यूके के कोविड क्वारेंटाइन नियमों के प्रति भारत की आक्रामक डिप्लोमेसी और जैसे-को-तैसा वाली नीति प्रशंसनीय है. हो सकता है यह बहुत वांछित तरीका न हो लेकिन कुछ नौकरशाही डिप्लोमेसी को मुश्किल कर सकती हैं. नई दिल्ली को अब स्वदेशी कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की क्लियरेंस दिलाने पर फोकस करना चाहिए.