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Saturday, 2 November, 2024
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जाटों को लुभाने और राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी की नींव रखने अलीगढ़ पहुंचेंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ पहुंच रहे हैं. इस दौरान नो जाटों को साधने के लिए जाट राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में बननेवाली राज्य सरकार के विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे.

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नई दिल्ली/लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अलीगढ़ पहुंच रहे हैं. इस दौरान वो जाटों को साधने के लिए जाट राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में बननेवाली राज्य सरकार के विश्वविद्यालय का शिलान्यास करेंगे.

इस यात्रा को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय को शांत करने के एक और कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो कृषि कानूनों को लेकर गुस्से में है.

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी जाटों को यह संदेश देना चाहती है कि पिछली सरकारों में से किसी ने भी ‘सबसे शक्तिशाली जाट राजा’ को उस तरह से सम्मान नहीं दिया, जिसके वह हकदार थे.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 में पश्चिमी यूपी के दो उपचुनावों टुंडला और अलीगढ़ के इगलास में चुनावी प्रचार करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को ज़मीन देने वाले जाटों के राजा माने जाने वाले महेन्द्र प्रताप के नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की थी .

उसी समय सीएम ने कहा था कि भले ही जाट राजा ने एएमयू के लिए जमीन दान की हो, लेकिन उसकी दीवारों पर उसका नाम कभी नहीं उकेरा गया. इसलिए सरकार उन्हें सम्मानित करने के लिए एक पूरे विश्वविद्यालय का निर्माण कर रही है.

पीएम मोदी ऐसे समय में महेन्द्र राजा विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने जा रहे हैं जब पश्चिमी यूपी में जाट किसान कृषि क़ानून,गन्ना मूल्यों में बढ़ोतरी न होने और उत्पादन लागत बढ़ने के कारण बीजेपी सरकार से नाराज़गी का साफ़ इज़हार कर रहा है और मुस्लिम समुदाय जाट के साथ मिलकर आंदोलन का समर्थन कर रहें हैं.

ऐसा कोई भी संयुक्त मोर्चा पश्चिमी यूपी में भाजपा के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए काफी शक्तिशाली साबित हो सकता है. 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों में पार्टी सबसे बड़ी लाभार्थी थी जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे. 2019 में 22 लोकसभा सीटों में से 17 पर जीत हासिल करते हुए इसने चुनावी रूप से इस क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नई यूनिवर्सिटी अलिगढ़ के लोढा गांव में 92.27 एकड़ जमीन के साथ शुरू होने जा रही है.

प्रताप के पर पोते चरत प्रताप सिंह, जिन्होंने पहले हाथरस शाही द्वारा दान की गई भूमि के पट्टे की समाप्ति पर एएमयू को कानूनी नोटिस भेजा था, ने इस कदम पर संतोष व्यक्त किया है.

‘हम सरकार द्वारा लिए गए फैसले से खुश हैं, मैं कहूंगा ‘देर आए दुरस्त आए’. परिवार बहुत खुश है और हम इस फैसले का स्वागत करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक ऐतिहासिक कदम है… मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नए विश्वविद्यालय में अहम भूमिका निभाई है. इस फैसले के बाद मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई दी. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में राजा महेंद्र प्रताप के योगदान को पहचाना.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ कुछ लोग इस निर्णय को राजनीति से जोड़ कर देख रहे हैं लेकिन हमलोग इसे जाट राजनीति से नहीं जोड़ रहे हैं.’

एएमयू के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ओमर पीरज़ादा ने कहा, ‘अभी तक मुझे इस भूमि मुद्दे के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन हम राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर एक राज्य विश्वविद्यालय के नामकरण के सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. यह हमारे लिए भी गर्व का क्षण है क्योंकि वह हमारे पूर्व छात्र थे.’

पीरज़ादा ने आगे कहा, ‘ उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया है. वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका परिवार एएमयू के संस्थापक सदस्यों के बेहद करीब था. हम उसकी उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं. हमारे पुस्तकालय में उनका एक खंड है, हम हमेशा इस पर गर्व महसूस करते हैं.


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मतदाताओं को लुभाने की भाजपा की कोशिश

बीजेपी ने समय समय पर अलग जातियों को साधने के लिए अलग अलग जातियों के समाजिक चिंतकों ,वीरों राजाओं को अपनाना शुरू कर दिया है.

समाजशास्त्री और जी बी पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद में प्रोफेसर, बद्रीनारायण ने अपनी किताब Republic of Hindutva: How the Sangh is reshaping Indian Democracy में लिखा है कि राजभर समुदाय के राजा सुहेलदेव को हिन्दू हीरो के रूप में ,पासियों के दूसरे हीरो बलदेव और दलदेव को, मुसहर समुदाय की देवी दीना बदरी , दलितों के हीरो रविदास और जाटवों के सुपाच ऋषि कुछ उदाहरण हैं जिन्हें आरएसएस और बीजेपी ने हिन्दू हीरो के नाम पर प्रस्तुत कर उनकी जयंती मनाना ,पर्यटन स्थल खोलने , विश्वविद्यालय खोलने जैसे काम 2014 के बाद तेज़ी से किए हैं.

2014 में पहली बार बीजेपी ने राजा महेन्द्र प्रताप की 128 वीं जयंती अलीगढ़ विश्वविद्यालय में मनाने पर ज़ोर दिया, तब के बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी ने विश्वविद्यालय के मना करने के बाद भी 1 दिसंबर को यूनिवर्सिटी में ही उनकी जयंती मनाने का ऐलान किया . तब भी आरोप लगे कि उनके नाम पर अलीगढ़ में फ़ोटो तक नहीं है जो बाद में गलत साबित हुआ.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने दूसरी बार अलीगढ़ विश्वविद्यालय में जिन्ना की फ़ोटो होने पर 2018 में विवाद शूरू हुआ तो हरियाणा सरकार में मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु ने अलीगढ़ विश्वविद्यालय का नाम जाट राजा के नाम पर करने की मांग की थी.

पर बाद में योगी ने 2019 में उनके नाम पर अलग से स्टेट यूनिवर्सिटी खोलने का ऐलान किया जिसके लिए ज़मीन अधिग्रहण का काम हो चुका है.

वैसे इतिहासकारों और विशेषज्ञों के मुताबिक जाट राजा महेन्द्र प्रताप की ज़िंदगी और विरासत बीजेपी की विचाराधारा के उलट थी ,वे हिन्दू मुस्लिम एकता और गंगा जमुना तहज़ीब के प्रणेताओं में से एक थे ,जाटों के राजा महेन्द्र प्रताप को सम्मान देना केवल राजनीतिक गोटियां सेंकने और यूपी हरियाणा में चुनावी फ़ायदे के लिए है

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफ़ेसर सैय्यद नदीम रिज़वी दिप्रिंट को कहतें है, ‘पहली बीजेपी का यह प्रचार कि ज़मीन देने के बाद भी महेन्द्र प्रताप की फ़ोटो नहीं है और उन्हें न्याय नहीं दिया गया यह ग़लत है सबके फ़ोटो लगी हैं. एमयू को स्थापित करने के लिए ढेर सारे लोगों ने पैसा और ज़मीन दी है सबके फ़ोटो लगे हैं.

उन्होंने आगे कहा, ‘वैसे महेन्द्र प्रताप का पूरा जीवन सांप्रदायिक ताक़तों की विचारधारा के ख़िलाफ़ था उन्होंने हिन्दू महासभा का विरोध किया ,जनसंघ ने तो उनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा ,हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए तो उन्होंने अलग धर्म बना लिया था जिसका नाम रखा था प्रेम धर्म . फिर किस आधार पर बीजेपी उनके आइडियोलोजी को अपना रही है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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