स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अंबानी की 75 हजार करोड़ रुपए की योजना महत्वाकांक्षी जरूर है लेकिन असंभव नहीं. हालांकि यह परोपकारी कदम नहीं है. इसे मोदी सरकार की उस प्रतिबद्धता के अनुरूप ही देखना चाहिए जिसमें भारत की जीवाश्म ईंधन पर से निर्भरता कम कर ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की बात है. यह एक बेहतरीन व्यावसायिक समझ दिखाता है जिसके लिए अंबानी को जाना जाता है.