नई दिल्ली: कंप्यूटर साइंस इंजीनियर आर सौम्या को नौकरी नहीं मिल रही थी और वो अपने परिवार की मदद भी नहीं कर पा रही थीं.
पिछले साल ही 22 वर्षीया सौम्या का ग्रेजुएशन हुआ है. इस बारे में उसने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को खत लिखा जिसमें सीएम ने नौकरी देने का वादा किया. 12 जून को मेट्टूर बांध के उद्घाटन पर सौम्या ने अपने खत के साथ दो सोने की चेन मुख्यमंत्री कोविड रिलीफ फंड में दान की.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने ट्विटर पर उसके खत को साझा किया और उसे ‘पोनमगल’ (गोल्डन डॉटर) बताया.
सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सौम्या की चिट्ठी मेरे पास आई. महामारी के वक्त मदद करने की उसकी नीयत ने मुझे झकझोर दिया. इसके बाद ही उसे नौकरी के लिए ऑफर दिया गया. इसपर उचित कार्रवाई की जाएगी.’
மேட்டூர் அணையைத் திறக்கச் சென்றபோது பெறப்பட்ட மனுக்களில் சகோதரி சௌமியாவின் இக்கடிதம் கவனத்தை ஈர்த்தது.
பேரிடர் காலத்தில் கொடையுள்ளத்தோடு உதவ முன்வந்த அவரது எண்ணம் நெஞ்சத்தை நெகிழ வைக்கிறது.
பொன்மகளுக்கு விரைவில் அவரது படிப்பிற்கேற்ற வேலை கிடைக்க உரிய நடவடிக்கை மேற்கொள்ளப்படும். pic.twitter.com/Ioqt6dq5YU
— M.K.Stalin (@mkstalin) June 13, 2021
इसी बीच मंगलवार को जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट में नौकरी के लिए सौम्या को नियुक्ति पत्र मिल गया. विद्युत मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने सौम्या के घर जाकर उसे ये पत्र सौंपा.
फोन पर सौम्या ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया.
#Salem girl R Sowmiya who petitioned Chief Minister #MKStalin seeking a job during his visit to open Mettur Dam on June 12, got an appointment order in a private company from Minister V Senthil Balaji on Tuesday.
She also thanked CM MK Stalin over the phone.@xpresstn pic.twitter.com/OK9PxZHhrr
— S Mannar Mannan (@mannar_mannan) June 15, 2021
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‘रोज की जरूरतों के लिए सिर्फ 4 हजार रुपए बचते हैं’
तमिलनाडु के सालेम में पोट्टानेरी गांव में रहने वाली सौम्या की दो बहनें हैं, दोनों की ही शादी हो चुकी है. 12 मार्च 2020 को निमोनिया से उसकी मां की मौत हो चुकी है. और वो अपने पिता के साथ रहती है और घर चलाने का एकमात्र साधन उसके पिता की पेंशन है.
अपने खत में उसने लिखा था, ‘मेरे पिता को 7 हजार रुपए मिलते हैं जिसमें से 3 हजार किराए में चले जाते हैं.’ उसने सरकारी नौकरी नहीं मांगी थी बल्कि निजी कंपनी में कोई भी नौकरी मांगी थी.
दिप्रिंट से बात करते हुए सौम्या ने बताया कि कैसे उनकी मां के इलाज में 13 लाख रुपये खर्च हुए, जो उनके पिता की पूरी बचत थी.
सौम्या ने कहा, ‘मेरी मां के निधन के बाद, हम किराए के घर में रहने के लिए मेट्टूर से अपने पैतृक गांव चले गए. किराए का भुगतान करने के बाद, हमारे पास एक महीने की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सिर्फ 4,000 रुपये बचते हैं. मेरी बहनें भी आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हैं.’
नौकरी का ऑफर मिलने पर सौम्या ने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री, अन्य मंत्रियों, जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों की आभारी हूं जिन्होंने मुझे नौकरी दिलाने में मदद की है.’
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