गुरुग्राम: जुलाई की शुरुआत से हीं पुराने गुरुग्राम का एक फल-सब्जी विक्रेता कई ग्राहकों को काफ़ी आकर्षित कर रहा है क्योंकि वह बाजार की कीमतों से एक तिहाई या आधे दामों पर अपना सामान बेचने की पेशकश कर रहा है.
लेकिन एक मध्यम स्तर के गेहूं उपजाने वाले किसान और हिंदू सेना नामक एक छुटभैये दक्षिणपंथी संगठन के सदस्य सुरजीत यादव आपके आस-पास नज़र आने वाले कोई आम फलों के सौदागर नहीं हैं. यादव के अनुसार, उनकी दुकान उनके संगठन की उस लड़ाई में एक हथियार है जिसे वे ‘महंगाई जिहाद’ के रूप में वर्णित करते हैं और जिसका मतलब है कुछ विक्रेताओं द्वारा बेवजह महंगाई को बढ़ाने और लोगों को ‘लूटने’ का कथित प्रयास.
हालांकि, दिप्रिंट ने इस बाजार के अपने दौरे के दौरान पाया कि वहां हिंदू और मुस्लिम विक्रेता लगभग समान कीमतों पर ही चीज़ों के भाव लगा रहे है – और उनके दाम हाई-प्रोफाइल ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म द्वारा बताई जाने वाली कीमतों जैसी हीं हैं – यादव केवल मुसलमानों को अपने निशाने पर रखते हैं और उन पर ग्राहकों से ज़्यादा दाम लेने का आरोप लगाते हैं.
उन्होंने दावा किया कि उनकी इस दुकान का उद्देश्य किराने के सामान को सही कीमतों पर बेचना है जो अभी मुसलमानों द्वारा बढ़ी हुई दरों पर बेचा जा रहा है.
यादव द्वारा 2 जुलाई को पुराने रेलवे स्टेशन रोड पर अपनी पहली दुकान खोले जाने के बाद हिंदू सेना के समर्थन के साथ इसी उद्देश्य के साथ काम करने वाली और दो दुकानें भी हरियाणा में खुल गई हैं.
हिंदू सेना की दुकानों में पूर्णकालिक कर्मचारी तैनात किए गये हैं. वर्तमान में, यादव इस दुकान से जितना पैसा कमा रहा है, वह उनकी अपनी जीविका सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त तो नहीं लगता है. फिलहाल यह सिर्फ़ कामगारों की मजदूरी, 15,000 रुपये प्रति माह का किराया और बिजली सहित दुकान चलाने की अन्य लागतों की हीं भरपाई कर पा रहा है.
यादव ने दिप्रिंट को बताया कि वह अभी तक इन कीमतों से किसी तरह का मुनफा नहीं कमा रहे हैं, लेकिन उनका लक्ष्य ‘पैसा कमाना’ है भी नहीं बल्कि वे सिर्फ़ एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना चाहते हैं, पर पुराने गुरुग्राम बाजार में दुकान चलाने वाले अन्य विक्रेताओं के पास इस तरह की सदाशयता का कोई विकल्प नहीं है. वे हिंदू सेना की इस दुकान को अपनी आजीविका पर एक हमले के रूप में देखते हैं, और यहां बेचे जाने वाले फलों और सब्जियों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हैं. ये विक्रेता फलों और सब्जियों की बढ़ी हुई क़ीमतों का सारा दोष पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ उन्हें ढोने में लगे परिवहन लागत में हुई वृद्धि को देते हैं.
हिंदू सेना की इस दुकान के पास हीं फल और सब्जियां बेचने वाले नज़ीर अहमद ने कहा कि वह ग्राहकों को बढ़ी हुई कीमतों बताकर भगाने/ दूर करने का जोखिम नहीं उठा सकते.
उन्होंने बताया, ‘यहां आपसी प्रतिस्पर्धा इतनी कड़ी है कि अगर मैं 1 किलो फल पर 2 रुपये भी फालतू लेता हूं, तो लोग कहीं और से सामान खरीद लेंगे. असली मुद्दा यह है कि अगर कोई मुसलमान सांस भी लेता है तो इसे जिहाद कहा जाता है.’
कैसे खुली यह दुकान?
हिंदू सेना की स्थापना अगस्त 2011 में इसके वर्तमान अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, जो दिल्ली में एक आईटी फर्म के निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी सदस्य है, द्वारा की गई थी. यह नवंबर 2020 में उस वक्त सुर्खियों में आया, जब इसके सदस्यों ने लोधी रोड, दिल्ली स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के साइनबोर्ड को बिगाड़ते हुए इस पर ‘जिहादी टेररिस्ट इस्लामिक सेंटर’ वाले पोस्टर चस्पा कर दिए थे.
यादव ने कहा कि फिलहाल समूह में 25 लाख से भी अधिक सदस्य हैं, जिनमें से लगभग 3 लाख दिल्ली-एनसीआर में हैं.
पुराना गुरुग्राम, जहां यह पहली दुकान खुली थी, गुरुग्राम के ऊंचे-ऊंचे ऑफिस काम्प्लेक्स से दूर बसी एक अलग दुनिया है. यहां सेंट माइकल चर्च के सामने स्थित एक संकरी सी सड़क पर दो दर्जन से भी अधिक दुकानें और फलों एवं सब्जियों के ठिये हैं.
इस इलाक़े के अधिकांश विक्रेता मुस्लिम हैं
हिंदू सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यादव ने कहा कि उन्होंने इस दुकान का विचार अपने संगठन के सामने तब रखा जब उन्होंने देखा कि इस बाजार में नींबू 80 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है.
वे आगे कहते हैं, ‘जिस मंडी से मैं फल और सब्जियां मंगवाता हूं, वहां नींबू केवल 18 रुपये किलो है और यहां उन्हें 80 रुपये में बेचा जा रहा था. बाकी सब्जियों के साथ भी ऐसा ही मामला था.’
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दिप्रिंट से बात करते हुए, हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने बताया कि उनके संगठन ने वर्तमान में सिर्फ़ हरियाणा में फलों और सब्जियों की दुकाने शुरू की हैं, और अब उसकी योजना पूरे दिल्ली-एनसीआर और फिर शेष भारत में इसका विस्तार करने की है
यादव ने बताया कि हरियाणा में हिंदू सेना द्वारा स्थापित दो अन्य दुकानें, गुरुग्राम के सेक्टर 18 में इफको चौक के पास सरहौल गांव में और जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर होंडा चौक के पास बेगमपुर खटोला गांव में स्थित हैं. मुनिरका में एक और दुकान अगस्त में खुलने की उम्मीद है.
कम कीमतों से खुश हैं ग्राहक, आरोपों से नाराज हैं दूसरे विक्रेता
जब दिप्रिंट ने हिंदू सेना की इस दुकान का दौरा किया, तो वहां फूलगोभी 50 रुपये किलो, अनार 80 रुपये किलो, केले 25 रुपये प्रति दर्जन और आलू 17 रुपये किलो बेचे जा रहे थे. वहीं अन्य दुकानों पर फूलगोभी 130 रुपये किलो, अनार 95-100 रुपये किलो, केले 55-60 रुपये दर्जन और आलू 30 रुपये किलो बिक रहे हैं.
इसकी तुलना में बुधवार (28 जुलाई) की रात तक, बिग बास्केट पर 800 ग्राम अनार 182 रुपये में मिल रहा था जबकि अमेज़ॅन फ्रेश फूलगोभी के 400-600 ग्राम के टुकड़े के लिए 94 रुपये ले रहा था. यादव की दुकान पर खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों का कहना है कि उनके किसी भी तथाकथित एजेंडे के बारे में वे कतई परेशान नहीं हैं.
ऐसे हीं ग्राहक एक रवि चौधरी का कहना था, ‘मैं हिंदू-मुस्लिम वाले मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन यहां सब्जियां बाजार भाव से एक तिहाई मे बिक रहीं हैं. इसकी क्वालिटी (गुणवत्ता) को लेकर भी मुझे कोई आपत्ति नहीं है. मैं मानेसर में काम करता हूं और घर लौटते समय हर दिन इस दुकान के पास खरीदारी के लिए रुकता हूं.’
पिंकी कुमारी, जो पास हीं में एक घरेलू कामगार/बाई के रूप में काम करती हैं, ने कहा, “इनकी क्वालिटी तो उतनी अच्छी नहीं है, लेकिन यह खराब भी कतई नहीं है. इससे मुझे बहुत सारा पैसा बचाने में मदद मिलती है इसलिए मैं खुश हूं.‘ बाजार में अन्य विक्रेताओं का आरोप है कि यादव सामान की क्वालिटी के कारण हीं पैसे बचा रहे हैं.
मोहम्मद हासिम, जिनका ठेका हिंदू सेना की दुकान से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित है, ने कहा, ‘मैं आपको अपना बिल दिखाता हूं. मैंने 50 रुपये किलो में आम खरीदे हैं और अब मैं उन्हें यहां 60 रुपये किलो में बेच रहा हूं. उस दुकान पर मिलने वाली फल-सब्जी की गुणवत्ता घटिया हीं होगी,’
गुरुग्राम मंडी के एक किराना व्यापारी और विनोद ट्रेडिंग कंपनी के मालिक अरविंद यादव के मुताबिक, हिंदू सेना की दुकान द्वारा ली जाने वाली कीमतें अव्यवहारिक लगती हैं.
उन्होंने फोन पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘मंडी में अनार 80 रुपये किलो, फूलगोभी 45-50 रुपये किलो और केले 50 रुपये दर्जन मिल रहे हैं. आपको फुटकर विक्रेताओं के पास इन दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाले वाले फल और सब्जियां नहीं मिलेंगी. यह आदमी कम गुणवत्ता वाले सामान खरीद रहा होगा, या फिर वह दिन के अंत में उन्हें काफ़ी कम कीमतों पर उठा रहा होगा.’
इस तरह की कीमतों के बारे में पूछे जाने पर, सुरजीत यादव ने कहा, ‘आप मंडी की जिन कीमतों का हवाला दे रहे हैं, वे बढ़ा-चढ़ा कर बताई गयी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘खरीदे जा रहे सामान की मात्रा के अनुसार कीमतें भी अलग – अलग होती हैं. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि डीलर के साथ आपके क्या संबंध है … मैंने आपको बार-बार जो बताया है, उस पर अब भी कायम हूं कि मंडी में कीमतें वास्तव में इतनी कम हैं कि निहायत हीं सस्ते दामों पर बेचने के बाद भी मैं आराम से 3 दुकाने संभालने में सक्षम हूं. और यह तो सिर्फ पहला महीना है, मुझे पूरा विश्वास है कि आगे चलकर मैं मुनाफा भी कमाना शुरू कर दूंगा,’
उन्होंने आगे कहा, ‘देखिए, अगर कोई हिंदू भाई भी एक ठेले पर किराने का सामान बेचने का फैसला करता है, तो उसके पास किराए, कर्मचारी का वेतन आदि देने के बाद आने वाली दुकान चलाने की पर्याप्त लागत नहीं होगी, इसलिए वह निश्चित रूप से लाभ कमाएगा. मुझे उम्मीद है कि हमारी पहल अन्य लोगों को आगे आने और इस महंगाई जिहाद से लड़ने के लिए प्रेरित करेगी.’
अन्य विक्रेताओं का कहना है कि बाजार की कीमतों में हेराफेरी के लिए एक ख़ास समुदाय के सदस्यों को दोष देना हास्यास्पद बात है. स्थानीय विक्रेता मोहम्मद हासिम ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि क्या हिंदू सेना सामाजिक सेवा के तहत इतने कम कीमतों की पेशकश कर रही है? लेकिन मैं यहां समाज की सेवा करने के लिए नहीं आया हूं. मुझे अपने परिवार का पेट भरना है. मैं यहां किसी तरह के जिहाद के लिए भी नहीं बैठा हूं.’
एक अन्य विक्रेता नज़ीर अहमद ने ईंधन की बढ़ती हुई कीमतों के बाजार भाव पर असर की ओर इशारा किया. उनका कहना है, ‘ पेट्रोल की ऊंची कीमतों के कारण परिवहन में लगे वाहनों का किराया 7,000 रुपये से बढ़कर 13,000 रुपये हो गया है. बेशक, इससे किराने का सामान और महंगा हो जाएगा,’
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको साफ-साफ बात बताता हूं, वे लोग मुद्रास्फीति (महंगाई) से लड़ना नहीं चाहते हैं. उनकी लड़ाई तो मुसलमानों से हैं.‘
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