लखनऊ: अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से यूपी में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी (आप) ने ब्राह्मणों को साधने के इरादे के साथ मंगलवार को अयोध्या में अपनी ‘तिरंगा यात्रा’ शुरू की. यही नहीं वह अगले महीने से ‘चाणक्य सम्मेलनों’ की सीरीज शुरू करने की योजना भी बना रही है.
दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी की यह पहल एक बेहद महत्वपूर्ण वोट बैंक माने जाने वाले ब्राह्मणों तक पहुंच बनाने की कवायद का हिस्सा है, जो एक ऐसा समुदाय है जिसकी राज्य की आबादी में भागीदारी लगभग 12 प्रतिशत है.
यात्रा की शुरुआत दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आप सांसद और पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह के साथ की. दोनों नेता सोमवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि और हनुमानगढ़ी मंदिर गए थे, जहां वह हनुमान चालीसा का पाठ करते दिखाई दिए.
आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पहले हमने केवल नोएडा और लखनऊ में यात्रा की योजना बनाई थी, लेकिन अब अगले दो महीनों में इसका आयोजन सभी जिलों में किया जाएगा. इस यात्रा के दौरान, हम देशभक्ति के गीत और नारे बजाएंगे.’
आप के एक दूसरे पदाधिकारी ने बताया कि तिरंगा यात्रा और अयोध्या में मंदिरों का दौरा राज्य में सत्ताधारी पार्टी भाजपा का मुकाबला करने की पार्टी की रणनीति का हिस्सा है.
पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘मैं यह दावा तो नहीं कर सकता कि हम कितनी सीटें जीतेंगे, लेकिन हम शहरी सीटों पर कुछ पार्टियों, खासकर भाजपा का खेल बिगाड़ जरूर सकते हैं.’
ऐसा नहीं है कि सिर्फ आप ही ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर रही है; भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से ‘जन सम्मेलन यात्राओं’ का आयोजन किया जा रहा है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) एक ‘शिव सेवक सम्मेलन’ कर रही है.
संजय सिंह ने सोमवार क भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आप का सच्चा राष्ट्रवाद भाजपा के नकली राष्ट्रवाद पर भारी पड़ेगा. आप की तिरंगा यात्रा को हर तरफ जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिल रही है. अयोध्या के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी. इसका उद्देश्य राज्य में विकास और ईमानदारी की नई राजनीति को स्थापित करना है.
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‘चाणक्य विचार सम्मेलन’
आप की तरफ से ‘चाणक्य विचार सम्मेलनों’ के आयोजन की भी तैयारी की जा रही है, जो ब्राह्मणों को लुभाने के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम की एक श्रृंखला है जो 3 अक्टूबर से शुरू होगी. पहला सम्मेलन लखनऊ में किया जाएगा.
आप के एक नेता ने बताया कि लखनऊ के अलावा प्रयागराज, मेरठ, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, गोरखपुर समेत कई अन्य जिलों में भी ये सम्मेलन किए जाएंगे.
भाजपा, बसपा और सपा सभी की तरफ से ब्राह्मणों का समर्थन हासिल करने के लिए ‘प्रबुद्ध सम्मेलनों’ का आयोजन किया जा रहा है, इस पर आप नेता का कहना है कि यह उनकी पार्टी ही थी जिसने राज्य में ब्राह्मणों पर अत्याचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की.
उन्होंने कहा, ‘हम पीड़ित परिवारों को अपनी चिंताओं के बारे में खुलकर बताने और अपना दर्द समुदाय के अन्य लोगों के साथ साझा करने के लिए आमंत्रित करेंगे. पिछले चार सालों से ब्राह्मण खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं और यही यूपी में भाजपा के पतन का कारण बनेगा.’
यूपी में आप के प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा, ‘हम चाणक्य सम्मेलन में ‘सुशासन’ मॉडल पर भी चर्चा करेंगे. चाणक्य ‘राज धर्म’ के ज्ञाता थे, इसलिए हम लोगों को यह बताने की भी कोशिश करेंगे कि ‘राज धर्म’ क्या है और कैसे यह सरकार (भाजपा) इसका पालन नहीं कर रही है.’
यूपी में आप का रिकॉर्ड
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आप ने 77 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 76 पर जमानत तक गंवा दी थी. पार्टी ने फिर 2017 में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा तो 3,400 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. वह 44 सीटों पर जीत हासिल करने के साथ पांचवें स्थान पर रही,
2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी अपना खाता खोलने में नाकाम रही और उसके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए उसने सभी सीटों पर अकेले लड़ने का फैसला किया है.
इससे पहले, ऐसी खबरें चली थीं कि ओपी राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ आप की बातचीत हुई है. संजय सिंह की जुलाई में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के दौरान भी संभावित गठबंधन को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी थीं.
संजय सिंह के एक करीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि आप सांसद पिछले दो सालों में हर महीने 20 दिन से अधिक समय राज्य में बिता रहे हैं, और पार्टी संगठन के साथ-साथ राज्य में उन्होंने पार्टी को लेकर लोगों की धारणा बदल दी है.
सूत्र ने कहा, ‘वह अयोध्या राम मंदिर भूमि घोटाले का मुद्दा उठाने वाले पहले नेताओं में हैं. उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कई बार (राज्य में) कोविड कुप्रबंधन का मुद्दा भी उठाया.’
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