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Friday, 22 November, 2024
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IT रेड के बाद कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के PA को लेकर क्यों मचा है सियासी घमासान

पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा इसे राजनीति से जोड़ना नहीं चाहते. लेकिन बंद दरवाज़ों के बीच बीजेपी और उनके बीच रस्साकशी और तेज हो गई है.

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बेंगलुरु: पिछले हफ्ते बीएस येदियुरप्पा के सहयोगी उमेश से संबंधित व अन्य कई संपत्तियों पर इनकम टैक्स की छापेमारी बीजेपी और कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बीच एक नया मुद्दा बन गया है. यह विवाद इतना स्पष्ट है कि विपक्षी दल येदियुरप्पा के साथ भाजपा के बर्ताव को मुद्दा बना रहे हैं.

7 अक्टूबर को जब छापेमारी की न्यूज़ सामने आई तो येदियुरप्पा ने रिपोर्टर्स से कहा, ‘मैं छापेमारी को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहता. यह राजनीति से अलग है.’

लेकिन बीएसवाई के इसमें राजनीति होने से इनकार करने के बावजूद उनके करीबी लोगों का कहना है कि छापेमारी का न तो इस पर प्रभाव पड़ा है और न ही इसका पूर्व मुख्यमंत्री के साथ कोई संबंध है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि पार्टी और नेता के बीच रस्साकसी बढ़ी है.


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कौन है उमेश?

शिवमोगा के मूल निवासी उमेश सरकारी ठेकेदार और साल 2008 में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के पर्सनल सेक्रेटरी बनने के पहले बीएमटीसी में ड्राइवर-सह-कंडक्टर थे.

उमेश ने बीच में येदियुरप्पा के बड़े बेटे और बीजेपी सांसद वाई राघवेंद्र के साथ काम किया और 2019 में जब येदियुरप्पा ने फिर से मुख्यमंत्री का पदभार संभाला तो वे सीएमओ में लौट आए.

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि उमेश सिंचाई विभाग से जुड़े सभी कार्यों के लिए ‘प्वाइंट पर्सन’ के रूप में काम करते थे और बीएसवाई के छोटे बेटे वाई विजयेंद्र के भी करीबी थे. उमेश ने येदियुरप्पा के बाद बसवराज बोम्मई के तहत मुख्यमंत्री कार्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) के रूप में काम करना जारी रखा. आईटी छापेमारी के बाद उमेश की सीएमओ में प्रतिनियुक्ति निरस्त कर दी गई.

येदियुरप्पा खेमे के एक सूत्र ने प्रिंट को बताया, ‘उमेश बीएस येदियुरप्पा और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच एकमात्र कड़ी थे. इन आईटी छापों के बाद एकमात्र सक्रिय संचार का माध्यम कट गया है. कोई इसे संदेश के रूप में कैसे नहीं पढ़ता?’

इस बीच, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के करीबी भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, ‘अगर वह परिवार के करीबी नहीं हैं तो एक निजी व्यक्ति को सीएम का सहायक कैसे नियुक्त किया जा सकता है? उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि वह बोम्मई के समय में भी सीएमओ में बने रहें.

मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव और येदियुरप्पा के वफादार एमपी रेणुकाचार्य ने कहा, ‘बीएस येदियुरप्पा एक बड़े कद के नेता हैं. उनके साथ काम करने वाले एक व्यक्ति के यहां आईटी की रेड पड़ने की वजह से येदियुरप्पा की छवि पर इसका असर नहीं पड़ता.

उनके सहायकों का दावा है कि भाजपा ‘निर्विवाद चुनाव विजेता बनने के लिए बीएसवाई की छवि को खराब करना चाहती है.’ जब से उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया है, तब से येदियुरप्पा के प्रासंगिक रहने के प्रयासों को धक्का पहुंचाने की कोशिश की है.

चाहे वह राज्य का दौरा करने की उनकी योजना थी- जिसे बाद में पार्टी की यात्रा में बदल दिया गया- या अपने बेटे और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेंद्र को उपचुनाव की जिम्मेदारियों से दूर रखना- और अब उनके करीबी सहयोगी पर आईटी छापेमारी, येदियुरप्पा के करीबी सूत्रों का मानना है कि पार्टी उन्हें सार्वजनिक रूप से साइडलाइन करना चाह रही है जो कि उनके साथ अच्छा नहीं किया जा रहा.

येदियुरप्पा के खेमे के सूत्रों ने कहा कि भाजपा येदियुरप्पा को यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह उनके बिना भी चुनाव जीत सकती है. उन्होंने कहा, ‘उनके विरोधी उन्हें चिढ़ाना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना कि वह आगामी उपचुनावों के लिए कैंपेन न करें, ताकि वे दावा कर सकें कि पार्टी येदियुरप्पा के बिना भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. सूत्र ने कहा, ‘सत्तारूढ़ पार्टी को हमेशा उपचुनावों में बढ़त हासिल होती है और वे इस अवसर का इस्तेमाल एक निर्विवाद चुनाव विजेता के रूप में और येदियुरप्पा की छवि खराब करने के लिए करना चाहते हैं.’

राजनीतिक विश्लेषक इस बात से पूरी तरह से असहमत नहीं हैं. ‘आईटी छापेमारी को लेकर कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन अन्य बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि जब से येदियुरप्पा ने पद छोड़ा है, तब से भाजपा नेतृत्व द्वारा स्पष्ट रूप से उन मुद्दों पर विचार नहीं किया जाता जिन पर उनके बीच मतभेद हैं.

लोकनीति नेटवर्क के राजनीतिक विश्लेषक और राष्ट्रीय समन्वयक डॉ संदीप शास्त्री ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह तब से दिखाई दे रहा था जब बोम्मई की मंत्रिपरिषद में येदियुरप्पा की बात को अहमियत नहीं दी गई, जब उनके राज्यव्यापी दौरे को पार्टी के दौर में बदल दिया गया था और जब उनके बेटे विजेंद्र को हनागल के लिए प्रभार में शामिल नहीं किया गया.

उन्होंने यह भी बताया कि कैसे हंगल विधानसभा सीट के लिए विजयेंद्र को प्रभारी के रूप में जोड़कर पार्टी ने ‘चीजों को ठीक करने’ की कोशिश की.

येदियुरप्पा ने कहा, ‘अभी के लिए, हम सिर्फ यह कर सकते हैं कि इंतज़ार करें और देखें. फरवरी तक बीबीएमपी चुनाव और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव से लेकर विधान परिषद व उपचुनाव होने हैं. तब तक वह इंतजार करेंगे और देखेंगे कि पार्टी उनके साथ कैसा व्यवहार करती है और फिर वह उसी के अनुसार कदम उठाएंगे.

सूत्र के मुताबिक, इंतजार करने और देखने का फैसला इस आश्वासन से निकला है भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विजयेंद्र को एमएलसी बनाने और साल के अंत कर बोम्मई की कैबिनेट में जगह देने के लिए कहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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