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Friday, 22 November, 2024
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राजनाथ सिंह ने तालिबान के कब्जे को एक ‘सबक’ बताया, ‘गैर-जिम्मेदार राष्ट्रों’ पर साधा निशाना

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि अफगानिस्तान और इस पूरे क्षेत्र में मची उथल-पुथल ‘आक्रामक मंसूबों और विद्रोही संगठनों को सक्रिय समर्थन’ दिए जाने का नतीजा है.

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेना सभी के लिए एक सबक है और ‘गैर-जिम्मेदार देशों की तरफ से आक्रामक मंसूबों और विद्रोही संगठनों को सक्रिय समर्थन’ दिए जाने के कारण ही यह क्षेत्र उथल-पुथल से गुजर रहा है.

राजनाथ सिंह का इशारा परोक्ष रूप से पाकिस्तान की तरफ था, जिसे एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जिसने काबुल के तालिबान के कब्जे में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र का ताजा घटनाक्रम दर्शाता है कि हिंसक कट्टरपंथी ताकतें एक नई सामान्य व्यवस्था के नाम पर वैधता हासिल करने का प्रयास कर रही हैं.

नई दिल्ली स्थित नेशनल डिफेंस कॉलेज के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी सीमाओं पर यथास्थिति को चुनौती दिए जाने, और देश की साख बिगाड़ने और पड़ोस में दखल की कोशिशें तेज होने जैसी स्थितियों का मुकाबला कर रहा है.

यह स्पष्ट करते हुए कि भारत सभी के साथ शांति के लिए प्रतिबद्ध है, राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान पर बालाकोट एयरस्ट्राइक और पिछले साल चीन के साथ गलवान घाटी की झड़प ‘सभी आक्रामणकारियों के लिए स्पष्ट संकेत’ है कि संप्रभुता को खतरे में डालने के किसी भी प्रयास का ‘त्वरित और मुंहतोड़ जवाब’ दिया जाएगा.

उनकी टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब कुछ दिन पहले ही चीन ने एक बार फिर भारत पर गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

राजनाथ सिंह ने ‘व्यापक सरकारी’ दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें राज्य सत्ता के सभी हिस्से भविष्य की चुनौतियों का अनुमान लगाने और उन्हें नाकाम करने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं.


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‘दुनिया ने आतंकवाद का अस्थिरताकारी असर देखा’

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत लंबे समय से ‘हिंसक कट्टरपंथी और आतंकी समूहों को पाकिस्तान के सक्रिय समर्थन’ की जो बात कहता रहा है, उसे अब शिद्दत से महसूस किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘आज, दुनिया आतंक के अस्थिरताकारी असर और खासकर हिंसक कट्टरपंथी ताकतों के उभरने की गवाह बनी है, जो नई सामान्य व्यवस्था के नाम पर वैधता हासिल करने का प्रयास कर रही हैं. क्षेत्र में मची उथल-पुथल गैर-जिम्मेदार राष्ट्रों की तरफ से आक्रामक मंसूबों और विद्रोही संगठनों का सक्रिय समर्थन दिए जाने का असर है.’

लगभग दो दर्जन देशों के लोगों के साथ भारतीय छात्रों, जो ब्रिगेडियर और संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी हैं, को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि उभरती भू-राजनीति में एक ही चीज निश्चित है और वो है इसकी अनिश्चितता, राज्य की सीमाओं में बदलाव पहले कभी आज की तरह इतनी तेजी से नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, ‘राज्यों की तेजी से बदलती संरचना और उस पर बाहरी शक्तियों का क्या प्रभाव हो सकता है, यह स्पष्ट तौर पर सामने है. ये घटनाएं सत्ता की राजनीति की भूमिका और राज्य के ढांचे और व्यवहार में बदलाव के लिए आतंकवाद को एक टूल की तरह इस्तेमाल किए जाने पर सवाल उठाती हैं.’

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि रणनीतिक मामलों के छात्रों को अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं से सबक लेना चाहिए, जो इस क्षेत्र और उसके बाहर महसूस किए जा रहे तात्कालिक असर से कहीं ज्यादा हैं.

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को देखकर एक बात तो निश्चित तौर पर साफ हो जाती है कि आतंकवाद, दहशत, मध्ययुगीन विचार और कृत्य, लैंगिक आधार पर भेदभाव, असमानता और अड़ियल विचारों से युक्त व्यवहार किस तरह लोगों की आकांक्षाओं और समावेशी ढांचे को ध्वस्त कर सकते हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, अन्याय कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, मानव अस्तित्व में निहित अच्छाई की सामूहिक शक्ति को न तो हरा सकता है और न ही हरा पाएगा.’


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‘भारत हर तरह से मजबूत हुआ है’

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले दशक में, ‘हर तरह से मजबूती हासिल की है’, और एक बड़ी वैश्विक भूमिका और जिम्मेदारी संभाल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘हम अपनी सीमाओं पर यथास्थिति को चुनौती दिए जाने, आतंकवाद को सीमा पार से समर्थन और हमारी साख बिगाड़ने और हमारे पड़ोस में धाक जमाने की कोशिशें तेज होने जैसी स्थितियों का मुकाबला कर रहे हैं.’

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत सभी देशों के बीच शांति और सद्भावना के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए कोई खतरा अब बर्दाश्त नहीं किए जाने के अपने दृढ़ संकल्प को दिखा दिया है.

उन्होंने कहा, ‘बालाकोट और गलवान में हमारी कार्रवाई सभी आक्रमणकारियों के लिए स्पष्ट संकेत है कि हमारी संप्रभुता को खतरे में डालने की किसी भी कोशिश का त्वरित और मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.’

उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा के नजरिये से बात करें तो देश और सेना इससे अच्छी तरह वाकिफ है कि भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए सैन्य रणनीतियों और प्रतिक्रियाओं में सशस्त्र बलों की अन्य सभी खासियतों के अलावा सक्रिय तालमेल की आवश्यकता भी होगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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