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Friday, 22 November, 2024
होमदेशऑक्सीजन प्रोटोकॉल, हर गांव में कोविड केंद्र: तीसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र की तैयारी

ऑक्सीजन प्रोटोकॉल, हर गांव में कोविड केंद्र: तीसरी लहर के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र की तैयारी

दूसरी लहर के अपने अनुभव से सीख लेते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने पूरे सूबे में लॉकडाउन उपायों में कड़ाई कर दी है, कोविड से जुड़े ख़र्चों को पूरा करने के लिए, बजटीय कटौतियां शुरू कर दी हैं.

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मुम्बई: महामारी से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक महाराष्ट्र, पूरे समय कोविड-19 के मामले में अगुआ रहा है, और अब वो युद्ध-स्तर पर संभावित तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहा है.

दूसरी लहर के अपने अनुभव से सीख लेते हुए, जब वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने मामलों में अचानक उछाल ला दिया था, अब नए डेल्टा प्लस वेरिएंट के प्रभाव को सीमित करने के लिए, राज्य तेज़ी के साथ रोकथाम के उपाय कर रहा है.

राज्य सरकार ने पूरे सूबे में लॉकडाउन उपायों में कड़ाई कर दी है, कोविड से जुड़े ख़र्चों को पूरा करने के लिए, बजटीय कटौतियां शुरू कर दी हैं, और हर पखवाड़े होने वाले पूर्वानुमानों के आधार पर, हर सप्ताह फिसड्डी ज़िलों को आगे खींचा जाता है.

इसके अलावा, सरकार की ये भी योजना है, कि ऑक्सीजन के मामले में, महाराष्ट्र के सभी 36 ज़िलों को आत्म-निर्भर बनाया जाएगा, और हर गांव में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित किया जाएगा.

राज्य के जन स्वास्थ्य विभाग ने पूर्वानुमान लगाया है, कि तीसरी लहर के दौरान एक्टिव केस लोड, अधिकतम 8 लाख तक पहुंच सकता है, और महाराष्ट्र में संक्रमण के, 50 लाख नए मामले दर्ज हो सकते हैं.

महाराष्ट्र के जन स्वास्थ्य विभाग में, महामारी सेल प्रमुख डॉ प्रदीप अवाते ने दिप्रिंट से कहा: ‘तीसरी लहर के सही समय, आकार, और आंकड़ों का अनुमान कोई नहीं लगा सकता,लेकिन तैयारी करने के लिए हमें एक प्रयोगात्मक मॉडल की ज़रूरत है. दूसरी लहर में, एक्टिव मामलों का पीक 7 लाख था. हम उसमें कम से कम 10 प्रतिशत वृद्धि की अपेक्षा कर रहे हैं. हम सबसे ख़राब पृष्ठभूमि के लिए तैयारी कर रहे हैं’.

अभी तक, महाराष्ट्र में 60.26 लाख कोविड पॉज़िटिव मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 40 लाख संक्रमण दूसरी लहर के दौरान पकड़ में आए, जो मध्य फरवरी में शुरू हुई थी. ये भारत में दर्ज कुल मामलों का 20 प्रतिशत है, और शनिवार तक राज्य में एक्टिव केसलोड्स की संख्या 1.21 थी. महाराष्ट्र में 1.2 लाख मौतें भी दर्ज हुई हैं.


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दूसरी लहर से सीख

अवाते के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार के लिए दूसरी लहर से दो बड़े सबक़ मिले हैं- नए वेरिएंट्स की पहचान करना, और ऑक्सीजन में आत्मनिर्भरता हासिल करना.

उन्होंने कहा, ‘राज्य को जिनॉमिक सीक्वेंसिंग पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, और जहां भी नए वेरिएंट के शुरूआती मामले नज़र आएं, वहां कड़ाई से रोकथाम के फ़ौरी उपाय करने चाहिएं’.

अभी तक, महाराष्ट्र के पांच ज़िलों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 21 मामले पाए गए हैं. इनमें से नौ मामले रत्नागिरी ज़िले से हैं, सात जलगांव से हैं, और बाक़ी मुम्बई, ठाणे, और सिंधुदुर्ग में बिखरे हुए हैं.

इनमें से बहुत से मामले बिना लक्षण वाले थे, और उन्हें कोविड के टीके नहीं लगे थे. पिछले हफ्ते रत्नागिरी में, नए वेरिएंट के एक मरीज़ की मौत हो गई.

जलगांव ज़िला प्रशासन ने पूरे गांव की स्क्रीनिंग की, जहां नए वेरिएंट के सात मामले पाए गए थे, और कुछ अतिरिक्त नमूने सीक्वेंसिंग के लिए भेजें हैं. ज़िला कलेक्टर ने दिप्रिंट को बताया, कि नए वेरिएंट के सभी संक्रमण उन नमूनों से पाए गए, जो मई में जिनॉमिक सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे.

इसी तरह, एक ज़िला अधिकारी ने बताया कि रत्नागिरी ज़िला प्रशासन ने, उन गांवों में रोकथाम उपाय लागू किए हैं, जहां डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले पाए गए हैं.

जहां महाराष्ट्र में अधिकारी और एक्सपर्ट्स कहते हैं, कि नए वेरिएंट के ज़हरीलेपन, संक्रमण दर, और दूसरी विशेषताओं को समझने के लिए, आगे शोध किए जाने की ज़रूरत है, वहीं मंगलवार को केंद्र सरकार ने उसे, ‘चिंताजनक वेरिएंट’ घोषित कर दिया.

दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट, जो सबसे पहले अमरावती में पाया गया, संक्रमण के अधिकतर मामलों के लिए ज़िम्मेदार था.

राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को, वेरिएंट के बारे में मध्य-फरवरी में ही पता चल गया था, लेकिन बहुत बाद तक फौरी तौर पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, और तब तक ये वेरिएंट पूरे महाराष्ट्र, और अन्य राज्यों को फैल चुका था.

अवाते ने कहा कि दूसरी लहर से एक बड़ी सीख ये है, कि ‘महाराष्ट्र के तमाम अस्पतालों को, ऑक्सीजन सप्लाई में आत्म-निर्भर होने की ज़रूरत है’.

उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एक योजना है जिससे हमें, बाहर से ऑक्सीजन लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी’.

राज्य सरकार ने फैसला किया है, कि महाराष्ट्र के हर सार्वजनिक अस्पताल में, प्रेशर स्विंग एडज़ॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जाएंगे.

उसी के हिसाब से, सरकार ने प्रस्तावित किया है कि 517.9 मीट्रिक टन क्षमता के, 487 ऑक्सीजन टैंक्स बनाए जाएंगे. राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अभी तक, 69.37 मीट्रिक टन क्षमता के, 56 टैंक बनाए जा चुके हैं.

ऑक्सीजन के इस्तेमाल का ऑडिट करने, और बरबादी से बचने के लिए स्टेट टास्क फोर्स, एक विस्तृत ऑक्सीजन प्रोटोकोल भी विकसित कर रही है.


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ज़्यादा कड़ी पाबंदियां, सुस्त ज़िलों को आगे खींचना

हर पखवाड़े की पूर्वानुमान प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए, जो पहली लहर के समय से स्थापित है, राज्य सरकार उन ज़िलों की पहचान कर रही है, जहां मामलों में उछाल, और ऊंची सकारात्मकता या मृत्यु दर देखी जा रही है, और ज़िला प्रशासन को किए जाने वाले उपायों के बारे में सलाह दे रही है.

राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा: ‘अकसर,सीएम स्वयं इन ज़िलों के प्रशासन के साथ बैठकें करते हैं’.

तीसरी लहर की तैयारी में, महाराष्ट्र सरकार ने एक ज़्यादा सतर्क अनलॉक प्लान के लिए, अलग अलग शहरों और ज़िलों में, रेस्ट्रॉन्ट्स, सिनेमा हॉल्स, और निजी दफ्तरों को दी गई रिआयतों को वापस ले लिया है.

राज्य सरकार ने साप्ताहिक सकारात्मकता दर, और ऑक्सीजन बेड्स भरे होने के हिसाब से, अलग अलग ज़िलों के लिए पांच स्तर की रिआयतें दीं थीं, जिनका उन्हें पालन करना था. उसने इनमें से दो स्तर ख़त्म कर दिए हैं, जिनके तहत सबसे अधिक रिआयतें दी गईं थीं. साप्ताहिक सकारात्मकता दर का हिसाब भी अब, रैपिड एंटिजेन पर नहीं, बल्कि केवल आरटी-पीसीआर टेस्टों पर लगाया जाएगा.

पिछले हफ्ते, राज्य सरकार ने एक सरकारी प्रस्ताव भी जारी किया, जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 के लिए, बजटीय ख़र्च में 40 प्रतिशत की कटौती कर दी गई, ताकि सूबे के राजस्व में कमी की भरपाई हो सके, और दवाओं तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर, ख़र्च की गुंजाइश निकल सके.

इस बीच, राज्य सरकार ने सभी ज़िला तथा नागरिक प्रशासनों से कहा है, कि दूसरी लहर के दौरान तैयार किए गए, मेडिकल इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखा जाए, और नामित कोविड अस्पतालों में 10 प्रतिशत बिस्तर, बच्चों के लिए आरक्षित रखे जाएं.

ऊपर हवाला दिए गए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘हम डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिसमें पीडियाट्रिक प्रबंधन पर ख़ास ध्यान दिया जा रहा है. हमारा लक्ष्य है कि हर गांव में कोविड केयर सेंटर बनाए जाएं, और हर गांव के स्तर पर, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में, बच्चों की देखभाल की सुविधा जोड़ी जाए.


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