नई दिल्ली : भारतीय सेना ने पहली बार पाकिस्तान और चीन के साथ लगती सीमाओं पर अपनी ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 100 से अधिक सामरिक इजरायली ड्रोन केमिकाज़ी का ऑर्डर दिया है, जिन्हें अजरबैजान-आर्मेनिया संघर्ष के दौरान व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया गया था.
इजराइली कंपनी एल्बिट सिस्टम और भारत की अल्फा डिजाइन—जो अडानी समूह का हिस्सा है—के बीच एक संयुक्त उपक्रम के तहत इस युद्धक ड्रोन ‘स्काईस्ट्राइकर’ का निर्माण बेंगलुरु में किया जाएगा.
निर्यात ऑर्डर को पूरा करने के लिए भारत में स्काईस्ट्राइकर का उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि करार पर 31 अगस्त को ही हस्ताक्षर किए गए हैं और इसके तहत 12 महीने के भीतर आपूर्ति पूरी की जानी है.
यद्यपि भारतीय वायु सेना एक दशक से भी अधिक समय से इससे काफी बड़े युद्धक ड्रोन हारोप का इस्तेमाल कर है, लेकिन यह पहली बार है जब सेना केमिकाज़ी ड्रोन का इस्तेमाल करने जा रही है, जो 5-10 किलोग्राम तक का वारहेड ले जाने में सक्षम है.
एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘हारोप और स्काईस्ट्राइकर दोनों अलग-अलग तरह के हैं. हारोप आकार में काफी बड़ा और ज्यादा घातक है. इसका इस्तेमाल कर पूरी कमान और कंट्रोल स्ट्रक्चर को निशाना बनाया जा सकता है. स्काईस्ट्राइकर सस्ता है और इसे युद्धक अभियानों में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह जमीन पर मौजूद सैनिकों की ताकत काफी बढ़ाने वाला है.’
अजरबैजान ने आर्मेनिया के साथ अपने संघर्ष के दौरान स्काईस्ट्राइकर का इस्तेमाल सैन्य कर्मियों की आवाजाही में इस्तेमाल होने वाले बख्तरबंद वाहनों समेत तमाम घूमते पर निशाना साधने के लिए बड़े पैमाने पर किया था.
सूत्रों ने कहा कि स्काईस्ट्राइकर को एक स्टैंडअलोन सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, इसे इसके गुणकों या समूह के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
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स्काईस्ट्राइकर ड्रोन
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है केमिकाज़ी ड्रोन वे होते हैं जो किसी लक्ष्य को निशाना बनाते हैं और फट जाते हैं. उन्हें औपचारिक तौर पर चक्रण युद्धक सामग्री के रूप में जाना जाता है, जिसका मतलब है कि वे हवा में घूमते रह सकते हैं और जैसे ही आदेश मिले अपने लक्ष्य को तबाह कर सकते हैं.
एक स्वचालित न्यूमेटिक लॉन्च प्लेटफॉर्म से लॉन्च किए जा सकने वाला स्काईस्ट्राइकर 10 मिनट से भी कम समय में 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है.
सूत्रों ने बताया कि इस सिस्टम की कुल रेंज लगभग 100 किमी है. एल्बिट के मुताबिक, यह पांच किलो के वारहेड के साथ दो घंटे तक या 10 किलो के वॉरहेड के साथ एक घंटे तक लक्ष्य का पीछा कर सकता है.
चक्कर लगाने का समय 15 मिनट कम करके स्काईस्ट्राइकर अधिकतम गति (100 समुद्री मील) के साथ 6.5 मिनट के भीतर 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है.
चूंकि स्काईस्ट्राइकर में एक इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन है, इसलिए यह बहुत कम आवाज करता है, जिससे इसे कम ऊंचाई पर गोपनीय अभियानों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
एल्बिट के मुताबिक, स्काईस्ट्राइकर सामान्य ढंग से उड़ान भरने या चक्कर लगाने के दौरान ऑटोनॉमस नेविगेशन का उपयोग करता है.
हमले की तैयारी करते समय यह अपने इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ‘लॉक’ के आधार पर नेविगेट करके लक्ष्य पर निशाना साधता है. कंपनी ने आगे बताया कि हमले वाले चरण के दौरान स्काईस्ट्राइकर 300 समुद्री मील तक की अत्यधिक उच्च गति के साथ गोता लगा सकता है और 20 समुद्री मील तक की हवाओं का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.
2017 में स्काईस्ट्राइकर को लॉन्च किए जाने के समय कंपनी ने कहा था कि यह सिस्टम बहुआयामी है जिसमें काफी कम लागत के साथ किसी भी दिशा में और किसी भी कोण (किसी भी झुकाव से लेकर एकदम सीधे तक) पर स्थित लक्ष्य पर निशाना साधने की क्षमता है.
उस समय रिपोर्ट में कहा गया था, ‘स्काईस्ट्राइकर ऑपरेटर को यह सुविधा भी देता है कि महज दो सेकंड की अवधि में किसी भी हमले को रोक दे, उसके लिए नया लक्ष्य निर्धारित कर ले या अधिकृत लक्ष्य के अभाव में उसे सुरक्षित ढंग से अपने ठिकाने पर वापस लौटा सके.’
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