आर्थिक सुधारों की 30वीं वर्षगांठ इसके लाभों को याद करने का एक अच्छा अवसर है और इससे भी जरूरी है कि हम खुद को अधूरे रह गए कामों की याद दिलाएं. भारत की विकास क्षमता का एहसास करने के लिए संरक्षणवाद के जाल का विरोध करते हुए वित्तीय क्षेत्र और फैक्टर मार्किट रिफार्म और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण में सुधारों को मोदी सरकार को आगे बढ़ाना चाहिए.