नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके पूरे मंत्रिमंडल को ‘अचानक’ बदल दिए जाने के कदम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदर के लोगों सहित कई व्यक्तियों को आश्चर्यचकित कर दिया था.
लेकिन, जैसा कि दिप्रिंट को पता चला है, रूपाणी को हटाने का यह फैसला कोई जल्दबाजी में लिया गया कदम नहीं, बल्कि कुछ महीने पहले से भाजपा द्वारा परिकल्पित एक लंबी-अवधि की योजना का हिस्सा था.
सूत्रों का कहना है कि – इसे क्रियान्वित किए जाने में कुछ समय लगा क्योंकि भाजपा विरोधों से बचना चाहती थी और साथ ही सुचारु रूप से सत्ता हस्तांतरण भी सुनिश्चित करना चाहती थी, ख़ासकर यह देखते हुए कि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
सूत्रों के अनुसार, गुजरात के पूरे मंत्रिमंडल को बदलने का कदम भी कई नौकरशाहों को, जो कुछ मंत्रियों के काफ़ी करीबी बन गये थे और अपनी मनमर्ज़ी कर रहे थे, एक संदेश भेजने के लिए लिया गया था.
साथ ही साथ, पार्टी एक ऐसी युवा टीम चाहती थी जो पार्टी की राज्य इकाई के साथ तालमेल बिठा सके, जिसमें अध्यक्ष सी.आर. पाटिल के नेतृत्व में काफ़ी बदलाव हुए.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘कई नौकरशाह मंत्रियों के छद्म प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) बन गए थे और स्वयं विभागों को चला रहे थे. इसलिए यह महाबदलाव यह संदेश देने के लिए भी किया गया है कि कुछ भी स्थायी नहीं है और उन्हें कुशलता से काम करने और अपना प्रदर्शन दिखाने की आवश्यकता है.’
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पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त रोष
इस सारे घटनाक्रम से पूरी तरह से वाकिफ लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफ़ी गुस्सा था और कई लोगों का मनोबल टूट सा गया था क्योंकि उन्हें लगता था कि सत्ता के पदों पर बैठे लोग हीं अपनी मनमर्ज़ी करते रहेंगे और भविष्य में भी उनके लिए कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.
इस नेता ने आगे कहा, ‘न केवल मतदाताओं के लिए बल्कि हमारे कार्यकर्ताओं के लिए भी यह सब बहुत नीरस हो गया था क्योंकि हमारे मंत्रियों का एक ही समूह चला आ रहा था.’
उनका कहना था, ‘वर्तमान में काम कर रहे मंत्रियों को बदलने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि उनके खिलाफ भारी सत्ता विरोधी लहर थी और कई कार्यकर्ताओं ने ऐसा फीडबैक दिया था कि वे उनकी पहुंच में भी नहीं थे. अतः एक नई ऊर्जा का संचार करने और भविष्य के लिए एक टीम बनाने की आवश्यकता महसूस की गई.’
भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा कि इनमें से कुछ मंत्री तो पिछले बीस साल से कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने मोदी, आनंदीबेन पटेल और रूपानी के दो मंत्रिमंडलों (2016 से 2021 तक) में काम किया है.
इस नेता ने कहा, ‘यहां-वहां थोड़े से बदलाव करने से हमारा उद्देश्य पूरा नहीं होता क्योंकि राज्य में चीजों को ठीक करने के लिए किसी सर्जरी की तरह आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता थी. केंद्रीय नेतृत्व न केवल मतदाताओं को बल्कि कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश देना चाहता था कि गुजरात अब एक नई पीढ़ी के लिए तैयार है.’
पार्टी के एक तीसरे नेता ने कहा कि ये बदलाव युवा नेताओं पर अपना ध्यान केंद्रित करने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने की भाजपा की नई रणनीति का हिस्सा हैं.
उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड से लेकर असम तक हम युवा नेताओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हर पार्टी को आगे की सोचने और भविष्य के लिए तैयार होने की जरूरत होती है और गुजरात को, जिसने 26 साल से लगातार बीजेपी का शासन ही देखा है, इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि यह चीजें नीरस सी हो गई थीं.’
जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा गया है
भाजपा ने रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया है, जो पहली बार विधायक बनने वाले लो-प्रोफाइल (कम चर्चा मे रहने वाले) शख़्श हैं, लेकिन जाति से एक पाटीदार हैं.
पाटीदार अथवा पटेल समुदाय को गुजरात में आर्थिक और राजनीतिक रूप से सबसे प्रभावशाली समुदाय माना जाता है. राज्य की कुल 182 में से 70 से 90 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय की पकड़ है.
पार्टी के एक चौथे नेता ने कहा कि जिन मंत्रियों को नई टीम में जगह मिली है, उनका भी चयन इसी तरह किया गया है क्योंकि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रख रही है.
इस नेता के अनुसार, जातीय संतुलन को बनाए रखा गया है ताकि भाजपा विशिष्ट वोट-बैंकों तक अपनी पहुंच बना सके.
उन्होंने कहा, ‘पटेल से लेकर ओबीसी, एससी, एसटी सब को मौका मिला और कैबिनेट में महिलाओं का भी अच्छा प्रतिनिधित्व है. अब कार्यकर्ता खुश हैं और उन्हें लगता है कि भविष्य में उन्हें भी मौका मिल सकता है.’
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