आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट हमारे लिए भारत समेत दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के भयावह खतरे को पुष्ट ही करती है. उत्सर्जन में भारी कटौती पहले ही हो चुकी क्षति को अब पलट तो नहीं सकती लेकिन भविष्य और ज्यादा खराब होने से जरूर बचा सकती है. अमीर देशों को गरीबों के वित्तपोषण में और देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि स्पष्ट तौर पर वह भी उतने ही ज्यादा जोखिम में हैं.