scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमराजनीतिउत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कांफ्रेंस में गिनाए अपने काम, इस्तीफे पर कुछ नहीं बोले

उत्तराखंड के CM तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कांफ्रेंस में गिनाए अपने काम, इस्तीफे पर कुछ नहीं बोले

ऐसा माना जा रहा था कि वो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा करेंगे लेकिन प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने ऐसा नहीं किया.

Text Size:

नई दिल्ली: भाजपा हाईकमान के साथ तीन दिन तक चले मंथन के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात प्रेस कांफ्रेंस में अपनी सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी. ऐसा माना जा रहा था कि वो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा करेंगे.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘कोरोना काल में काफी नुकसान हुआ. टूरिज्म क्षेत्र को छूट देने का फैसला किया गया है और विभिन्न क्षेत्रों को सहायता राशि दी गई है.’

सीएम रावत ने कहा, ‘सरकार ने साल 2021 में लोगों को स्वरोजगार, व्यवसाय पर कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से राहत सहायता देने के लिए विभिन्न कदम उठाए. हमने लगभग 2,000 करोड़ रुपये की सहायता दी.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार द्वारा युवाओं को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से राजकीय विभागों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को आगामी 6 महीने में पूरा कर बेरोजगार युवाओं को 20,000 नियुक्तियां प्रदान करने का प्रयास किया है.’

संवैधानिक संकट

रावत ने इसी साल 10 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह ली थी. तीरथ रावत पौड़ी गढ़वाल से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने अभी संसद से इस्तीफा नहीं दिया है.

उत्तराखंड भाजपा के विधायक दल की बैठक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के नेतृत्व में शनिवार को होगी.

अगले साल राज्य विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, इस बीच मौजूदा स्थिति ने फिर से 20 साल पुराने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को सामने ला दिया है.

तीरथ सिंह रावत के सामने संवैधानिक संकट है. अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है. लेकिन अभी तक ये अनिश्चित बना हुआ है कि चुनाव आयोग कब तक उपचुनाव कराएगा.

संविधान के अनुच्छेद 164(4) के मुताबिक, ‘कोई मंत्री अगर लगातार छह महीने की अवधि तक राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं रहता है तो उस अवधि की समाप्ति के बाद मंत्री पद पर नहीं रहेगा.’

ऐसे में तीरथ रावत पिछले तीन दिनों से दिल्ली में ही थी जहां उन्होंने भाजपा आलाकमान से बातचीत की. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह अमित शाह से भी उन्होंने मुलाकात की.

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम का समय बाकी है. 2017 में निर्वाचित मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च 2022 को पूरा होना है.

उत्तराखंड के इतिहास में अभी तक कांग्रेस के एनडी तिवारी ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है. उनके बाद बने सभी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकें.


यह भी पढ़ें: जम्मू के IAF स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले आतंकी कार्रवाई थी: वायुसेना प्रमुख भदौरिया


मुख्यमंत्री बनने के बाद दिए कई विवादित बयान

उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कई विवादित बयान दिए जिसे लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई.

पहले उन्होंने महिलाओं के फटी जीन्स पहनने पर विवादित बयान दिया था और उसके बाद उन्होंने सार्वजनिक सभा में कहा कि भारत 200 सालों तक अमेरिका का गुलाम रहा है.

रावत ने 21 मार्च को ये भी कहा था कि ज्यादा राशन लेने के लिए लोग ज्यादा बच्चे पैदा क्यों नहीं करते.

उत्तराखंड में हाल ही में हुए कुंभ को लेकर सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस पर मुख्यमंत्री रावत ने तब कहा था कि मां गंगा की कृपा से कोरोना नहीं फैलेगा.


यह भी पढ़ें: बैठे-ठाले का खयाल है विपक्ष की एकता और ज्यादातर राज्यों के लिए प्रासंगिक नहीं


तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक सफर

मार्च में तीरथ रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे. त्रिवेंद्र रावत को हटाकर भाजपा ने उन्हें राज्य की जिम्मेदारी सौंपी थी.

तीरथ रावत लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं. नौ अप्रैल 1964 को पौड़ी जिले के सीरों गांव में जन्मे तीरथ सिंह 1983 से 1988 तक संघ प्रचारक रहे. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री का पद भी संभाला.

वर्ष 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बनी राज्य की अंतरिम सरकार में वह प्रदेश के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाए गए. वर्ष 2002 और 2007 में वह विधानसभा चुनाव हार गए लेकिन 2012 में वह चौबट्टाखाल सीट से विधायक चुने गए. हालांकि, 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को उनकी जगह चौबट्टाखाल से उतारा गया.

2019 के लोकसभा चुनावों में उनके राजनीतिक गुरू बीसी खंडूरी के चुनावी समर में उतरने की अनिच्छा व्यक्त करने के बाद भाजपा ने उन्हें पौड़ी गढ़वाल सीट से टिकट दिया और वह जीतकर संसद पहुंचे.


यह भी पढ़ें: बहुतों के भाजपा न छोड़ने का कुछ कारण है और यह सिर्फ पावर नहीं


 

share & View comments