हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला- जिन्होंने उनसे ‘वैचारिक मतभेदों’ के बाद जुलाई में, पड़ोसी सूबे तेलंगाना में अपनी राजनीतिक पार्टी शुरू की थी- ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी पार्टी निश्चित समय में, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ औपचारिक गठबंधन करेगी और उन्होंने ये भी कहा कि प्रशांत ने ‘एक भाई की तरह’ उन्हें सहायता का आश्वासन दिया था.
प्रशांत किशोर और उनके राजनीतिक वकालत करने वाले समूह आई-पैक ने, 2018 के आंध्र असेम्बली चुनावों में जगन के राजनीतिक रणनीतिकार के काम को अंजाम दिया था. ये टीम आंध्र सीएम की जीत में सहायक साबित हुई- आक्रामक प्रचार, विज्ञापन और सोशल मीडिया में ज़ोरदार मौजूदगी उनके कुछ ऐसे प्रमुख विचार थे, जो पार्टी के लिए अच्छे से काम कर गए.
ये टीम जगन की प्रजा संकल्प यात्रा में भी नज़दीकी के साथ जुड़ी हुई थी- पूरे राज्य की 3,648 किलोमीटर लंबी विशाल पैदल यात्रा, जो उन्होंने असेम्बली चुनावों से पहले की थी. जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) भारी बहुमत के साथ विजयी हुई और उसने चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) को सत्ता से बाहर कर दिया.
लेकिन, इस साल मई में बंगाल में आक्रामक बीजेपी के खिलाफ, तृणमूल कांग्रेस को लगातार तीसरी बार जिताने में सहायता करने के बाद, किशोर ने ऐलान किया कि वो राजनीतिक रणनीति का क्षेत्र छोड़ रहे हैं. हालांकि, उसके बाद की ख़बरों से आभास होता है कि वो वो अभी भी पश्चिम बंगाल से बाहर पैर पसारने में तृणमूल की सहायता कर रहे हैं.
शर्मिला ने रविवार को एक स्थानीय चैनल के साथ एक विस्तृत इंटरव्यू में कहा, ‘हम सही समय पर पीके की सेवाएं लेंगे. मैंने अभी तक पीके को कोई काम नहीं सौंपा है, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि ‘एक भाई के नाते मैं आपके साथ खड़ा होऊंगा और आपकी सहायता करूंगा, ‘…इसलिए हमें सही समय पर प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए’.
वो एक सवाल का जवाब दे रहीं थीं कि क्या वो किशोर को एक राजनीतिक रणनीतिकार के नाते, अपने साथ काम करने के लिए ‘हायर’ करेंगी.
लेकिन शर्मिला ने स्पष्ट किया उन्होंने अभी किशोर से, औपचारिक रूप से बात नहीं की है कि प्रक्रिया कब शुरू की जाएगी.
दिप्रिंट ने फोन तथा टेक्स्ट के ज़रिए किशोर से उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला था.
रविवार के इंटरव्यू के दौरान शर्मिला ने, अपने भाई के साथ ‘मतभेदों’ पर भी बात की, लेकिन इन अफवाहों का खण्डन किया कि उन दोनों के बीच बातचीत नहीं है.
उन्होंने ये ज़रूर कहा कि वो जगन के संपर्क में हैं, लेकिन अपनी पार्टी शुरू करने से पहले ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया था, कि अपने नए राजनीतिक सफर में उन्हें जगन से कोई सहायता नहीं मिली थी. आंध्र प्रदेश सरकार ने भी कहा था कि जगन, तेलंगाना में राजनीतिक पार्टी बनाने के खिलाफ थे- क्योंकि वो उस राज्य में विपक्ष में नहीं रहना चाहते, जहां कभी उनके क़रीबी दोस्त रहे के चंद्रशेखर राव (केसीआर) का शासन था.
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CM की बहन का उत्थान
8 जुलाई को- जो उनके स्वर्गीय पिता और आंध्र सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) की वर्षगांठ है, शर्मिला ने अपनी राजनीतिक पार्टी, वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) लॉन्च कर दी.
पार्टी का घोषित उद्देश्य प्रदेश में ‘राजन्ना राज्यम’ (जिसका अस्पष्ट सा अर्थ है वाईएसआर की तरह का शासन) लाना है.
तेलंगाना की सियासत में शर्मिला का प्रवेश ऐसे समय हो रहा है, जब राज्य में कांग्रेस और बीजेपी जैसी विपक्षी पार्टियां ज़ोर पकड़ती दिख रही हैं. राज्य में बरसों तक विपक्ष दिखाई नहीं पड़ता था, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति और मज़बूत हो गई.
अब कांग्रेस, जो राज्य में नेताओं के दलबदल कर दूसरी पार्टियों में जाने और नेतृत्व के अंदरूनी मसलों के चलते गर्त में चली गई थी, जून में रेवंत रेड्डी के पीसीसी चीफ नियुक्त किए जाने के बाद, पुनर्जीवित होने की उम्मीद कर रही है.
इस बीच, बीजेपी भी राज्य में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है- पहले पिछले साल के दुबक्का उपचुनाव में, जहां भगवा पार्टी ने टीआरएस को पछाड़ दिया और फिर ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव, जिनमें बीजेपी ने 2016 के अपने प्रदर्शन के मुक़ाबले, दस गुना अधिक सीटों पर जीत हासिल की.
लेकिन पहले से ही आक्रामक विपक्ष के खेल में, किसी नई पार्टी के लिए ज़्यादा जगह नहीं बचती, हालांकि शर्मिला सियासत में नई नहीं हैं.
2018 के असेम्बली चुनावों में उन्होंने अपने भाई के प्रचार में एक अहम भूमिका निभाई थी. उससे पहले 2012 में, जब आय से अधिक संपत्ति मामले में जगन जेल गए, तो उन्होंने 3,000 किलोमीटर लंबी एक पदयात्रा के साथ, वाईएसआरसीपी को सक्रिय बनाए रखा था.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, दोनों के बीच हालिया ‘वैचारिक मतभेद’- जिसके बाद बहन-भाई की जोड़ी के बीच बढ़ती अनबन की अटकलें लगने लगीं थीं- तब शुरू हुए जब शर्मिला ने 2018 में पार्टी की जीत और पार्टी में अपनी जगह को लेकर अपना हक़ जताना शुरू किया. सूत्रों के अनुसार शर्मिला ने राज्यसभा नामांकन की मांग की थी, जिसे उनके भाई ने मना कर दिया, क्योंकि कथित रूप से वो परिवार के अंदर सत्ता बांटने के इच्छुक नहीं थे.
रविवार के इंटरव्यू में जगन की पार्टी के साथ अपने जुड़ाव और पदयात्रा में अपनी भूमिका पर बात करते हुए शर्मिला ने कहा, ‘मैं किसी भी समय पार्टी (वाईएसआरसीपी) की सदस्य तक नहीं थी. उन्होंने मुझे कभी नहीं बुलाया या किसी पद की पेशकश नहीं की और मैंने भी कभी नहीं पूछा, पदयात्रा के दौरान भी नहीं’.
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