आबादी के हिसाब से मस्जिदों के लिए जमीन दी जाती है तो मुसलमान खुशी-खुशी बंद जगहों पर नमाज पढ़ने के लिए तैयार हो जाएंगे.
सेक्टर 12 में रहने वाले 25 वर्षीय मैकेनिक जाकिर हुसैन ने कहा कि निकटतम मस्जिद सात किलोमीटर दूर है. जाकिर ने बताया, ‘हमारे बॉस दिन में एक घंटे का ब्रेक देते हैं. इतने समय में ही हमें नमाज पढ़नी होती है और खाना खाना होता है. यह बात भी भूलनी नहीं चाहिए कि वहां तक आने जाने में हमारे काफी पैसे खर्च होंगे. अगर हमें इस जमीन पर नमाज पढ़ने को नहीं मिली तो हम तो इबादत कर ही नहीं पाएंगे.’
गुरुग्राम को सीरिया या अफगानिस्तान नहीं बनने देगी विहिप
विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन का कहना है कि उनका संगठन आंदोलन में शामिल हो गया है, और ‘गुरुग्राम को सीरिया या अफगानिस्तान नहीं बनने दिया जाएगा.’
जैन ने दिप्रिंट से कहा, ‘पिछली घटनाएं बताती हैं कि जब भी मुसलमान खुले में नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा होते हैं तो बाद में मस्जिद बनाने के लिए जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. इस तरह हर हफ्ते जुटना उनकी तरफ से ताकत का अशिष्ट प्रदर्शन भी है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम वहां जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. हम अपनी जमीन को सीरिया या अफगानिस्तान नहीं बनने देंगे.’
नमाज में शामिल होने वालों में कोई स्थानीय होने की बात से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, ‘(पड़ोसी जिले) नूहं आदि के रहने वाले मुस्लिम अपनी ताकत दिखाने के लिए यहां आ रहे हैं. ये जो लोग आते हैं वे स्थानीय नहीं हैं, वे झूठ बोलते हैं. उन्हें कानून-व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए और अपने घरों और मस्जिदों में ही नमाज अदा करनी चाहिए.’
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