नई दिल्ली: त्योहारों के इस मौसम में आम भारतीयों की रसोई को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ईंधन की बढ़ती कीमतों, अनिश्चित और अनियमित बारिश और त्योहारों पर बढ़ी हुई मांग जैसे कारकों के संयोजन की वजह से रसोई में काम आने वाली मुख्य सब्जियों – प्याज, टमाटर और आलू – की कीमतों में काफी तेजी आई है.
एशिया की सबसे बड़ी थोक फल और सब्जी मंडी दिल्ली की आजादपुर मंडी से प्राप्त सब्जियों की कीमत के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक महीने में टमाटर की औसत कीमत में तक़रीबन 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
13 अक्टूबर को मंडी में इसका थोक मूल्य 60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छू गया था, जो की 7 सितंबर को केवल 16 रुपये था, और इसकी खुदरा दरें – जिस कीमत पर आम ग्राहक इसे खरीदते हैं – 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं.
इसी अवधि में आलू का थोक मूल्य भी 10 रुपये से बढ़कर 20 रुपये और प्याज का भाव 17 रुपये से 40 रुपये हो गया है.
वहीं नवी मुंबई के वाशी एपीएमसी थोक बाजार में टमाटर की कीमत 7 सितंबर को 35 रुपये किलो से बढ़कर 13 अक्टूबर को 57 रुपये किलो हो गई है.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, सभी प्रमुख शहरों में से टमाटर के खुदरा मूल्य में कोलकाता में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है.
13 अक्टूबर को बंगाल की राजधानी में टमाटर 75 रुपये किलो बिक रहा था, जबकि एक महीने पहले यहां यह 27 रुपये किलो बिक रहा था. इसी तरह दिल्ली और चेन्नई में, इसकी कीमत क्रमश: 31 रुपये किलो और 28 रुपये किलो से बढ़कर 72 रुपये किलो थी. मुंबई में कीमतें 21 रुपये किलो से बढ़कर 58 रुपये किलो हो गईं हैं.
कोलकाता के सियालदह के कोली बाजार में सब्जी के थोक विक्रेता प्रदीप सोनकर ने कहा, ‘टमाटर की कीमतों में पिछले एक पखवाड़े में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गयी है और इसकी थोक दरों में 22 रुपये प्रति किलोग्राम से 65 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि जल्दी खराब होने वाली अन्य सब्जियों और कच्चे मसालों, जैसे अदरक, लहसुन, नींबू और धनिया. की कीमतों में भी काफी तेजी आई है.
‘अभी कुछ समय तक जारी रहेगा तेजी का यह रुख’
आजादपुर मंडी में टमाटर के एक थोक व्यापारी मिंटू चौहान ने कहा कि ‘पुरे दिल्ली भर में टमाटर की थोक कीमतें एक महीने के लिए 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ सकती हैं क्योंकि हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से इसकी फसल की आवक पिछले सप्ताह से बाधित है.’
चौहान बताते हैं, ‘इसके अलावा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों, जो प्याज और टमाटर के प्रमुख उत्पादक और आपूर्तिकर्ता हैं, में भी सितंबर में हुई भारी बारिश की वजह से इनकी फसल को नुकसान हुआ है.’
यह भी पढ़ें : कैसे एक एग्रीटेक फर्म बायो-डिकंपोजर का इस्तेमाल कर पराली जलाने से बचने में किसानों की मदद कर रही है
उन्होंने कहा कि ‘हिमाचल में शुरुआती मानसून की बारिश ने काफी अधिक मात्रा में फसल को नष्ट कर दिया है, जबकि मानसून के अंत की बारिश ने दक्षिणी और मध्य राज्यों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
वे हमें समझाते हुए कहते हैं, ‘महाराष्ट्र और कर्नाटक की नई फसल कुछ महीनों में आ जाएगी और उसके बाद ही टमाटर की कीमतें कम होंगी. बेंगलुरु में भी अब तक टमाटर का थोक मूल्य 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया है, जो ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से दिल्ली ले जाने पर और अधिक हो जाता है.’
आजादपुर मंडी न केवल दिल्ली बल्कि राजस्थान के अलावा हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आसपास के राज्यों में भी फलों और सब्जियों की मांग पूरा करती है. इसका लगभग 20 प्रतिशत स्टॉक दक्षिण भारत के राज्यों के बाजारों में भी पहुंचाया जाता है.
आजादपुर मंडी में सब्जियों के थोक व्यापारी बुद्धि राजा सिंह ने बताया कि ‘प्याज की आवक को सबसे ज्यादा झटका लगा है क्योंकि यह इस फसल के कम उत्पादन का मौसम है. हालांकि, नवरात्रि के दौरान मांग में कमी के कारण इसकी कीमतों में टमाटर जितनी बढ़ोतरी नहीं हुई है.‘
वे कई लोगों द्वारा मनाई जाने वाली नवरात्रि परंपरा का हवाला दे रहे थे जिसमें वे मांसाहारी भोजन के साथ-साथ प्याज और लहसुन से भी परहेज करते हैं.
वे कहते हैं, ‘एक बार जब यह (नवरात्रि) खत्म हो जाएगी और नए साल तक त्योहारी मांग जारी रहेगी, तो प्याज की कीमत भी अन्य सब्जियों की तरह ही बढ़ेगी और पिछले साल के 100 रुपये किलो के रिकॉर्ड को भी छू लेगी.’
सिंह ने मौजूदा हालात के लिए अनियमित बारिश को भी जिम्मेदार ठहराया.
सिंह का कहना है, ‘महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक पुरे देश भर में प्याज और टमाटर दोनों के प्रमुख उत्पादक और आपूर्तिकर्ता है. इस साल, पहले तो इनका उत्पादन कम वर्षा की वजह से प्रभावित हुआ था, और फिर शेष फसलों को सितंबर में हुई भारी बेमौसम बारिश से नुकसान हो गया. इसलिए, इन दोनों वस्तुओं की कीमतें इस साल कम-से-कम त्योहारी सीजन तक ऊंची हीं बनी रहेंगी.‘
सब्जी व्यापारियों का कहना है कि ईंधन की बढ़ती कीमतों – ज्ञात हो कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर के ऊपर पहुंच गई हैं – ने परिवहन शुल्क में वृद्धि कर स्थिति को और खराब कर दिया है.
दिल्ली की एक और थोक मंडी गाजीपुर मंडी में प्याज, लहसुन और टमाटर के थोक व्यापारी अवधेश सिंह ने कहा, ‘ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण सभी तरह की बढ़ी हुई लागत – पैकिंग, सामानों को ट्रक पर चढ़ाने और उतारने (लोडिंग और अनलोडिंग) के लिए मजदूरी, और साथ ही पुरे परिवहन की लागत- इन सब कुछ का सब्जियों की कीमतों में वृद्धि में योगदान है.’
वे कहते हैं, ‘पहले जहां हमें महाराष्ट्र से दिल्ली के लिए 25-30 किलो के एक कट्टा के परिवहन के लिए 150-170 रुपये का भुगतान करना होता था, वहीँ अब हमें इसके लिए लगभग 200-230 रुपये का भुगतान करना होगा. राज्यों से आपूर्ति में अतिरिक्त व्यवधानों – जैसे कि उत्पादन में कमी, गुणवत्ता में गिरावट और त्योहारी मांग – की वजह से आने वाले दिनों में सब्जियों की कीमतें और बढ़ेंगी. हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले कुछ महीनों तक ये तीनों सब्जियां कम-से-कम 50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक पर हीं बिकेंगी.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)