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Friday, 22 November, 2024
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AIMIM विधानसभा चुनाव के लिए तैयार, ओवैसी अयोध्या से शुरू करेंगे तीन दिवसीय UP की यात्रा

एआईएमआईएम ने अयोध्या को उसके पुराने नाम 'फैजाबाद' कहने का मुद्दा बनाया है. ओवैसी अगले हफ्ते यूपी के दौरे पर होंगे.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भाजपा शासित राज्य में अपनी राजनीतिक पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, जहां उसे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ भी मुकाबला करना होगा.

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी यूपी के तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत 7 सितंबर को अयोध्या जिले से राम जन्मभूमि स्थल से 50 किमी दूर रुदौली से करेंगे. वहां से वह 9 सितंबर को अपने दौरे का समापन करते हुए सुल्तानपुर और बाराबंकी भी जाएंगे.

पार्टी के राज्य प्रमुख शौकत अली ने दिप्रिंट को बताया कि ओवैसी ‘शोषित वंचित समाज सम्मेलन’ को संबोधित करेंगे – ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के साथ एक बैठक – जो राज्य भर में आयोजित की जा रही है.

उनके एजेंडे में तीनों जिलों के यूनिट वर्करों के साथ बैठक भी है.

हालांकि, राजनीतिक हलकों में चल रही चर्चा से पता चलता है कि सभी की निगाहें ओवैसी के अयोध्या पड़ाव पर हैं.

इस पर अली ने कहा, ‘उनकी (ओवैसी) यात्रा का अयोध्या के मंदिर-मस्जिद (मंदिर और मस्जिद) की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. वह हर ट्रिप पर दो से तीन जिलों को कवर करते हैं. इस बार उन्होंने फैजाबाद, सुल्तानपुर और बाराबंकी को चुना है. तीनों जिलों में हमारी मजबूत इकाइयां हैं, इसलिए वह उन्हें संबोधित करने जा रहे हैं.

नवंबर 2018 में फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया था.

हालांकि, पार्टी सूत्रों ने कहा कि अयोध्या में तीन दिवसीय यात्रा शुरू करने से एक विशिष्ट राजनीतिक संदेश जुड़ा हुआ है.

हालांकि, बाराबंकी लखनऊ के पास है, जहां ओवैसी की फ्लाइट उतरेगी, एआईएमआईएम प्रमुख का अयोध्या से अपने दौरे की शुरुआत स्पष्ट रूप से उनके अपने तरीके से राजनीति करने का संकेत है. एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, यह कहते हुए कि ओवैसी ‘यूपी की राजनीति में’ ‘अयोध्या’ शब्द के महत्व को समझते हैं.

पिछले साल, अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन समारोह आयोजित होने से पहले, ओवैसी ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि बाबरी मस्जिद की घटना हमेशा अयोध्या की विरासत में अंकित रहेगी.

हैदराबाद के सांसद ने हैशटैग ‘बाबरी जिंदा है’ के साथ ट्वीट करते हुए कहा, ‘बाबरी मस्जिद थी, है, और रहेगी.’

नवंबर 2019 में, राम जन्मभूमि भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद – जिसमें एक अलग स्थान पर मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी – ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी बाबरी मस्जिद के लिए ‘दान‘ के लिए नहीं बल्कि कानूनी अधिकार के लिए लड़ाई लड़ेगी.

पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘अगर बीजेपी अयोध्या में अपनी ओबीसी मोर्चा की बैठक कर सकती है, बसपा अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन कर सकती है. एआईएमआईएम क्यों नहीं? हमें भी समान अधिकार हैं. हालांकि हम रुदौली में हैं, यह अयोध्या जिले का एक निर्वाचन क्षेत्र भी है. यहां अल्पसंख्यक आबादी 20 फीसदी से कम नहीं है… हम बीजेपी को हराने के लिए दलितों, मुसलमानों और ओबीसी को एकजुट करेंगे.’

राज्य में जाति की का विशेष महत्व है, यह देखते हुए कि बसपा का मतदाता आधार राज्य में दलित आबादी का एक बड़ा हिस्सा है, जो एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है.

अयोध्या नहीं फैजाबाद

ओवैसी की यात्रा के बारे में पोस्ट करते हुए एआईएमआईएम ने पहले के नाम ‘फैजाबाद’ द्वारा अयोध्या को स्पष्ट रूप से संदर्भित कर ध्यान आकर्षित किया है.

एआईएमआईएम नेताओं ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि इसके पीछे का कारण यह था कि पार्टी नाम बदलने की बीजेपी की नीति से सहमत नहीं है.

एक नेता ने कहा, ‘अपने भाषण और बयान के दौरान, ओवैसी सबसे अधिक संभावना इसे ‘फैजाबाद’ ही कहेंगे. यहां तक ​​कि पोस्टरों में भी हम (नाम) फैजाबाद का ही इस्तेमाल कर रहे हैं… यह हमारी रणनीति है.

एएनआई को दिए अपने बयान में, ओवैसी ने कहा था, ‘मैं 7 सितंबर को फैजाबाद और 8 सितंबर को सुल्तानपुर और 9 सितंबर को बाराबंकी का दौरा करूंगा. आने वाले दिनों में, हम आगामी विधानसभा के मद्देनजर योगी सरकार को हराने के लिए चुनाव उत्तर प्रदेश के और क्षेत्रों का दौरा करेंगे.

एआईएमआईएम की 100 सीटें

एआईएमआईएम भागीदारी संकल्प मोर्चा के तहत यूपी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. मोर्चा का नेतृत्व ओमप्रकाश राजभर कर रहे हैं, जहां नौ से ज्यादा छोटी पार्टियां हैं. हालांकि अभी तक कोई टिकट वितरण नहीं हुआ है, ओवैसी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि एआईएमआईएम 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

एआईएमआईएम के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारी पार्टी ने सभी 75 जिलों में जिला इकाइयां बनाई हैं. अब, 403 में से 100 सीटों को शॉर्टलिस्ट करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. हम उन सीटों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे जहां मुस्लिम और दलित महत्वपूर्ण संख्या में हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘मुसलमान यूपी की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं – 19.26 प्रतिशत – जबकि राजभरों की पूर्वांचल क्षेत्र की लगभग दो दर्जन सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका है.’

संकल्प भागीदारी मोर्चा में हमारे अन्य सहयोगी सहयोगियों की भी ओबीसी वोटों पर अच्छी पकड़ है, इसलिए यह हमारे लिए एक फायदे की बाद है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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