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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट,' यूपी के धार्मिक नगरों के लिए बसपा से ज्यादा काम किसी पार्टी ने नहीं किया- सतीश मिश्रा

‘अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट,’ यूपी के धार्मिक नगरों के लिए बसपा से ज्यादा काम किसी पार्टी ने नहीं किया- सतीश मिश्रा

बसपा नेता ने सतीश मिश्रा 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और सपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से भी इनकार किया, उनका कहना है कि पार्टी को ब्राह्मणों और दलितों का भरपूर समर्थन प्राप्त है.

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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रिय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के तहत ब्राह्मणों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं और पार्टी लोगों को धर्म के नाम पर बेवकूफ बना रही है.

दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में, मिश्रा, जिन्होंने हाल ही में ‘प्रबुद्ध जन सम्मेलनों’ का पहला चरण पूरा किया, ने ब्राह्मणों पर केंद्रित सम्मेलन, जाति-आधारित जनगणना, बसपा शासन काल के दौरान किये गए विकास कार्यों और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन की संभावना के बारे में भी बात की.

जाति आधारित जनगणना की मांग, जिस पर मोदी सरकार ने अभी तक चुप्पी साध रखी है, मिश्रा ने कहा कि यदि यह जनगणना की जाती है, तो यह सर्वेक्षण साबित करेगा कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी अनुमान से कहीं अधिक है. उनका दावा है कि राज्य में ब्राह्मणों की आबादी लगभग 16.5 प्रतिशत है, न कि 10 प्रतिशत.

उन्होंने कहा, ‘यह सरकार जनगणना रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है, लेकिन मुझे यह बताया गया है कि यह (ब्राह्मणों की आबादी) लगभग 16.5 फीसदी है.’

उन्होंने यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही ब्राह्मणों पर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं.

उनका कहना है, ‘ब्राह्मणों को लगता है कि भगवान राम के नाम पर बनी इस सरकार ने उन्हें धोखा दिया है क्योंकि उनके खिलाफ कई तरह के त्याचार हुए हैं. वे बसपा में वापस लौट रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि हमारी पार्टी उन्हें वह सब कुछ देगी: सम्मान, साथ और सुरक्षा, जिस तरह से हमने अपने पिछले शासन के दौरान किया था.’

इस वरिष्ठ बसपा नेता ने बताया ‘हमारी 40-दिवसीय जन सम्मेलन यात्रा के दौरान, हमने 75 जिलों को कवर किया. मैंने 2004 और 2007 में भी इसी तरह के (सम्मेलन) किए हैं, लेकिन मैं कह सकता हूं कि इस बार की प्रतिक्रिया पहले की तुलना में 3-4 गुना बेहतर रही है. इस सरकार के शासन काल में ब्राह्मणों पर अत्याचार चरम पर है. हम उन तक पहुंच रहे हैं. हम भाईचारा में विश्वास करते हैं.’


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विकास कार्यों के बारे में

मिश्रा ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने किसी भी अन्य दल की तुलना में राज्य के धार्मिक स्थलों पर सबसे अधिक विकास कार्य किए हैं, लेकिन वह इसका प्रचार करना पसंद नहीं करती है.

वे कहते हैं, ‘हमने अपने शासन काल के दौरान अयोध्या में सीवर लाइन और पानी की पाइपलाइन बिछाई थी. हमने ही वहां सबसे पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया. हमने सरयू घाट पर सौंदर्यीकरण का काम किया. इसी तरह मथुरा में हमने सीवर लाइन, 100 बिस्तरों वाला अस्पताल, बस अड्डा और वृद्धाश्रम बनाया. नई सड़कों का निर्माण भी हमारे शासन काल में ही हुआ. इसी तरह हमारी सरकार ने चित्रकूट और बिठूर में भी विकास कार्य करवाए.’

वे आगे बताते हैं, ‘हमने धार्मिक स्थलों के लिए बहुत सारा काम किया है लेकिन हम इसका प्रचार उस तरह नहीं करते जैसे भाजपा कर रही है. हमने कोई नैरेटिव तैयार करने के लिए इतने सारे विज्ञापन नहीं दिए क्योंकि काम करना हमारा कर्तव्य था.’

यह पूछे जाने पर कि पिछले चार वर्षों में बसपा ने प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ विरोध क्यों नहीं किया, मिश्रा ने कहा, ‘विरोध करने के हमारे अपने तरीके हैं. हम संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन और अपील पत्र भेजते हैं. हम धरना देने और यातायात अवरुद्ध करने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में विश्वास नहीं करते हैं. पिछले चार वर्षों में, हमारी स्थानीय इकाई के नेताओं ने हमेशा से उन पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की, जिन्होंने अत्याचारों का सामना किया है. यहां तक कि बहन जी (बसपा सुप्रीमो मायावती) ने भी कई परिवारों से बात की और उनसे उनके कार्यालय में मुलाकात की..’

उन्होंने कहा, ‘यह गलत धारणा है कि हम लोगों से नहीं मिलते. बहनजी सुबह 9 बजे से देर शाम तक सभाएं करती हैं. अक्सर कई जिलों से लोग उनसे मिलने आते हैं.’

मिश्रा ने गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को टिकट नहीं देने के अपनी पार्टी के फैसले के बारे में भी बात की.

उनके अनुसार, ‘यह पार्टी की बेहतरी के लिए ही किया गया है. बहन जी ने अपने ट्वीट में पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी इस बार माफियाओं और बाहुबलियों को टिकट नहीं देगी. हमने स्थानीय इकाइयों की सहमति के बाद ही यह निर्णय लिया. अल्पसंख्यक अभी भी हमारा समर्थन करते हैं. वे समझते हैं कि यह (भाजपा) सरकार उनके साथ क्या कर रही है. हमारे पास कई अन्य महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक नेता भी हैं जिनकी ‘साफ छवि’ है. जनता इस सरकार के तहत कानून-व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति से तंग आ चुकी है.‘


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कांग्रेस और सपा के साथ गठबंधन के बारे में

मिश्रा ने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार किया.

वे कहते हैं, ‘हमारे पास पहले से ही ऐसे कई चुनाव-पूर्व और चुनाव-बाद के गठबंधनों का अनुभव है. हमारी पार्टी के अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. सपा के साथ फिर से गठबंधन करने की अब कोई गुंजाइश नहीं बची है.’

हालांकि, मिश्रा ने पार्टी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा चुनाव पूर्व या चुनाव बाद गठबंधन के लिए संपर्क करने पर पार्टी की संभावित रणनीति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि बसपा के पास 2022 के चुनाव जीतने की काफी अधिक संभावना है क्योंकि पार्टी को ब्राह्मण और ओबीसी दोनों समुदायों का समर्थन प्राप्त है. वे यह भी कहते हैं, ‘ब्राह्मण हमारे साथ हैं. हमारे प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी हैं, इसलिए वह और अन्य ओबीसी नेता ओबीसी समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. दलित और अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वर्ग हमारा पूरा-पूरा समर्थन कर रहा है. इसलिए हमारे इस चुनाव में जीतने की संभावना बहुत अधिक है. हमारा 2007 का फॉर्मूला 2022 में भी काम करेगा.’

उनके परिवार के सदस्यों की राजनीतिक गतिविधियों में भागीदारी के बारे में बात करते हुए यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब यह है कि उनके चुनाव लड़ने की संभावना है, सतीश मिश्रा ने कहा, ‘मेरे परिवार के सदस्य हमारे चुनाव अभियान का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वे जनता तक हमारी पहुंच को और आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.’

उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी की मीडिया और सोशल मीडिया पर उपस्थिति से सम्बंधित गतिविधियों में वृद्धि के पीछे युवा पेशेवरों की एक टीम का हाथ है.


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