scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमडिफेंसजम्मू ड्रोन हमले में असली निशाना Mi-17 हैंगर नहीं बल्कि एअर ट्रैफिक कंट्रोल के भी हो सकने की संभावना

जम्मू ड्रोन हमले में असली निशाना Mi-17 हैंगर नहीं बल्कि एअर ट्रैफिक कंट्रोल के भी हो सकने की संभावना

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि आईईडी को स्पलिंटर इंजरी के लिए बनाया गया था और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गूगल सैटेलाइट तस्वीरों का सहारा लिया गया था. पुलिस इसके तार जम्मू में आईईडी की एक और बरामदगी से जुड़े होने की जांच कर रही है.

Text Size:

नई दिल्ली: इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) जिसके लिए माना जा रहा है कि उसे व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध छोटे ड्रोन से जम्मू के एयर फोर्स स्टेशन में गिराया गया, उसके अंदर धातु के टुकड़े थे, जिनकी किरचों से घाव हो सकते थे और वो आरडीएक्स तथा किसी दूसरे विस्फोटक का मिश्रण हो सकता था. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने ये भी कहा कि जहां शुरू में ये समझा जा रहा था कि उसका ठिकाना बेस पर बना हेलिकॉप्टर हैंगर था, चूंकि आईईडी उसके पास ही गिरा था, वहीं एजेंसियां इस संभावना की भी जांच कर रही हैं कि इस हमले का निशाना एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) भी हो सकता था, जो भारतीय वायुसेना (आईएएफ) और सिविल एयरपोर्ट, दोनों के लिए काम करता है.

ये विचार मुख्य रूप से इसलिए है कि आईईडी के अंदर इंपेक्ट चार्जेज़ थे- ऐसे विस्फोटक जो किसी चीज़ से टकराने पर फटते हैं और उसमें धातु के टुकड़े भरे थे.

सूत्रों ने ये भी कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि ड्रोन को चलाने वाले गूगल की सैटेलाइट तस्वीरों के सहारे अपने निशाने पर पहुंचे थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस इसके तार जम्मू में एक और आईईडी की बरामदगी से जुड़े होने की भी जांच कर रही है.

इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियां ये आकलन भी कर रही हैं कि हो सकता है कि ड्रोन वास्तव में पाकिस्तान से ही उड़ाया गया हो. उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि ड्रोन को जम्मू से संचालित किया गया.

लेकिन अभी तक कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं मिला है, जिससे दोनों में से किसी भी संभावना को खारिज किया जा सके.

सूत्रों ने ये भी कहा कि हमले को अंजाम देने वाला तकनीकी रूप से जानकार था और ये आतंकी संगठनों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स के किसी नियमित नेटवर्क का काम नहीं था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अलावा रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान समेत कई एजेंसियां जांच के काम में लगी हैं.

सूत्रों ने कहा कि मामले की औपचारिक जांच एनआईए करेगी.

दिप्रिंट से बात करने वाले कई सूत्रों ने ये भी कहा कि धमाकों की दोनों जगहों पर ड्रोन के कोई टुकड़े नहीं पाए गए, जिसका मतलब है कि ड्रोन ने आईईडी गिराए और सुरक्षित वापस उड़ान भरने में कामयाब हो गया.


यह भी पढ़ें: भारत में इमरजेंसी उपयोग के लिए मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन को DCGI से मिली मंजूरी


संभवत: विस्फोटकों का मिश्रण इस्तेमाल किया गया

ये पूछे जाने पर कि संदिग्ध रूप से किन विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया, सूत्रों ने बताया कि दो विस्फोटकों का मिश्रण नज़र आता है.

उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा संदेह है कि दोनों आईईडीज़ अलग-अलग वज़न के थे. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि 4-5 किलोग्राम से ज़्यादा विस्फोटक इस्तेमाल नहीं हुए थे.

एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘विस्फोटकों के बारे में और मात्रा का विश्लेषण किए जाने के बाद ही पता चल पाएगा’.

इन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि क्या आरडीएक्स इस्तेमाल किया गया, सूत्रों ने कहा कि असली आरडीएक्स सिर्फ छत में सुराख नहीं करता बल्कि पूरी इमारत को ही गिरा देता.

एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘विस्फोटक संभवत: मिले-जुले थे. हो सकता है कि किसी दूसरे विस्फोटक के साथ आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया हो’.

उन्होंने ये भी कहा कि ये पूरी कार्रवाई और योजना बहुत जटिल थी. इसलिए माना जा रहा है कि इसमें कोई ऐसा स्पेशलिस्ट शामिल था, जिसे ड्रोन चलाने और विस्फोटक ले जाने के लिए उसमें हेराफेरी करना आता था.

एक चौथे सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘आईईडी के अंदर इंपेक्ट चार्जेज़ थे, जो सतह से टकराने पर फट गए. आमतौर से आईईडीज़ का टाइम तय करने या उसे सक्रिय करने के लिए टेलीफोन का इस्तेमाल किया जाता है या ये तब होता है, जब कोई वाहन या व्यक्ति उससे लगे तार से टकराता है. इस तरह के आईईडी को इस्तेमाल करने के लिए विशेषज्ञता की जरूरत पड़ती है.’


यह भी पढ़ें: बांस से बने तीर-कमान से लेकर विश्व तीरंदाजी रैंकिंग के शीर्ष तक- तीरंदाज दीपिका कुमारी की शानदार यात्रा


हो सकता है कि एटीसी निशाना रहा हो

सूत्रों ने कहा कि एजेंसियां इस संभावना पर भी गौर कर रही हैं कि असली निशाना शायद हैंगर नहीं बल्कि एटीसी था.

एक सूत्र ने कहा, ‘अगर उनका मकसद एक-दो हेलिकॉप्टरों को निशाना बना होता, तो उसके अंदर किरचे उड़ाने या किसी अन्य उपकरण से टकराने के लिए धातु के टुकड़े न रखे गए होते’. उन्होंने आगे कहा, ‘एटीसी ही वो जगह थी, जहां उस खास समय पर इन किरचों से टकराने के लिए लोग और उपकरण दोनों मौजूद थे.’

लेकिन सूत्रों ने कहा कि अभी भी ये एक अटकल ही है, जिसपर काम किया जा रहा है और इस समय सही से नहीं कहा जा सकता कि वास्तविक निशाना क्या था.

एक पांचवें सूत्र ने कहा कि ड्रोन को संचालित करने वालों ने अपने निशाने तक पहुंचने के लिए गूगल की सैटेलाइट तस्वीरों का सहारा लिया.

जांचकर्ताओं को शक है कि असली निशाना एटीसी था, जो हवाई ठिकाने और नागरिक एयरपोर्ट दोनों के हवाई ट्रैफिक को नियंत्रित करता है और आतंकवादियों का मकसद उसके काम को बाधित करना था.

सूत्र ने कहा, ‘हमें पूरा शक है कि उनका मकसद एटीसी को निशाना बनाना था, हालांकि विस्फोटक हैलिकॉप्टरों के हैंगर के पास गिरे थे. उन्होंने गूगल की सैटेलाइट तस्वीरों के सहारे अपनी लोकेशन की पहचान की. हम पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो किसे निशाना बनाना चाहते थे’.


यह भी पढ़ें: ‘खेला होई’: सपा ने यूपी चुनाव के लिए गीतों और नारों की पूरी तैयारी की—कुछ मौलिक, कुछ ‘प्रेरित’


एजेंसियों को नरवाल आईईडी बरामदगी से तार जुड़े होने का शक

एक और सूत्र ने बताया कि एजेंसियां इस संभावना की जांच कर रही हैं कि ड्रोन हमले के तार शनिवार को जम्मू के नरवाल में एक आतंकी के यहां से बरामद 5 किलोग्राम आईईडी से जुड़े हैं.

जांचकर्ताओं को शक है कि इस आईईडी को पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के ज़रिए नीचे गिराया गया.

पुलिस अभियुक्तों से विस्फोटकों के स्रोत के बारे में पूछताछ कर रही है.

दूसरे सूत्र ने कहा, ‘हमें शक है कि 5 किलो आईईडी, जो नरवाल से बरामद किया गया, पाकिस्तान में उसी स्रोत द्वारा मुहैया कराया गया और उसे इसी तरीके से ड्रोन के ज़रिए जम्मू में पहुंचाया गया. दोनों के तार जुड़े हुए लगते हैं. हम उस व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हैं, जिसे गिरफ्तार किया गया है ताकि पता चल सके कि विस्फोटकों को पहुंचाने वाला कौन था (और) ये उस तक कैसे पहुंचे’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने से पहले ये है मोदी सरकार की तीन रणनीतियां


 

share & View comments