नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले शनिवार को केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ बैठक करते हुए देश में चल रही कल्याणकारी योजनाओं के वितरण में आधार के व्यापक रूप से उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि इसका उपयोग उस हद तक किया जाना चाहिए जिसकी कानूनी रूप से अनुमति है.
2009 में शुरू किए गये आधार को सामाजिक कल्याण योजनाओं और सब्सिडी (अनुदान) आधारित कार्यक्रमों के बेहतर वितरण हेतु एक प्रभावी समाधान के रूप में देखा गया था. लेकिन इसे पहली बार 2012 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
साल 2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि किसी को भी आधार के अभाव में किसी भी तरह के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. हालांकि, 2015 में अदालत अपने फ़ैसले में आंशिक रूप से संशोधन करते हुए केंद्र को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस योजना), विशेष रूप से खाद्यान्न और खाना पकाने के ईंधन जैसे केरोसिन के वितरण, के लिए आधार का उपयोग करने की अनुमति दे दी थी.
साल 2018 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार टारगेटेड डेलिवरी ऑफ फाइनेंशियल एंड अदर सब्सिडीज़, बेनिफिट्स एंड सर्विसेज़) एक्ट की धारा 7 को भी बरकरार रखा, जिसने राज्य द्वारा दी जा रही सब्सिडी, अन्य लाभों और सेवाओं का फ़ायदा उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पीएम ने इस तथ्य पर जोर दिया कि विशिष्ट पहचान संख्या (यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर- यूआईडी) का अधिक कुशलता से उपयोग किया जाना चाहिए तथा इसे सेवाओं के बेहतर वितरण के लिए अधिक योजनाओं में अपनाया जाना चाहिए. नौकरशाह आम तौर पर सुप्रीम कोर्ट के 2013 के आदेश को ही पढ़ लेते हैं और इसके परिणामस्वरूप, आधार की पूरी क्षमता का अभी तक किसी को एहसास नहीं हुआ है.’
शनिवार को कई घंटों तक चली इस बैठक में पीएम मोदी ने सचिवों से बेहतर डेटा गवर्नेंस के लिए एक टास्क फोर्स बनाने पर विचार करने को भी कहा. इस अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने जीआईएस मैपिंग का उदाहरण देते हुए बताया कि अगर हम वास्तव में अपनी सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को आपस में जोड़ लेते हैं तो कैसे हम सभी योजनाओं का एक मैप तैयार कर सकते हैं और उनके लिए बेहतर योजना बना सकते हैं.’
पीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक के उपरांत कैबिनेट सचिव राजीव गौबा द्वारा सोमवार को विभागीय सचिवों को लिखे गये एक पत्र में भी डेटा गवर्नेंस के महत्व पर जोर दिया गया है.
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‘डेटा के उपयोग से बढ़ सकती है जीडीपी ग्रोथ’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पीएम मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे डेटा जीडीपी में और ज़्यादा वृद्धि के लिए ईंधन के रूप में काम कर सकता है.
एक दूसरे अधिकारी का कहना था, ‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों में और बेहतर प्रदर्शन के लिए अच्छे डेटा का लाभ उठाया जा सकता है. उन्होंने इस बारे में भी बात कि कैसे विभिन्न विभागों द्वारा डेटा एकत्रित किया जा रहा है और कैसे इसे साझा करके हम अपनी योजनाओं को और बेहतर बना सकते हैं.’
अधिकारियों के मुताबिक, मोदी ने सचिवों से मौजूदा मानव संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करने और उन्हें प्रशिक्षित करने को भी कहा. ऊपर उद्धृत किए गये पहले अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने यह भी बताया कि क्षमता निर्माण और लोगों को बेहतर प्रशिक्षण देना सुशासन का एक महत्वपूर्ण घटक है.’
उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद कई सचिवों ने नीति संबंधी मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और बताया कि वे सुशासन को कैसे और आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि, ‘सचिवों द्वारा साझा किए गए सभी विचारों और प्रस्तावों पर काम किया जाएगा और जो व्यावहारिक रूप से संभव है उन्हें लागू किया जाएगा.’
दूसरे अधिकारी ने यह भी कहा कि सचिवों को दिए अपने भाषण में, मोदी ने सरकारी कार्यक्रमों के तेज और कुशल वितरण की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को इन योजनाओं का लाभ मिल सके.
कैबिनेट सचिव गौबा ने सचिवों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि पीएम ने इस बात पर जोर दिया है कि ‘प्रौद्योगिकी की शक्ति का पूरी तरह से लाभ उठाने’ के प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.’
दूसरे अधिकारी ने इस पत्र में लिखी गई विषय वस्तु का हवाला देते हुए कहा, ‘सरकार की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों में एक अंतनिर्हित (इनबिल्ट) डिजिटल घटक होगा.’
यह पत्र, जिसे दिप्रिंट द्वारा भी देखा गया है, में कहा गया है: ‘आज के डिजिटल युग में, डेटा एक बहुत ही मूल्यवान संसाधन है. एक एकल डेटा स्रोत भी कई तरह के फ़ायदों के लिए उपयोगी हो सकता है. डेटा गवर्नेंस हमारे देशवासियों के जीवन को परिवर्तित करने के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों की कुंजी है. हमें ‘डेटा के रूप में धन’ की अवधारणा को अपनाना चाहिए और डेटा की इस क्षमता का भरपूर उपयोग करना चाहिए.’
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