लखीमपुर खीरी: अपने घर में लकड़ी के चबूतरे पर बैठी सुषमा मिश्रा रविवार को लखीमपुर खीरी में हिंसक झड़पों की खबरों के बीच कुछ ढूंढ़ने की उम्मीद में अखबार के पन्ने पलटती हैं.
अखबार के पहले पन्ने में विरोध-प्रदर्शन से जुड़ी खबरों की भरमार है. लेकिन सुषमा परेशान हैं. वह अखबार को हाथ में लिए हुए ही रोते-रोते कहती हैं, ‘क्या आपको कहीं मेरे बेटे की तस्वीर दिखाई दे रही हैं? उन्होंने उसकी तस्वीर तक नहीं छापी है. अन्य सभी लोग जो मारे गए हैं उनका यहां जिक्र है. उन्होंने उसे क्यों छोड़ दिया? मीडिया पक्षपात करता है.’
लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा में मारे गए एक ड्राइवर के साथ दो भाजपा कार्यकर्ताओं में उनका बेटा शुभम मिश्रा भी शामिल था, जो कि उस काफिले में शामिल थे जिसने किसानों और एक स्थानीय पत्रकार को कुचल दिया था.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री (एमओएस) अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा कथित तौर पर काफिले का हिस्सा था और उनके खिलाफ हत्या और दंगे के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है.
शुभम के पिता विजय मिश्रा इस बात से काफी नाराज हैं कि परिवार पर संकट की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तरफ से उनकी अनदेखी की जा रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘हमें मुआवजे के संबंध में कोई लिखित जानकारी नहीं दी गई है लेकिन हत्यारों और आतंकवादियों को पहले ही चेक सौंपे जा चुके हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जिन्हें पीट-पीटकर मार डाला गया, उनके बारे में लिखित तौर पर यह तक नहीं बताया गया कि कुछ दिया जाएगा या नहीं. लेकिन मुझे किसी से कुछ चाहिए भी नहीं, बल्कि सरकार मुझसे और जो संभव हो ले ले. लेकिन मुझे मेरा बेटा वापस ला दे.’
परिवार चाहता है कि सरकार शुभम की मौत को स्वीकार करे और उसे ‘शहीद’ घोषित करे.
विजय मिश्रा ने आगे कहा, ‘मेरा बेटा भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गया था. उसने भाजपा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और पार्टी ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया है. उन्होंने कहा, ‘अब देखना है कि भाजपा हमारे लिए क्या करेगी क्योंकि हमने तो अपना सब कुछ पार्टी को दे दिया है. भाजपा को उसे ‘शहीद’ घोषित करना चाहिए. उसकी मौत को स्वीकार किए जाने की जरूरत है. हम बस यही चाहते हैं.’
विजय मिश्रा ने साथ ही यह चेतावनी भी दी कि अगर सरकार उनके बेटे की मौत को स्वीकार नहीं करती, तो वह आने वाले चुनावों में इसके खिलाफ प्रचार करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘यह तो समय ही बताएगा कि भाजपा ऐसा करेगी या नहीं (उसे शहीद घोषित करना) अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो मैं आगामी चुनाव में खुलकर सामने आऊंगा और सबको अपना दर्द सुनाऊंगा.’
यह पूछे जाने पर कि क्या इस त्रासदी के बाद पार्टी या सरकार के किसी सदस्य ने परिवार से मुलाकात की, विजय मिश्रा ने बताया कि यद्यपि स्थानीय प्रतिनिधि- लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा और लखीमपुर के विधायक योगेश वर्मा- परिवार से मिलने आए थे लेकिन पार्टी की तरफ से किसी और ने ऐसा नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘मंत्रीजी (अजय मिश्रा) हमसे मिलने आए और विधायक भी तीन बार आए. लेकिन पार्टी हमारे लिए क्या कर रही है? हत्यारों को मुआवजा देकर उन्होंने पहले ही हमें निराश किया है. उन्होंने हमारे साथ बहुत अन्याय किया है. यह भविष्य में सरकार को महंगा पड़ेगा. सरकार जो कर रही है वह भयावह है.’
घटना को याद करते हुए शुभम की मां सुषमा मिश्रा ने कहा कि जहां तक उन्हें पता है वह शायद उस महिंद्रा थार की पिछली सीट पर बैठा था जो वाहनों के काफिले में आगे चल रही थी. उन्होंने बताया, ‘उसका फोन लगभग 2-2.30 बजे बंद हो गया, जब मैंने फोन करना शुरू किया. हमें पता चला था कि कार्यक्रम के बजाये, कुछ और ‘दंगल ’ चल रहा है. फिर हमने अस्पतालों और अन्य जगहों पर संपर्क करने की कोशिश भी की लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई. एक वीडियो के जरिए हमें पता चला कि वह नहीं रहा.’
शुभम अपने पीछे पत्नी और एक साल की बेटी छोड़ गए हैं.
मां ने कहा, ‘उसे एक बेहद दर्दनाक और क्रूर मौत दी गई है. हमने उसका चेहरा तक नहीं देखा, न ही मैंने परिवार में किसी अन्य को ही उसका चेहरा दिखाया, क्योंकि उसे बेरहमी से मार दिया गया. जो हत्यारे हैं उन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए. उसकी बेटी की देखभाल कौन करेगा?’
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मीडिया को दिखा रहा उससे परिवार नाखुश
शुभम मिश्रा का परिवार मीडिया में प्रदर्शनकारियों को ‘किसान’ के तौर पर दर्शाए जाने और अन्य को नकारात्मक ढंग से चित्रित किए जाने से नाखुश है.
शुभम के पिता विजय ने कहा, ‘हम भी किसान हैं. क्या हम किसान नहीं हैं? हमें पैसा नहीं चाहिए. हमारे बेटे के जीवन को किसी भी तरह से पैसे से नहीं तौला जा सकता. सरकार जो कर रही है वह बहुत गलत है. बहुत से लोग मेरे पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि हमें धरना-प्रदर्शन करना चाहिए, लेकिन मैं कह रहा हूं कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा. मैंने अपना बेटा खो दिया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वे ‘किसान’ नहीं थे. मीडिया गलत समझ रहा है. अगर वे किसान होते तो लोगों को इतनी बेरहमी से नहीं मारते. अगर वे किसान होते तो वे अपने मुद्दे उठाते कि ‘हमें सही दाम नहीं मिल रहे’, ‘कीमतें बढ़ाओ’ आदि. वे मंडियों में विरोध-प्रदर्शन करते और गुरुद्वारों में बैठकें करते या फिर हमलों की योजना बनाते.’
विजय मिश्रा ने आगे कहा, ‘मेरा बेटा बूथ अध्यक्ष की हैसियत से कार्यक्रम में गया था. नहीं तो 90 किलोमीटर दूर वहां जाने का क्या कोई और कारण था?’
हिंसक झड़प के दौरान मारे गए 31 वर्षीय ड्राइवर हरिओम मिश्रा का परिवार भी उतना ही व्यथित है. हरिओम परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और अपने बीमार पिता की देखभाल का जिम्मा भी उसी पर था.
दिप्रिंट ने बुधवार को जब उस परिवार का दौरा किया, तो पाया कि 10 सदस्यों का यह परिवार एक साधारण से घर में रह रहा है, उसके पिता एक कमरे में लेटे हैं और एक गाय भी वहीं रहती है.
हरिओम मिश्रा के चाचा चंद्रभाल मिश्रा ने बताया, ‘पिछले 3-4 दिनों से हमें उसके बारे में कुछ पता नहीं चला था. हमें अपुष्ट स्रोतों से ही उसकी मौत की खबर मिली. हम मुर्दाघर गए और फिर उसके शव को पहचाना. हमें पता चला कि उस पर पीछे से हमला किया गया था और उसकी पीठ पूरी तरह टूट गई थी. बाद में एफआईआर दर्ज की गई.’
उन्होंने कहा, ‘उसके पिता का स्वास्थ्य काफी समय से ठीक नहीं हैं और वह अकेले ही घर चला रहा था. कुछ लोगों ने आकर हमें मुआवजे के बारे में सूचित किया था लेकिन अभी तक कुछ मिला नहीं है. मंत्री की पत्नी भी आई थीं क्योंकि मंत्री को दिल्ली जाना था.’
चंद्रभाल मिश्रा ने यह भी कहा कि हरिओम पर हमला करने वाले लोग ‘निश्चित तौर पर किसान नहीं थे क्योंकि उनके पास लाठी और तलवारें थीं.’
हरिओम के भाई श्रीराम मिश्रा ने कहा कि परिवार बस यही चाहता है कि उसे न्याय मिले और दोषियों को सजा दी जाए. उनका भाई ‘पिछले 4-5 वर्षों से मंत्री के साथ काम कर रहा था.’
मृतक ड्राइवर की मां निशा मिश्रा ने कहा कि परिवार के पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं और उन्हें अपनी बेटी की शादी में लिया गया पांच लाख रुपये का कर्ज भी चुकाना है.
हरिओम का परिवार भी पूरी घटना को लेकर मीडिया कवरेज से नाराज है.
उसके एक रिश्तेदार शिव गोबिंद मिश्रा ने कहा, ‘कोई यह नहीं पूछ रहा है कि हरिओम को क्यों पीटा गया. वह तो थार नहीं चला रहा था. बल्कि दूसरी कार में था. उसकी बेरहमी से पिटाई की गई. मीडिया सच नहीं दिखा रहा है.’
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