नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि जम्मू में एयर फ़ोर्स सेना स्टेशन पर 27 जून को हुए ड्रोन हमले में इस्तेमाल किए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) की उत्पत्ति पाकिस्तानी सेना के आयुध कारखानों में होने की संभावना है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के सूत्रों का कहना है कि आईईडी की प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि वे अधकचरे (क्रूड) कतई नहीं थे, जैसा कि पहले माना जा रहा था. उन्होंने कहा कि इसके कुछ डिजाइन एलीमेंट – जैसे कि उनका आकार, और उनमें एक प्रेसर फ्यूज़ का लगा होना – सैन्य विशेषज्ञता के होने की ओर इशारा करता है.
ड्रोन द्वारा गिराए गए आईईडी की प्रारंभिक रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि इसमें आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था, और दोनों उपकरणों में लगभग 1.5-2 किलोग्राम विस्फोटक थे.
उन्होंने यह भी बताया कि सेंटल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की अंतिम रिपोर्ट का अभी इंतजार है, जो इस बात की पुष्टि करेगी कि क्या केवल आरडीएक्स या फिर कुछ अन्य विस्फोटकों के मिश्रण का भी इस्तेमाल किया गया था.
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‘घर पर बनाये जा सकने वाले नहीं थे ये ड्रोन’
पिछले महीने हुए ड्रोन हमला भारत में मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के जरिए किए गए आतंकी हमले का पहला उदाहरण था. इसमें शामिल ड्रोनों की सही-सही संख्या अभी तक निर्धारित नहीं की गई है, और जांचकर्ता अभी भी यह तय नहीं कर पाए हैं कि वे कहां से आए थे.
हालांकि, एक सूत्र ने बताया कि विस्फोट की शुरुआत एक ‘प्रेशर फ्यूज से हुई थी जो आम तौर पर एक सैन्य आयुध है और यह सामान्य आईईडी नहीं है.’ एक प्रेसर फ्यूज का अर्थ एक ऐसे फ्यूज से है जो टकराने के साथ हीं सक्रिय हो जाता है.
सूत्रों ने कहा कि जम्मू हमले में इस्तेमाल किए गए आईईडी घर में बनाये जा सकने वाले साधारण यंत्र नहीं थे. सूत्रों ने कहा कि आईईडी में उपयोग की जाने वाली डिजाइन और सामग्री – जैसे आरडीएक्स, इनिशीऐशन मैकेनिज्म, धातु के कंटेनर में किया गया आंतरिक विभाजन – का उद्देश्य विस्फोट होने पर बड़ी संख्या में टुकड़े उत्पन्न करना था ताकि वे छर्रों के रूप में कार्य का सकें.
एक दूसरे स्रोत ने यह भी उल्लेख किया कि आईईडी, एक स्टील कंटेनर के अंदर बनाये गए थे. इन सूत्र ने आगे कहा कि, ‘दोनों आईईडी का उनकी परिचालन आवश्यकता के अनुसार विशिष्ट आकार, इन आईईडी को आयुध-कारखाना-स्तर पर किये गए काम के रूप में दर्शाता है.’
सूत्रों ने कहा कि यह इस बात की ओर एक संकेत था कि यदि संपूर्ण रूप से उपकरण नहीं तो कम से कम आईईडी के तत्व ऐसी सामग्री है जिनकी पाकिस्तानी सेना के आयुध कारखानों में से किसी एक में उत्पत्ति हुई थी. एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘यह एक परिष्कृत आईईडी था जो उच्च स्तर की जानकारी और विशेषज्ञता को दर्शाता है.’
माना जाता है कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल को 27 जून के ड्रोन हमले का मुख्य निशाना बनाया गया था. चूंकि दो आईईडी अलग-अलग जगहों पर गिराए गए थे, इसलिए यह भी संदेह है कि हेलीकॉप्टर हैंगर के साथ एटीसी भी संभावित निशाना हो सकता है.
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